SC का जेपी समूह की यमुना एक्सप्रेसवे परियोजना को अलग रखने के आग्रह नामंजूर

नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने विवादों में घिरी जयप्रकाश एसोसियेट्स लिमिटेड को उसकी ग्रेटर नोएडा से आगरा को जोड़ने वाले करोड़ों रुपये की छह लेने वाली यमुना एक्सप्रेसवे परियोजना से जुड़े उसके अधिकारों को पूरे मामले से अलग रखने की अनुमति देने से इनकार कर दिया। हालांकि, शीर्ष अदालत ने कंपनी को मकान खरीदारों के हितों की रक्षा संबंधी मामले में पिछले आदेश के तहत 2000 करोड़ रुपये जमा करने की समय सीमा को 27 अक्तूबर से बढ़ाकर पांच नवंबर कर दिया।
मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, ‘‘हम 11 सितंबर को दिये गये अपने आदेश में संशोधन के आवेदन पर विचार नहीं कर रहे हैं। हालांकि, हम 2,000 करोड़ रुपये जमा करने की अंतिम तिथि बढ़ाकर पांच नवंबर कर रहे हैं।’’ जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड ने शीर्ष अदालत से यह आग्रह किया था कि उसके यमुना एक्सप्रेसवे के अधिकारों को अलग रखा जाये तथा दो हजार करोड़ रुपये जमा करने के 11 सितंबर के आदेश को वापस ले लिया जाये अथवा उसमें कुछ बदलाव कर दिया जाये।
पीठ में न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ भी शामिल हैं। पीठ ने कंपनी के आवेदन का निपटान करते हुये कहा कि वह फ्लैट खरीदारों के मुद्दे को बाद में देखेगी।
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