Hindenburg रिसर्च की रिपोर्ट कई कंपनियों पर डाल चुकी है असर

Hindenburg research report
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कनेक्टिकट यूनिवर्सिटी से अंतरराष्ट्रीय व्यापार प्रबंधन की पढ़ाई करने वाले नैथन एंडरसन ने वर्ष 2017 में इस फॉरेंसिक वित्तीय शोध कंपनी की बुनियाद रखी थी। उस समय एंडरसन ने कारोबार जगत की मानव-निर्मित त्रासदियों की पहचान को इसकाउद्देश्य घोषित किया था।

अडाणी समूह की कंपनियों पर गंभीर अनियमितता का आरोप लगाने वाली अमेरिकी वित्तीय शोध कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च की शुरुआत छह साल पहले दुनिया की बड़ी कंपनियों में गड़बड़ियों का पता लगाने और उनके शेयरों पर दांव लगाने के इरादे से की गई थी। कनेक्टिकट यूनिवर्सिटी से अंतरराष्ट्रीय व्यापार प्रबंधन की पढ़ाई करने वाले नैथन एंडरसन ने वर्ष 2017 में इस फॉरेंसिक वित्तीय शोध कंपनी की बुनियाद रखी थी। उस समय एंडरसन ने कारोबार जगत की मानव-निर्मित त्रासदियों की पहचान को इसकाउद्देश्य घोषित किया था।

इस नामकरण के साथ ही उन्होंने आठ दशक पहले की उस मानव-निर्मित त्रासदी की याद ताजा कर दी जिसमें करीब 35 लोगों की दुखद मौत हो गई थी। दरअसल 1937 में हाइड्रोजन गैस से चलने वाला एक वायुयान न्यूजर्सी में आग लगने की वजह से धराशायी हो गया था। इसे मानव-निर्मित त्रासदी बताया गया था क्योंकि करीब 100 लोगों को अत्यधिक ज्वलनशील गैस से चलने वाले वायुयान में बिठा दिया गया था। उस दुर्भाग्यशाली वायुयान का नाम हिंडनबर्ग था।

हिंडनबर्ग के नाम पर गठित इस अमेरिकी फर्म ने कुछ दिनों पहले जब दुनिया के सर्वाधिक धनी लोगों में शुमार गौतम अडाणी की अगुवाई वाले समूह की कंपनियों के बारे में एक रिपोर्ट जारी की तो शेयर बाजार के दो कारोबारी दिवसों में ही इन कंपनियों की पूंजी 51 अरब डॉलर घट गई। इसके साथ ही अडाणी अरबपतियों की सूची में चार पायदान नीचे आ गए। अडाणी समूह की प्रतिनिधि कंपनी अडाणी एंटरप्राइजेज का 20,000 करोड़ रुपये का अनुवर्ती सार्वजनिक निर्गम (एफपीओ) शुक्रवार को ही खुलने वाला था।

इसके ऐन पहले आई हिंडनबर्ग रिपोर्ट से इसके शेयरों में बड़ी गिरावट आई। रिपोर्ट के मुताबिक, अडाणी समूह दशकों से ‘खुले तौर पर शेयरों में गड़बड़ी और लेखा धोखाधड़ी’ में शामिल रहा है। हालांकि समूह ने इस रिपोर्ट को नकारते हुए कहा है कि हिंडनबर्ग रिसर्च ने गलत इरादे से बिना कोई शोध और पूरी जानकारी के रिपोर्ट जारी की है। अडाणी समूह की तरफ से निवेशकों को आश्वस्त करने की यह कोशिश कामयाब नहीं हो पाई है।

शुक्रवार को इस रिपोर्ट का निवेशकों पर बेहद नकारात्मक असर देखा गया और समूह की ज्यादातर कंपनियों के शेयर 20 प्रतिशत तक टूट गए। इसकी वजह से शेयर बाजार तीन महीनों के निचले स्तर पर आ गए। भारतीय शेयर बाजार में कोहराम मचा देने वाली हिंडनबर्ग रिसर्च खुद को एक एक्टिविस्ट निवेश शोध कंपनी बताती है। इसके अलावा यह शेयरों की शॉर्ट सेलिंग से भी जुड़ी हुई है। शॉर्ट सेलिंग के तहत उधार लिए गए शेयरों को इस उम्मीद में बेचा जाता है कि बाद में निचले स्तर पर उसे खरीद लिया जाएगा।

शेयरों की कीमतें उम्मीद के मुताबिक गिरने पर ‘शॉर्ट सेलिंग’ करने वाले कारोबारियों को तगड़ा मुनाफा होता है। हिंडनबर्ग ‘शॉर्ट सेलिंग’ के लिए चुनिंदा शेयरों में निवेश अपनी पूंजी से करती है। हालांकि वह इसके लिए सही कंपनी का चुनाव पर्याप्त शोध के बाद करती है। इस शोध में उसका ध्यान लेखांकन गड़बड़ियों, कुप्रबंधन एवं अघोषित लेनदेन जैसे मानव-निर्मित त्रासदियों पर होता है।

खास तौर पर कंपनियों में लेखांकन से जुड़ी गड़बड़ियों, प्रबंधन या प्रमुख सेवा प्रदाताओं की भूमिका में गलत लोगों की मौजूदगी, संबंधित पक्ष के अघोषित लेनदेन, गैरकानूनी या अनैतिक कारोबारी एवं वित्तीय तौर-तरीकों के अलावा नियामकीय, उत्पाद या वित्तीय मसलों के बारे में जानकारी न देना जैसे पहलू उसके निशाने पर होते हैं। हिंडनबर्ग रिसर्च की वेबसाइट कहती है, हम अपने निवेश निर्णय-निर्माण को अपने आधारभूत विश्लेषण से समर्थन देते हैं।

वहीं हमारा मत है कि सबसे असरदार शोध परिणाम असामान्य स्रोतो से जुटाई गई सूचनाओं से उजागर होने वाले तथ्यों से निकलते हैं। हिंडनबर्ग रिसर्च की पिछली शोध रिपोर्टों के नतीजे कंपनियों की चिंताएं बढ़ा सकते हैं। अडाणी समूह से पहले इसने अमेरिका की लॉर्ड्सटाउन मोटर्स कॉर्प, निकोला मोटर कंपनी एवं क्लोवर हेल्थ के अलावा चीन की कांडी और कोलंबिया की टेक्नोग्लास के खिलाफ भी शोध रिपोर्ट प्रकाशित की थीं। वैसे इसके निशाने पर आई कंपनियों ने नियामकों से ‘शॉर्ट सेलिंग’ में भूमिका को लेकर सवाल उठाए हैं।

वहीं समर्थकों का कहना है कि यह कंपनियों की गड़बड़ियों को उजागर करती है जिससे निवेशकों को फायदा ही होता है। जहां तक हिंडनबर्ग रिसर्च के मुखिया एंडरसन का सवाल है तो वह अमेरिका लौटने के पहले इजरायल के यरुशलम में रहते थे। इस वित्तीय शोध फर्म की शुरुआत के पहले एंडरसन ने हैरी मार्कोपोलस के साथ भी किया था जिन्होंने पोंजी योजनाओं के खिलाफ मुहिम चलाई थी। हिंडनबर्ग को सबसे ज्यादा चर्चा निकोला के खिलाफ रिपोर्ट जारी करने पर मिली थी।

इसने इलेक्ट्रिक ट्रक बनाने वाली कंपनी निकोला कॉर्प के खिलाफ सितंबर, 2020 में गंभीर आरोप लगाए थे। इलेक्ट्रिक ट्रक के प्रदर्शन संबंधी दावों के गलत पाए जाने के बाद आज निकोला कॉर्प का पूंजीकरण सिर्फ 1.34 अरब डॉलर रह गया है जबकि एक समय यह 34 अरब डॉलर पर पहुंच गया था। कंपनी की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक इसने अब तक दर्जन से अधिक कंपनियों में गड़बड़ियों को सामने लाया है। इनमें विन्स फाइनेंस, एससी वर्क्स, ब्लूम एनर्जी भी शामिल हैं। लगभग सभी मामलों में रिपोर्ट जारी करने के बाद हिंडनबर्ग को कानूनी एवं नियामकीय कार्रवाइयों का सामना करना पड़ा है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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