वोडाफोन आइडिया की सरकार से मांग, 15 साल में चुकाने दें AGR बकाया

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[email protected] । Feb 28 2020 12:36PM

वोडाफोन आइडिया ने सरकार के समक्ष समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) का पूरा सांविधिक बकाया चुकाने में असमर्थता जाहिर की है।एजीआर मामले में दूरसंचार उद्योग को राहत देने के विषय पर चर्चा के लिए डिजिटल संचार आयोग (डीसीसी) की बैठक शुक्रवार को हो सकती है। दूरसंचार मामलों में फैसला लेने के लिए यह सरकार का शीर्ष निकाय है।

नयी दिल्ली। वोडाफोन आइडिया ने सरकार के समक्ष समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) का पूरा सांविधिक बकाया चुकाने में असमर्थता जाहिर की है। उसने संकट की घड़ी में सरकार से तत्काल मदद के उपाय करने का आग्रह किया है। वहीं दूरसंचार सेवाप्रदाताओं के संगठन सीओएआई ने भी सरकार से उद्योग को राहत देने की मांग की है।

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उच्चतम न्यायालय के फैसले के मुताबिक वोडाफोन आइडिया को 53,000 करोड़ रुपये का बकाया चुकाना है। एजीआर मामले में दूरसंचार उद्योग को राहत देने के विषय पर चर्चा के लिए डिजिटल संचार आयोग (डीसीसी) की बैठक शुक्रवार को हो सकती है। दूरसंचार मामलों में फैसला लेने के लिए यह सरकार का शीर्ष निकाय है।

वोडाफोन आइडिया ने इस संबंध में दूरसंचार विभाग को पत्र लिखा है। कंपनी ने सरकार से माल एवं सेवाकर (जीएसटी)के तहत उसके इनपुट टैक्स क्रेडिट के तौर पर मिलने वाले 8,000 करोड़ रुपये को समायोजित करने और शेष राशि के भुगतान पर तीन साल की रोक के बाद 15 साल में उसका भुगतान करने की सुविधा देने का आग्रह किया है। कंपनी का कहना है कि इससे उसे सांविधिक बकाया चुकाने में मदद मिलेगी। कंपनी का खुद का आकलन है कि जीएसटी इनपुट टैक्स क्रेडिट के तौर पर उसका 8,000 करोड़ रुपये का रिफंड मिलना है। 

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कंपनी ने अभी तक मात्र 3,500 करोड़ रुपये का ही भुगतान किया है। कंपनी ने पत्र में कहा है, ‘‘उसकी माली हालत ठीक नहीं है।’’ वह अपने उत्तरदायित्व को तभी पूरा कर सकती है जब सरकार सांविधिक बकाया पर ब्याज, जुर्माना और जुर्माने पर ब्याज को किश्तों में चुकाने का विकल्प प्रदान करे।

आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक कंपनी ने एजीआर बकाये के भुगतान के लिये 18 साल समयसीमा की मांग की है। इसके साथ ही कंपनी ने उसे ब्याज व जुर्माने के भुगतान से तीन साल की छूट देने का भी आग्रह किया है। कंपनी ने बकाये की बाकी राशि को 15 साल में छह प्रतिशत के साधारण ब्याज के साथ भुगतान करने की मांग रखी है। इतना ही नहीं कंपनी ने सरकार से दूरसंचार उद्योग के लिए इंटरनेट और कॉल समेत अन्य सेवाओं के लिए न्यूनतम सेवा दरें निर्धारित करने की भी मांग रखी है।

एक अधिकारी ने नाम गोपनीय रखने की शर्त पर पीटीआई- भाषा से कहा, ‘‘वोडाफोन आइडिया ने परिचालन में बने रहने के लिये सरकार से कई मांगें की है। कंपनी चाहती है कि एक अप्रैल 2020 से मोबाइल डेटा का शुल्क न्यूनतम 35 रुपये प्रति गीगाबाइट (जीबी) तथा न्यूनतम 50 रुपये का मासिक कनेक्शन शुल्क निर्धारित हो। ये काफी कठिन मांगें हैं और इन्हें मान पाना सरकार के लिये समस्या है।’’

इस बीच सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) ने भी सरकार को करीब करीब ऐसा ही पत्र लिखा है। उसने सरकार से एजीआर बकाये के भुगतान के लिए नियमों को सरल बनाने का आग्रह किया है। साथ ही दूरसंचार कंपनियों को कम ब्याज दरों पर ऋण उपलब्ध कराने के लिए भी कहा है ताकि वह इस बकाए का निपटान कर सके। इसके अलावा इंटरनेट डेटा और कॉल के लिए तत्काल न्यूनतम दर तय करने का अनुरोध किया है।

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सीओएआई ने दावा किया कि उसके द्वारा रखी गयी मांगों को लेकर रिलायंस जियो की भी सहमति है। हालांकि, इस संबंध में कंपनी की टिप्पणी के लिए भेजे गए ई-मेल का जवाब नहीं मिला है। पूर्व में जियो इस संगठन से अलग राय रखता रहा है। डीसीसी में वित्त, वाणिज्य एवं उद्योग और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालयों के सचिवों के साथ नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी भी शामिल हैं।

पिछले कुछ सालों से घाटे में चल रही वोडाफोन आइडिया ने कहा कि दूरसंचार क्षेत्र पर वित्तीय दबाव जगजाहिर है। कंपनी ने मौजूदा समय में अपने 10,000 कर्मचारियों और 30 करोड़ ग्राहकों का हवाला देखकर सरकार से समर्थन की मजबूत अपील की है।

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