आयात सस्ता होने से खाद्य तेलों के भाव स्थिर

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विदेशी बाजारों में मिले-जुले रुख के चलते स्थानीय बाजार में मंगलवार को सोयाबीन तेल- तिलहन, बिनौला, सीपीओ और पामोलिन को छोड़कर बाकी सभी तेल-तिलहनों के भाव पूर्वस्तर पर बने रहे। बाजार सूत्रों ने बताया कि मलेशिया एक्सचेंज में मंगलवार को कोई घट-बढ़ नहीं हुई।

विदेशी बाजारों में मिले-जुले रुख के चलते स्थानीय बाजार में मंगलवार को सोयाबीन तेल- तिलहन, बिनौला, सीपीओ और पामोलिन को छोड़कर बाकी सभी तेल-तिलहनों के भाव पूर्वस्तर पर बने रहे। बाजार सूत्रों ने बताया कि मलेशिया एक्सचेंज में मंगलवार को कोई घट-बढ़ नहीं हुई। जबकि शिकॉगो एक्सचेंज में 0.5 प्रतिशत की तेजी है। बाजार से जुड़े सूत्रों ने बताया कि विदेशी बाजारों में सुधार और खाद्य तेलों में आयात सस्ता पड़ने से स्थानीय बाजार में अधिकांश तेल-तिलहनों के भाव पूर्वस्तर पर बंद हुए। वहीं कपास की आवक बढ़ने से बिनौला के भाव में नरमी आयी है।

सूत्रों ने कहा कि तेल-तिलहन के भाव में गिरावट के बावजूद खुदरा मूल्य में कोई उतार-चढ़ाव ना होने से उपभोक्ताओं और किसानों को कोई लाभ नहीं हो रहा है। सूत्रों ने कहा कि देश में किसानों के पास सोयाबीन का स्टॉक होने के बावजूद 30 सितंबर तक आयात की छूट के कारण सोयाबीन दानें में गिरावट आई। सोयाबीन के भाव ज्यादातर डीऑयल्ड केक (डीओसी) पर निर्भर होते हैं क्योंकि सोयाबीन दाना में 82 प्रतिशत डीओसी होता है और 18 प्रतिशत सोयाबीन ऑयल होता है। किसानों के पास सोयाबीन का पुराना स्टॉक होने और नयी फसल की छुटपुट आवक से किसानों के बीच हलचल मच गयी है।

उन्होंने कहा कि वैश्विक खाद्य तेलों में आई गिरावट का लाभ आम उपभोक्ताओं को दिलाने के लिए अब सरकार को कमर कसनी होगी क्योंकि इन खाद्य तेलों की कीमतों के टूटने के बावजूद इन तेलों के एमआरपी जस के तस बने हुए हैं। सूत्रों ने कहा कि पिछले साल के मुकाबले सोयाबीन के भाव लगभग आधे से कम रह गये हैं। खाद्य तेलों में भारी गिरावट के बावजूद तेल कंपनियों के एमआरपी ऊंचे बने हुए हैं, जिससे किसानों को भारी नुकसान हो रहा है। सूत्रों ने पूजा तथा आस्था के लिए इस्तेमाल होने वाले तेल को लेकर सरकार से सतर्कता बरतने की अपील की है।

उन्होंने कहा कि पूजा के तेल के नाम पर कुछ रसायनों का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। अगर कोई व्यक्ति अनजाने में इस तेल का इस्तेमाल खाना बनाने में कर ले तो वह जानलेवा साबित हो सकता है। वहीं देशी घी और तिल तेल की तुलना में कम कीमत होने की वजह से इसकी बिक्री काफी बढ़ गयी है और इसकी बिकवाली से कारोबारियों को अधिक लाभ भी मिल रहा है। मंगलवार को तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे: सरसों तिलहन - 6,775-6,780 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल। मूंगफली -6,920-6,985 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) - 16,000 रुपये प्रति क्विंटल। मूंगफली सॉल्वेंट रिफाइंड तेल 2,655 - 2,825 रुपये प्रति टिन। सरसों तेल दादरी- 13,500 रुपये प्रति क्विंटल। सरसों पक्की घानी- 2,100-2,230 रुपये प्रति टिन। सरसों कच्ची घानी- 2,170-2,285 रुपये प्रति टिन। तिल तेल मिल डिलिवरी - 18,000-19,500 रुपये प्रति क्विंटल। सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 12,150 रुपये प्रति क्विंटल। सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 11,950 रुपये प्रति क्विंटल। सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 10,600 रुपये प्रति क्विंटल। सीपीओ एक्स-कांडला- 8,100 रुपये प्रति क्विंटल। बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 12,000 रुपये प्रति क्विंटल। पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 9,750 रुपये प्रति क्विंटल। पामोलिन एक्स- कांडला- 8,800 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल। सोयाबीन दाना - 4,900-5,000 रुपये प्रति क्विंटल। सोयाबीन लूज 4,700-4,800 रुपये प्रति क्विंटल। मक्का खल (सरिस्का) 4,010 रुपये प्रति क्विंटल।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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