CAG ने केंद्रीय मंत्रालयों के साथ व्यवस्थागत मुद्दों पर चर्चा की

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कैग के बयान के मुताबिक, मोहन ने चर्चा सत्र में शामिल प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि लेखा परीक्षा की परंपरागत भूमिका कार्यपालिका के कदमों का परीक्षण करने की है लेकिन उसी के साथ कैग और कार्यपालिका के बीच एक तरह के तालमेल पर भी जोर दिया जाने लगा है।

नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की एक टीम ने व्यवस्थागत मुद्दों और सुधार के संभावित क्षेत्रों की पहचान के लिए मंगलवार को केंद्रीय मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ गहन चर्चा की। कैग की इस टीम की अगुवाई उप नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (रिपोर्ट केंद्रीय) राकेश मोहन ने की। यह सत्र व्यवस्थागत मुद्दों, वित्तीय अनियमितताओं और सुधार के संभावित क्षेत्रों की पहचान के साथ एक रचनात्मक संबंध स्थापित करने के इरादे से आयोजित किया गया। कैग के बयान के मुताबिक, मोहन ने चर्चा सत्र में शामिल प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि लेखा परीक्षा की परंपरागत भूमिका कार्यपालिका के कदमों का परीक्षण करने की है लेकिन उसी के साथ कैग और कार्यपालिका के बीच एक तरह के तालमेल पर भी जोर दिया जाने लगा है।

उन्होंने कहा कि कैग और कार्यपालिका साथ मिलकर काम करते हुए शासन प्रणाली में मौजूद खामियों को दूर करने पर ध्यान केंद्रित किया जा सकता है। इससे सार्वजनिक संसाधन के प्रभावी एवं न्यायपूर्ण उपयोग को सुनिश्चित कर वांछित परिणामों तक पहुंचा जा सकेगा। उन्होंने सरकारी विभागों एवं मंत्रालयों की तरफ से वित्तीय आंकड़े मुहैया कराने में विलंब की वजह से लेखा परीक्षा में बाधा पहुंचने का जिक्र करते हुए कहा कि इससे आकलन भी अधूरा रह जाता है। इस चर्चा सत्र में 18 केंद्रीय मंत्रालयों के 30 से अधिक वरिष्ठ अधिकारियों ने शिरकत की।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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