वैश्विक संकेतों, रुपये के रूख से तय होगी बाजार की दिशा
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, ‘‘बाजार ऐसा दर्शा रहा है कि उसने चुनाव नतीजों को समायोजित कर लिया है।
नयी दिल्ली। अमेरिका-चीन के व्यापार संबंध, ब्याज दरों पर फेडरल रिजर्व के रुख, कच्चे तेल की कीमतों तथा रुपये के उतार-चढ़ाव से इस सप्ताह शेयर बाजार की दिशा तय होगी। विशेषज्ञों ने यह राय जताई है। कुछ विश्लेषकों का कहना है कि राज्यों के विधानसभा चुनावों के नतीजे आने और रिजर्व बैंक के नए गवर्नर की नियुक्ति का काम तेजी से होने से शेयर बाजारों में ‘राहत भरी तेजी’ भी देखने को मिल सकती है क्योंकि उम्मीद की जा रही है कि सरकार नकदी की स्थिति को सुधारने के लिए और कदम उठाएगी।
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— BSE India (@BSEIndia) December 14, 2018
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, ‘‘बाजार ऐसा दर्शा रहा है कि उसने चुनाव नतीजों को समायोजित कर लिया है। नवंबर महीने में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति घटकर 2.33 प्रतिशत पर आ गई है जबकि औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर 8.1 प्रतिशत पर पहुंच गई है। साथ ही रिजर्व बैंक ने अपने रुख को धीरे धीरे सख्त करने से तटस्थ किया है। इससे बाजार भागीदारों का भरोसा बढ़ेगा।’’
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वैश्विक मोर्चे पर बात की जाए तो फेडरल रिजर्व की एफओएमसी की बैठक सप्ताह के मध्य में होनी है। इससे 2019 में अमेरिकी केंद्रीय बैंक के रुख का अंदाजा लगेगा। विशेषज्ञों ने कहा कि निवेशकों की निगाह अमेरिका चीन व्यापार संबंधों पर भी रहेगी। ओपेक और रूस जनवरी से कच्चे तेल का उत्पादन घटाने पर सहमत हुए हैं। इसके बावजूद कच्चे तेल के दाम नीचे आए हैं क्योंकि अमेरिकी शैल तेल का उत्पादन बढ़ा है।बीते सप्ताह बंबई शेयर बाजार का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 288 अंक या 0.81 प्रतिशत चढ़कर 35,962.93 अंक पर पहुंच गया।
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