Prabhasakshi NewsRoom: Economy के मोर्चे पर लगातार आ रही हैं अच्छी खबरें, बेरोजगारी-महंगाई घट रही है और लोगों की आमदनी बढ़ रही है

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एसबीआई की एक रिपोर्ट में कहा गया है, 'भारत की बेरोजगारी दर रिकॉर्ड निचले स्तर पर है और सभी क्षेत्रों में उद्यमिता सहित श्रम बाजार एक गहरे संरचनात्मक परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है। उच्च शिक्षा प्राप्ति प्रमुख उत्प्रेरक के रूप में उभर रही है।'

अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर देश को लगातार अच्छी खबरें मिल रही हैं। बेरोजगारी और महंगाई तेजी से घट रही है, लोगों की आमदनी बढ़ रही है, उपभोक्ता सामानों की बिक्री में बड़ा उछाल आ रहा है खासतौर पर मेड इन इंडिया उत्पाद ग्राहकों की पहली पसंद बन गये हैं जिससे देश आर्थिक क्षेत्र में तेजी से मजबूत होता जा रहा है। भारत को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने के लक्ष्य के साथ काम कर रही मोदी सरकार की आर्थिक नीतियां शानदार परिणाम ला रही हैं। हम आपको बता दें कि भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के एक अर्थशास्त्री ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि भारत की बेरोजगारी दर रिकॉर्ड निचले स्तर पर है और देश का श्रम बाजार संरचनात्मक परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है। रिपोर्ट में एसबीआई के अर्थशास्त्रियों ने रोजगार जैसे विषय पर पुराने जमाने की टिप्पणियों की फिर से व्याख्या करने की वकालत भी की।

रिपोर्ट में कहा गया है, 'भारत की बेरोजगारी दर रिकॉर्ड निचले स्तर पर है और सभी क्षेत्रों में उद्यमिता सहित श्रम बाजार एक गहरे संरचनात्मक परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है। उच्च शिक्षा प्राप्ति प्रमुख उत्प्रेरक के रूप में उभर रही है।' रिपोर्ट में कहा गया कि प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई) और पीएम-स्वनिधि जैसी योजनाओं के माध्यम से उद्यमिता पर सरकार के जोर से निचले पायदान पर मौजूद लोगों को समर्थन मिला है। इस वजह से भारत में श्रम बाजार एक संरचनात्मक परिवर्तन से गुजर रहा है।

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महंगाई भी कम हो रही है

जहां तक महंगाई की बात है तो आपको बता दें कि थोक मुद्रास्फीति अक्टूबर में शून्य से 0.52 प्रतिशत नीचे रही है। यह लगातार सातवां महीना है जबकि थोक मुद्रास्फीति शून्य से नीचे बनी हुई है। विशेषज्ञों ने कहा कि सब्जियों की कीमतों में उतार-चढ़ाव, अधिकतर खाद्य पदार्थों की घरेलू कीमतों में बढ़ोतरी के साथ-साथ प्रतिकूल आधार प्रभाव से थोक मुद्रास्फीति निकट भविष्य में बढ़ सकती है। हम आपको बता दें कि 

थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित मुद्रास्फीति अप्रैल से लगातार शून्य से नीचे बनी है। सितंबर में यह शून्य से 0.26 प्रतिशत नीचे थी। अक्टूबर, 2022 में थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति 8.67 प्रतिशत थी। अक्टूबर में खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति घटकर 2.53 प्रतिशत पर आ गई। सितंबर में यह 3.35 प्रतिशत थी। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने इस बारे में कहा, ‘‘अक्टूबर 2023 में मुद्रास्फीति शून्य से नीचे रही। इसकी मुख्य वजह पिछले वर्ष के इसी महीने की तुलना में रसायनों और रासायनिक उत्पादों, बिजली, कपड़ा, बुनियादी धातुओं, खाद्य उत्पादों, कागज और कागज उत्पादों आदि की कीमतों में गिरावट रही।’’ डब्ल्यूपीआई के शून्य से नीचे रहने का अर्थ है कि कुल थोक कीमतों में सालाना आधार पर गिरावट आ रही है। 

वैश्विक वित्तीय सेवा कंपनी बार्कलेज के प्रबंध निदेशक एवं ईएम (उभरते बाजार) एशिया अर्थशास्त्र के प्रमुख राहुल बाजोरिया ने इस बारे में कहा कि कुल मिलाकर मुद्रास्फीति मोटे तौर पर नियंत्रण में बनी हुई है। स्थिर रुपये, प्रबंधन योग्य ऊर्जा लागत और ईंधन कीमतों पर कर नीति से मुद्रास्फीति को स्थिर सीमा में रखने में मदद मिल रही है। हम आपको बता दें कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष (2023-24) में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति 5.4 प्रतिशत पर रहेगी। पिछले वित्त वर्ष 2022-23 में यह 6.7 प्रतिशत रही थी।

वहीं अगर खुदरा मुद्रास्फीति की बात करें तो इसके आंकड़े भी दर्शा रहे हैं कि अक्टूबर से महंगाई में नरमी जारी है। सब्जियों समेत अन्य खाने का सामान सस्ता होने से अक्टूबर में खुदरा मुद्रास्फीति चार महीने के निचले स्तर 4.87 प्रतिशत पर आ गयी है। इसके साथ ही यह भारतीय रिजर्व बैंक के खुदरा महंगाई के चार प्रतिशत के लक्ष्य के करीब पहुंच गयी है। आंकड़ों के अनुसार, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा मुद्रास्फीति (सीपीआई) सितंबर में तीन महीने के निचले स्तर 5.02 प्रतिशत पर थी। इससे पहले, जून में महंगाई दर 4.87 प्रतिशत दर्ज की गयी थी। हम आपको बता दें कि सरकार ने आरबीआई को खुदरा महंगाई दर को दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर रखने की जिम्मेदारी दी हुई है। केंद्रीय बैंक द्विमासिक मौद्रिक नीति पर विचार करते समय मुख्य रूप से खुदरा मुद्रास्फीति पर गौर करता है।

तेल और वसा खंड में मुद्रास्फीति घटकर 13.73 प्रतिशत रही। सब्जियों, मांस और मछली तथा प्रकाश तथा ईंधन के मामले में भी महंगाई नरम रही। राज्यों में ओड़िशा, राजस्थान और हरियाणा में मुद्रास्फीति छह प्रतिशत से ऊपर रही। बिहार, गुजरात, कर्नाटक, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश और पंजाब में मुद्रास्फीति राष्ट्रीय औसत 4.87 प्रतिशत से अधिक रही। सबसे कम मुद्रास्फीति छत्तीसगढ़ और दिल्ली में रही। राष्ट्रीय स्तर पर ग्रामीण इलाकों में खुदरा मुद्रास्फीति 5.12 प्रतिशत रही जो शहरों में 4.62 प्रतिशत है।

इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि मानसून के असमान रहने के बाद खाद्यान्न की कीमतों में बढ़ोतरी अक्टूबर में कीमतों में दिखाई दी है। प्याज जैसी कुछ सब्जियों की ऊंची कीमत का असर आंशिक रूप से कई अन्य सब्जियों के दाम में मौसमी गिरावट से नहीं दिखा। इससे कुछ राहत मिली है। उन्होंने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि मौद्रिक नीति समिति अपनी आगामी मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में मौजूदा नीतिगत दर को बरकरार रखते हुए आक्रामक रुख बनाये रखेगी। जहां तक नीतिगत दर में कटौती का सवाल है, वह अगस्त, 2024 में देखने को मिल सकता है...।’’ इसके अलावा कोटक महिंद्रा बैंक की मुख्य अर्थशास्त्री उपासना भारद्वाज ने कहा कि मुद्रास्फीति में नरमी कुछ राहत प्रदान करती है। खासकर जब मुख्य (कोर) मुद्रास्फीति संतोषजनक स्तर पर है। उन्होंने कहा, ‘‘कुल मिलाकर हमारा मानना है कि एमपीसी नीतिगत दर को बरकरार रखेगी। वहीं रुख को प्रबंधित करने के लिये नीतगत पहल के तहत नकदी का ज्यादा इस्तेमाल किया जाएगा।’’

दीपावली पर कारोबार

जहां तक दीपावली पर हुए कारोबार की बात है तो आपको बता दें कि देश भर में त्योहारों के दौरान खुदरा बाजारों में अच्छी रौनक देखने को मिल रही है और लगभग चार लाख करोड़ रुपये का रिकॉर्ड कारोबार हुआ है। व्यापारियों के संगठन कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने कहा कि गोवर्धन पूजा, भाई दूज, छठ पूजा के आंकड़े अभी आने हैं। इनको देखते हुए और कारोबार होने की उम्मीद है। कैट ने कहा, ‘‘इस बार हर जगह लगभग भारतीय उत्पाद बेचे और खरीदे गये। यह बड़ी बात है।’’ कैट के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि दिवाली के दौरान चीनी वस्तुओं को एक लाख करोड़ रुपये से अधिक के कारोबार से हाथ धोना पड़ा है। उन्होंने कहा, ‘‘पिछले कुछ साल में दीपावली के दौरान करीब 70 प्रतिशत बाजार पर चीनी उत्पादों का कब्जा रहता था। हालांकि, इस साल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की इस दीपावली स्थानीय वस्तुओं के उपयोग की अपील (वोकल फॉर लोकल) का प्रभाव अच्छा रहा और इसे व्यापारियों तथा उपभोक्ताओं दोनों ने अपनाया।’’

इसके अलावा ऑटोमोबाइल क्षेत्र से भी जो आंकड़े सामने आ रहे हैं वह वाहनों की बिक्री में बड़े उछाल को दर्शा रहे हैं। खास बात यह है कि ग्राहक छोटी कारों की बजाय एसयूवी और बड़े वाहनों की खरीद को तरजीह दे रहे हैं। इसी तरह रियल एस्टेट क्षेत्र से भी इस त्योहारी सीजन में घरों की बिक्री में तेजी की रिपोर्टें सामने आई हैं।

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