FCI ने e-auction के तीसरे दौर में थोक उपभोक्ताओं को 5.08 लाख टन गेहूं बेचा

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पहले दो दौर में, खाद्यान्न और गेहूं के आटे की खुदरा कीमतों को कम करने के कदमों के तहत खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत लगभग 13 लाख टन गेहूं थोक उपयोगकर्ताओं को बेचा गया है। अगली साप्ताहिक ई-नीलामी एक मार्च को होगी।

भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने बुधवार को हुई ई-नीलामी के तीसरे दौर में आटा चक्की जैसे थोक उपभोक्ताओं को 5.08 लाख टन गेहूं की बिक्री की। पहले दो दौर में, खाद्यान्न और गेहूं के आटे की खुदरा कीमतों को कम करने के कदमों के तहत खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत लगभग 13 लाख टन गेहूं थोक उपयोगकर्ताओं को बेचा गया है। अगली साप्ताहिक ई-नीलामी एक मार्च को होगी। एफसीआई के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक अशोक के मीणा ने पीटीआई-को बताया, ‘‘आज ओएमएसएस के तहत थोक उपभोक्ताओं को करीब 5.08 लाख टन गेहूं बेचा गया है।’’

सरकार ने 25 जनवरी को घोषणा की कि वह 30 लाख टन गेहूं खुले बाजार में उतारेगी। गेहूं और गेहूं आटा की खुदरा कीमतों को कम करने के लिए ओएमएसएस के तहत गेहूं की बिक्री की जा रही है। खुदरा गेहूं की कीमतों को और नरम करने के लिए, सरकार ने हाल ही में थोक उपयोगकर्ताओं को एफसीआई गेहूं की आरक्षित कीमत भी कम कर दी और खुले बाजार में अतिरिक्त 20 लाख टन गेहूं की बिक्री की भी घोषणा की। ओएमएसएस नीति की घोषणा के बाद खाद्य मंत्रालय ने कहा है कि गेहूं और आटे की कीमतों में कमी आई है लेकिन फिर भी जनवरी 2023 के लिए मुद्रास्फीति का आंकड़ा तीन महीने के उच्च स्तर 6.52 प्रतिशत पर था।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, बुधवार को प्रमुख शहरों में गेहूं की औसत कीमत 33.09 रुपये प्रति किलोग्राम थी, जबकि गेहूं आटा की औसत कीमत 38.75 रुपये प्रति किलोग्राम थी। पिछले सप्ताह मंत्रालय ने उचित और औसत (एफएक्यू) गुणवत्ता वाले गेहूं का आरक्षित मूल्य घटाकर 2,150 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया, जबकि कुछ गुणवत्ता में कमी वाले (यूआरएस) गेहूं का आरक्षित मूल्य 2,125 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया। ये नए आरक्षित मूल्य ई-नीलामी के जरिए गेहूं की तीसरी बिक्री से लागू थे।

इसके अलावा, एनसीसीएफ/नेफेड/केंद्रीय भंडार/राज्य सरकार सहकारी समितियों/महासंघों के साथ-साथ सामुदायिक रसोई/धर्मार्थ/एनजीओ आदि को गेहूं को आटे में बदलने और फिर उपभोक्ताओं को 27.50 रुपये प्रति किलो के भाव बेचने के लिए गेहूं की दर को घटाकर 21.50 रुपये प्रति किलोग्राम कर दिया गया है। कुल 50 लाख टन गेहूं में से, एफसीआई 45 लाख टन गेहूं, आटा मिलों जैसे थोक उपभोक्ताओं को ई-नीलामी के माध्यम से और 2 लाख टन गेहूं राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों को बेच रहा है।

गेहूं को आटे में बदलने के लिए तीन लाख टन गेहूं संस्थानों और राज्य-सार्वजनिक उपक्रमों को रियायती दर पर उपलब्ध कराया जा रहा है। कीमतों को नियंत्रित करने के लिए केंद्र ने पिछले साल मई में गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। भारत का गेहूं उत्पादन फसल वर्ष 2021-22 (जुलाई-जून) में पिछले वर्ष के 10 करोड़ 95.9 लाख टन से घटकर 10 करोड़ 77.4 लाख टन रह गया, जो कुछ उत्पादक राज्यों में गर्मी की लू चलने के कारण हुआ था।

पिछले साल के लगभग 4.3 करोड़ टन की खरीद के मुकाबले इस साल खरीद भारी गिरावट के साथ 1.9 करोड़ टन रह गई। मौजूदा फसल वर्ष 2022-23 में गेहूं खेती के अधिक रकबे और बेहतर उपज के कारण गेहूं का उत्पादन बढ़कर 11 करोड़ 21.8 लाख टन होने का अनुमान है। हालांकि, प्रमुख उत्पादक राज्यों में इस महीने के दौरान तापमान में वृद्धि फिर से कृषि वैज्ञानिकों और नीति निर्माताओं के लिए चिंता का विषय बन गई है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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