IBA ने कहा कि बायोगैस अवशेषों के लिए सरकार को 1,000 करोड़ रुपये का कोष बनाना चाहिए

biogas residues
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बायोगैस संयंत्र फसलों के अवशिष्ट, जानवरों के गोबर, नगरीय अपशिष्ट और सब्जियों के कचरे जैसे ऑर्गेनिक अवशिष्ट को स्वच्छ बायोगैस में बदल देते हैं। इस प्रक्रिया में अवशिष्ट के तौर पर एफओएम पैदा होता है।

इंडियन बायोगैस एसोसिएशन (आईबीए) ने बायोगैस अवशिष्ट फर्मेंटेड ऑर्गेनिक मेन्योर (एफओएम) के कृषि क्षेत्र में उर्वरक के तौर पर इस्तेमाल बढ़ाने के लिए सरकार से 1,000 करोड़ रुपये का कोष बनाने का अनुरोध किया है। बायोगैस संयंत्र फसलों के अवशिष्ट, जानवरों के गोबर, नगरीय अपशिष्ट और सब्जियों के कचरे जैसे ऑर्गेनिक अवशिष्ट को स्वच्छ बायोगैस में बदल देते हैं। इस प्रक्रिया में अवशिष्ट के तौर पर एफओएम पैदा होता है।

आईबीए ने एक बयान में कहा कि देश भर के बायोगैस संयंत्रों से करीब 2,000 टन एफओएम अवशिष्ट हर रोज निकलता है जिसका इस्तेमाल कृषि क्षेत्र में किया जा सकता है। इसके लिए सरकार को आगामी बजट में एक कोष बनाने की घोषणा करनी चाहिए। बायोगैस क्षेत्र के इस निकाय ने अपनी बजट अनुशंसा में कहा है कि खेतों में जैविक उर्वरक के तौर पर एफओएम के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए 1,000 करोड़ रुपये का एक कोष बनाने की घोषणा सरकार करे।

आईबीए ने कहा, यह कोष जरूरी है ताकि सरकारी प्रतिनिधियों, उद्योग संगठनों एवं बायोगैस से जुड़े लोगों की एक समिति बनाकर समूची प्रक्रिया तय की जा सके। इस कोष का एक हिस्सा जैव-उर्वरकों के उत्पादकों को प्रोत्साहित करने और अनुबंध खेती जैसे अलग-अलग कारोबारी मॉडल को आजमाने में हो सकता है। बायोगैस निकाय ने कहा कि सरकार जैविक पौष्टिक उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए हरेक यूरिया बोरी की खरीद पर जैव-उर्वरक की खरीद को अनिवार्य करने के बारे में पहले से ही विचार कर ही है। बायोगैस अवशिष्ट से बना उर्वरक एफओएम इस पहल को और मजबूती देगा।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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