अमेरिका में आ रही मुद्रास्फीति, भारतीय शेयर बाजार पर पड़ सकता है असर
मार्च के महीने में इंफ्लेशन रेट 0.4% रहा जिसका अनुमान 0.3% था। वहीं सालाना आधार पर ये स्तर 3.4% रहना था जो असल में 3.5% रहा। अमेरिका में महंगाई होने का एक कारण डाओ जोन्स भी है, जो 500 अंकों से अधिक नीचे गिर गया है।
अमेरिका में इन दिनों महंगाई काफी अधिक बढ़ गई है। अमेरिका में महंगाई का आंकड़ा अनुमान से अधिक है। मार्च के महीने में कोर इंफ्लेशन रेट मंथली आधार पर 0.4% दर्ज किया गया है, जबकि अनुमान था कि ये 0.3% पर रहेगा। वहीं सालाना आधार पर कोर इंफ्लेशन रेट 3.8% का रहा, जो 3.7% रहना था। मार्च के महीने में इंफ्लेशन रेट 0.4% रहा जिसका अनुमान 0.3% था। वहीं सालाना आधार पर ये स्तर 3.4% रहना था जो असल में 3.5% रहा। अमेरिका में महंगाई होने का एक कारण डाओ जोन्स भी है, जो 500 अंकों से अधिक नीचे गिर गया है।
रीटेल इंफ्लेशन का डेटा
शुक्रवार को अमेरिकी बाजार में सप्ताह का अंतिम दिन है। इस दिन भारतीय बाजार भी खुलेगा। अमेरिकी बाजार में आई गिरावट के कारण महंगाई में तेजी देखने को मिली है, जिसका असर यहां भी दिख रहा है। इससे पहले भारतीय शेयर बाजार ने बुधवार को पहली बार सेंसेक्स 75 हजार के पार पहुंचा था। इस दौरान सेंसेक्स ने 75038 अंक का आंकड़ा छुआ था। वहीं निफ्टी 22753 पर बंद हुआ था।
निफ्टी के लिए सपोर्ट
बाजार रिकॉर्ड स्तर पर बना हुआ है। मगर इस दौरान वॉल्यूम नहीं दिखाई दे रहा है। इस कारण निफ्टी 22529-22775 के रेंज में कुछ समय के लिए पहुंच सकता है। निफ्टी के लिए इमीडिएट आधार पर 22615 पर सपोर्ट उपलब्ध है। अगर ये 22800 के पार होता है तो नई तेजी बाजार में देखने को मिल सकती है, मगर इसे विशेषज्ञ के रुकावट के तौर पर देख रहे है। इनके उतार चढ़ाव पर ग्लोबल इवेंट्स काफी मायने रखेंगे, जिससे आगे के मूवमेंट भी तय होंगे।
ऐसा था बीते दिन बाजार का हाल
अमेरिकी बाजार बृहस्पतिवार को मुख्यत: सकारात्मक रुख के साथ बंद हुए। वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड वायदा 0.58 प्रतिशत की बढ़त के साथ 90.26 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा था। शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने बुधवार को शुद्ध रूप से 2,778.17 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर खरीदे।
अन्य न्यूज़