जीडीपी वृद्धि की धीमी दर से चिंतित नहीं, कुछ चीजों के अपने प्रभाव होंगे: प्रणब मुखर्जी

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[email protected] । Dec 12 2019 9:03AM

मुखर्जी ने कहा कि 2008 में आर्थिक संकट के दौरान भारतीय बैंकों ने लचीलापन दिखाया था। उन्होंने कहा तब मैं वित्त मंत्री था। सार्वजनिक क्षेत्र के एक भी बैंक ने धन के लिए मुझसे संपर्क नहीं किया। मुखर्जी ने कहा कि अब सार्वजनिक क्षेत्र को बड़े पैमाने पर पूंजी की जरूरत है और इसमें कुछ भी गलत नहीं है।

कोलकाता। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने बुधवार को कहा कि आर्थिक मंदी को लेकर वह चिंतित नहीं हैं क्योंकि ‘‘जो कुछ चीजें’’ हो रही हैं उनके अपने प्रभाव होंगे। संप्रग सरकार में वित्त मंत्री रहे मुखर्जी ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में पूंजी डालने में कुछ भी गलत नहीं है। भारतीय सांख्यिकीय संस्थान के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘देश में जीडीपी वृद्धि की धीमी दर को लेकर मैं चिंतित नहीं हूं। कुछ चीजें हो रही हैं जिनके अपने प्रभाव होंगे।’’ 

मुखर्जी ने कहा कि 2008 में आर्थिक संकट के दौरान भारतीय बैंकों ने लचीलापन दिखाया था। उन्होंने कहा, ‘‘तब मैं वित्त मंत्री था। सार्वजनिक क्षेत्र के एक भी बैंक ने धन के लिए मुझसे संपर्क नहीं किया।’’ मुखर्जी ने कहा कि अब सार्वजनिक क्षेत्र को बड़े पैमाने पर पूंजी की जरूरत है और इसमें कुछ भी गलत नहीं है। पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि लोकतंत्र में समस्याओं के समाधान के लिए वार्ता महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, ‘‘वार्ता जरूरी है।’’ उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में डाटा की शुचिता भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। मुखर्जी ने कहा, ‘‘डाटा की शुचिता बनाए रखी जानी चाहिए। अन्यथा इसका खतरनाक प्रभाव होगा।

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