मुद्रास्फीति को लेकर आशावान है भारतीय रिजर्व बैंक

मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक ने भूस्थतिक जोखिमों के साथ कमजोर वैश्विक मांग व निम्न निजी निवेश के कारण अगले साल वृद्धि को जोखिमों के प्रति आगाह किया। हालांकि केंद्रीय बैंक ने मौजूदा वित्त वर्ष के दौरान 2-6 प्रतिशत के मुद्रास्फीतिक लक्ष्य को पाने का भरोसा जताया है। केंद्रीय बैंक ने मंगलवार को जारी मौद्रिक नीति रपट में कहा है, '2016-17 के लिए मुद्रास्फीतिक परिदृश्य सुधारा है लेकिन चार प्रतिशत के लक्ष्य को पाने के लिए कड़ी निगरानी जरूरी है। खपत में वृद्धि से 2016-17 में वास्तविक सकल मूल्य वर्धन (आरजीवीए) में सुधार की संभावनाएं बेहतर हुईं हैं लेकिन निजी निवेश हल्का रहने व कमजोर वैश्विक मांग के चलते 2017-18 में वृद्धि की गति को पर अंकुश लग सकता है।’ बावजूद इसके आरबीआई ने मौजूदा वित्त वर्ष में सकल मूल्य वर्धन (जीवीए) पर आधारित आर्थिक वृद्धि 7.6 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। अगले साल यह 7.9 प्रतिशत रहने की संभावना है। केंद्रीय बैंक ने कहा है कि दालों, फलों, सब्जियों व अनाज के तहत आने वाले संवेदनशील उत्पादों के दैनिक भावों से संकेत मिलता है कि खाद्य कीमतें जुलाई में चढ़ सकती हैं।तीसरी तिमाही में खाद्य मुद्रास्फीति के कमजोर रख के मद्देनजर केंद्रीय बैंक ने उम्मीद जताई कि यह रकम आने वाले महीनों में भी बना रह सकता है।
उल्लेखनीय है कि रिजर्व बैंक के नये गवर्नर उर्जित पटेल के नेतृत्व में हुई पहली मौद्रिक नीति समीक्षा में आज नीतिगत ब्याज दर रेपो में 0.25 प्रतिशत की बहुप्रतीक्षित कटौती कर दी गई। नवगठित मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के तहत हुई इस पहली समीक्षा में समिति के सभी छह सदस्य दरों में कटौती के पक्ष में रहे। इस कटौती के बाद आरबीआई की रेपो दर 6.25 प्रतिशत रह गयी है जो पिछले छह साल का इसका न्यूनतम स्तर है। केंद्रीय बैंक ने उम्मीद जताई कि इस साल के बाकी तिमाहियों में जिंस कीमतें नियंत्रण में रहेंगी।रिजर्व बैंक का कहना है कि वस्तु व सेवा कर (जीएसटी) का असर अप्रैल 2017 से शुरू हो सकता है और यह 12-18 महीने तक रहेगा। इसने कहा है, 'सीपीआई मुद्रास्फीति पर जीएसटी का असर मुख्य रूप से जीएसटी परिषद द्वारा तय मानक दर पर निर्भर करेगा..।'
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