मानसून सामान्य रहने के कारण उर्वरक की मांग रहेगी स्थिर: रिपोर्ट
मानसून के सामान्य रहने तथा अधिक कृषि आय होने के कारण चालू वित्तवर्ष के प्रथमार्द्ध में उर्वरकों की मांग में स्थिरता रहने की संभावना है। एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।
मुंबई। मानसून के सामान्य रहने तथा अधिक कृषि आय होने के कारण चालू वित्तवर्ष के प्रथमार्द्ध में उर्वरकों की मांग में स्थिरता रहने की संभावना है। एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। साख निर्धारक एजेंसी इक्रा ने एक रिपोर्ट में कहा कि उच्च सब्सिडी के कारण आगामी वर्ष में विभिन्न फास्फेटिक उर्वरकों की कीमत में स्थिरता रहने की उम्मीद है।
इक्रा के विश्लेषक सत्यजीत सेनापति ने कहा कि, खरीफ सत्र के दौरान सामान्य मानसून रहने की उम्मीद तथा फसलों के लिए अधिक आय होने की उम्मीद के साथ साथ सरकार द्वारा किसानों को उनकी लागत के 150 प्रतिशत के बराबर एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) देने के आश्वासन के कारण वित्तवर्ष 2019 के प्रथम छमाही में उर्वरकों की मांग स्थिर रहने की उम्मीद है।
आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने पिछले महीने वित्त वर्ष 2018-19 के लिए फॉस्फेट और सल्फर (गंधक) जैसे पोषक तत्वों के लिए पोषक आधारित सब्सिडी( एनबीएस) की दरों में वृद्धि की थी। इक्रा ने कहा कि एनबीएस दरों में संशोधन का कारण कच्चे माल की कीमतों में बढ़ोतरी तथा चीन से फास्फेटिक पदार्थो की आपूर्ति कम होने के कारण अंतरराष्ट्रीय डायमंडियम फॉस्फेट (डीएपी) और सल्फर कीमतों में आई तेजी है।
सेनापति ने कहा कि, इस मूल्य संशोधन के कारण आने वाले साल में विभिन्न फॉस्फेटिक उर्वरकों के खुदरा मूल्य स्थिर रह सकता है क्योंकि सब्सिडी की अधिकता डीएपी की अंतरराष्ट्रीय कीमत में हुई वृद्धि को कम करने में मदद करेगी। हालांकि सीसीईए ने पोटोश के लिए एनबीएस दरों को 10 प्रतिशत कम कर दिया था। इक्रा ने कहा कि सब्सिडी को कम करने के कारण म्यूरेट आफ पोटाश( एमओपी) के खुदरा मूल्य में 500-700 रुपये प्रति टन की वृद्धि होने की संभावना है।
उसने कहा कि कुल मिलाकर, सब्सिडी स्तर में बदलाव से पी एंड के( फॉस्फेटिक और पोटाशिक) उर्वरकों की मांग पर कोई प्रभाव पड़ने की उम्मीद नहीं है। वित्त वर्ष 2018-19 के केन्द्रीय बजट में, सरकार ने पी एंड के उर्वरक के लिए सब्सिडी आवंटन को वित्तवर्ष 2017-18 के 222 अरब रुपये के मुकाबले बढ़ाकर 250 अरब रुपये कर दिया था।
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