पर्यावरण मुद्दों पर बैंकों के बोर्ड स्तर के प्रबंधन की भागीदारी अपर्याप्त: रिजर्व बैंक सर्वे

Climate Change
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रिजर्व बैंक ने बुधवार को बयान में कहा कि जलवायु जोखिम और टिकाऊ वित्त पर इस साल जनवरी में किए गए सर्वेक्षण में 34 प्रमुख अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों को शामिल किया गया। इसमें सार्वजनिक क्षेत्र के 12 बैंक, निजी क्षेत्र के 16 बैंक और भारत के छह प्रमुख विदेशी बैंक शामिल हैं।

मुंबई|  जलवायु जोखिम और टिकाऊ वित्त से संबंधित मुद्दों पर बैंकों में शीर्ष प्रबंधन की भागीदारी ‘अपर्याप्त’ है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के एक सर्वेक्षण में यह बात सामने आई। इसमें कहा गया कि बैंकों को पर्यावरण संबंधी मामलों पर पहल करने की जरूरत है।

जलवायु जोखिम और टिकाऊ वित्त ने दुनियाभर के नियामकों, राष्ट्रीय प्राधिकरणों और उच्चस्तरीय राष्ट्रीय प्राधिकरणों का ध्यान खींचा है। जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकार समिति (आईपीसीसी) की अगस्त, 2021 की रिपोर्ट ने जलवायु परिवर्तनों पर प्रकाश डाला।

रिजर्व बैंक ने बुधवार को बयान में कहा कि जलवायु जोखिम और टिकाऊ वित्त पर इस साल जनवरी में किए गए सर्वेक्षण में 34 प्रमुख अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों को शामिल किया गया। इसमें सार्वजनिक क्षेत्र के 12 बैंक, निजी क्षेत्र के 16 बैंक और भारत के छह प्रमुख विदेशी बैंक शामिल हैं।

बयान में कहा गया कि प्रतिक्रियाओं से संकेत मिलता है कि बैंकों ने जलवायु जोखिम और टिकाऊ वित्त के क्षेत्र में कदम उठाने की शुरुआत कर दी है, लेकिन इस संबंध में ठोस प्रयासों की जरूरत है।

केंद्रीय बैंक ने कहा कि अधिकांश बैंकों के पास स्थिरता और ईएसजी (पर्यावरण, सामाजिक एवं प्रशासन) से संबंधित पहल के लिए एक अलग व्यावसायिक इकाई नहीं थी।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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