एनरॉन-दाभोल बिजली परियोजना: कोर्ट ने कथित भ्रष्टाचार का मुकदमा बंद किया
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने मुकदमा बंद करने की महाराष्ट्र सरकार की अर्जी स्वीकार कर ली।
नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने एनरॉन-दाभोल बिजली परियोजना से जुड़े कथित भ्रष्टाचार के सिलसिले में 1997 में दर्ज मुकदमे में विलंब को ध्यान में रखते हुए उसे बृहस्पतिवार को बंद कर दिया। इस मामले में कई नेता और नौकरशाह आरोपी थे। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने मुकदमा बंद करने की महाराष्ट्र सरकार की अर्जी स्वीकार कर ली।
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महाराष्ट्र राज्य विद्युत बोर्ड के साथ 1993 में बिजली खरीद समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद अमेरिकी कंपनी एनरॉन और उसकी सहयोगी कंपनी दाभोल पावर कॉरपोरेशन ने 1996 में तीन अरब डॉलर की लागत से महाराष्ट्र में बिजली परियोजना स्थापित की थी।
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शीर्ष अदालत ने 1997 में बिजली खरीद समझौते (पीपीए) को बरकरार रखने के बंबई उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए सेंटर फॉर इंडियन ट्रेड यूनियन (सीटू) की याचिका को स्वीकार किया था और हस्ताक्षर करने में सरकार और उसके अधिकारियों की भूमिका के सिलसिले में महाराष्ट्र राज्य विद्युत बोर्ड को नोटिस जारी किया था।
The #SupremeCourt accepeted a plea by the #Maharashtra government to close
— AshishTripathi (@Ashtripathi13) April 11, 2019
the Enron-Dabhol power project case wherein it was alleged the money was paid to politicians and bureaucrats to clinch the deal.@DeccanHerald
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