दूरसंचार विधेयक उद्योग के पुनर्गठन, नवाचार के लिए रास्ता तैयार करेगा: अश्विनी वैष्णव

Ashwini Vaishnav
ANI

अश्विनी वैष्णव ने कहा कि डिजिटल दुनिया को व्यापक कानूनों की जरूरत है और प्रधानमंत्री ने दूरसंचार मंत्रालय को लक्ष्य दिया है कि भारत के डिजिटल कानून के नियामकीय ढांचे को वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाया जाए।

नयी दिल्ली। नया दूरसंचार विधेयक उद्योग के पुनर्गठन और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए एक स्पष्ट रास्ता तैयार करेगा। दूरसंचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बृहस्पतिवार को यह बात कही। उन्होंने ‘पब्लिक अफेयर्स फोरम ऑफ इंडिया’ के एक कार्यक्रम में कहा कि अगले डेढ़ से दो साल में सरकार पूरे डिजिटल नियामक ढांचे को नया रूप देगी। इसका मकसद सामाजिक उद्देश्यों, व्यक्तियों के कर्तव्य और अधिकार, प्रौद्योगिकी ढांचे आदि के बीच संतुलन कायम करना है। 

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वैष्णव ने कहा, ‘‘उद्योग विभिन्न चरणों से होकर गुजरता है। कभी कारोबारी वातावरण, प्रौद्योगिकी बदलाव और विभिन्न अन्य कारकों के चलते। इसलिए पुनर्गठन की जरूरत होती है। इसे विधेयक में कैसे शामिल करें, ताकि उद्योग को एक बेहद स्पष्ट रास्ता मिल सके? उन्होंने कहा, ‘‘पुनर्गठन के लिए इन बातों का ध्यान रखना होगा। ये वो बातें हैं, जो मेरा अधिकार हैं। इसलिए विधेयक में इस तरह की स्पष्ट रूपरेखा दी गई है।’’ उन्होंने कहा कि डिजिटल दुनिया को व्यापक कानूनों की जरूरत है और प्रधानमंत्री ने दूरसंचार मंत्रालय को लक्ष्य दिया है कि भारत के डिजिटल कानून के नियामकीय ढांचे को वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाया जाए। 

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मंत्री ने कहा, ‘‘इसका मतलब यह नहीं है कि हम बस घूमते हैं और दुनिया में जो कुछ भी सबसे अच्छा है, उसकी नकल करते हैं। इसका मतलब है कि हमने एक डिजिटल कानूनी ढांचा बनाने का लक्ष्य रखा है, जिसके लिए दुनिया को अध्ययन करना चाहिए। यह एक बहुत बड़ा लक्ष्य तो है, लेकिन यह संभव है।’’ दूरसंचार विधेयक-2022 के मसौदे के अनुसार व्हॉट्सएप, जूम और गूगल डुओ जैसे ‘ओवर-द-टॉप’ ऐप, जो कॉलिंग और मैसेजिंग सेवाएं देते हैं, उन्हें देश में काम करने के लिए लाइसेंस की जरूरत हो सकती है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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