धर्मेंद्र प्रधान ने ऊर्जा, इस्पात क्षेत्र में जापानी निवेशकों को आमंत्रित किया

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[email protected] । Feb 24 2020 4:12PM

केंद्रीय इस्पात मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सोमवार को जापानी निवेशकों से देश के इस्पात बाजार में निवेश के लिये आगे आने का आग्रह किया।इस कार्यशाला का आयोजन इस्पात मंत्रालय, भारतीय उद्योग परिसंघ और जापान के आर्थिक, व्यापार और उद्योग मंत्रालय ने मिलकर किया।

नयी दिल्ली। केंद्रीय इस्पात मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सोमवार को जापानी निवेशकों से देश के इस्पात बाजार में निवेश के लिये आगे आने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि यहां का इस्पात बाजार तेजी से बढ़ रहा है और आने वाले सालों में यहां इस्पात खपत दोगुने से अधिक हो जाएगी। प्रधान यहां ‘अर्थव्यवस्था की वृद्धि के लिए इस्पात उपयोग को बढ़ावा और इसके लिए उत्पादकों को तैयार करना’ विषय पर एक कार्यशाला में बोल रहे थे। इस कार्यशाला का आयोजन इस्पात मंत्रालय, भारतीय उद्योग परिसंघ और जापान के आर्थिक, व्यापार और उद्योग मंत्रालय ने मिलकर किया।

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प्रधान ने कारोबार स्थापित करने की स्थिति में निवेशकों को अनिवार्य समर्थन उपलब्ध कराने का आश्वासन भी दिया। उन्होंने कहा,‘‘ हम यहां भारत में इस्पात उपयोग बढ़ाने, भारत में बाजार और आर्थिक वृद्धि जैसे विषयों पर चर्चा करने के लिए जमा हुए हैं। हमारा लक्ष्य भारत को 2024-25 तक पांच हजार डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का है। भारत बुनियादी ढांचे के विकास पर आने वाले सालों में 100 लाख करोड़ रुपये खर्च करेगा। इन सभी का परिणाम इस्पात की खपत में बढ़त के तौर पर दिखेगा।’’

प्रधान ने कहा कि भारतीय इस्पात क्षेत्र तेजी से बढ़ने वाला इस्पात बाजार है। देश में 2030 तक 300 इस्पात निर्माण संयंत्र होंगे। हम देश में प्रति व्यक्ति इस्पात उपभोग को मौजूदा 70 किलोग्राम से बढ़ाकर 160 किलोग्राम करने का लक्ष्य लेकर भी चल रहे हैं। उन्होंने कहा कि 2022 तक सरकार की प्रधानमंत्री आवास योजना पूरी हो जाएगी। इस योजना के तहत घरों के निर्माण में बहुत मात्रा में इस्पात की आवश्यकता होगी।

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प्रधान ने कहा, ‘‘ भारत का अगले तीन साल में 14,000 किलोमीटर की नयी गैस पाइपलाइन स्थापित करने का भी लक्ष्य है। हमारा लक्ष्य हर घर तक नल से जल पहुंचाने का है। इस तरह बहुत से क्षेत्र हैं जहां इस्पात का उपयोग होना है।’’उन्होंने कहा कि रेलवे, राजमार्ग, सड़कें और पुल अन्य वह क्षेत्र हैं जहां सरकार ध्यान दे रही है और इन सभी में बहुत मात्रा में इस्पात की आवश्यकता होगी।

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