पाकिस्तान को उसके घर OIC से ही बेघर कर दिया भारत ने

analysis-of-indian-presence-in-oic

पाकिस्तान इस 57 इस्लामिक देशों के समूह का संस्थापक सदस्य है और अब तक का इतिहास देखें तो यहाँ उसकी बात भी सुनी जाती थी और उसकी चलती भी थी। लेकिन समय बदल चुका है, यह बात अब पाकिस्तान को स्वीकार कर लेनी चाहिए।

दुनिया भर में पाकिस्तान को अलग-थलग करने की कोशिशों में जुटी नरेंद्र मोदी सरकार को उस समय बड़ी सफलता मिली जब इस्लामिक सहयोग संगठन की बैठक से पाकिस्तान को बाहर रहने पर मजबूर कर दिया। पाकिस्तान इस 57 इस्लामिक देशों के समूह का संस्थापक सदस्य है और अब तक का इतिहास देखें तो यहाँ उसकी बात भी सुनी जाती थी और उसकी चलती भी थी। लेकिन समय बदल चुका है, यह बात अब पाकिस्तान को स्वीकार कर लेनी चाहिए। इसे निश्चित रूप से भारत की बड़ी कूटनीतिक उपलब्धि ही कहा जायेगा जिसके तहत पहली बार देश ने ओआईसी की बैठक को संबोधित किया और जोर दिया कि क्षेत्रों को अस्थिर करने वाले और विश्व को बड़े संकट में डालने वाले आतंकवाद के खिलाफ युद्ध किसी धर्म के खिलाफ नहीं है। भारत की यह भागीदारी इस्लामिक सहयोग संगठन समूह को संबोधित करने के लिए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को दिया गया आमंत्रण रद्द करने की पाकिस्तान की मजबूत मांग के बावजूद हुयी है। पाकिस्तान की इस मांग को मेजबान देश संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने स्वीकार नहीं किया और इसके फलस्वरूप पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने पूर्ण सूत्र का बहिष्कार किया। 

इसे भी पढ़ें: OIC ने भारत को निमंत्रण दरअसल पाकिस्तान की मदद करने के लिए दिया है

सुषमा स्वराज का ऐतिहासिक संबोधन

अपने संबोधन में सुषमा स्वराज ने कहा, ‘‘आतंकवाद और चरमपंथ अलग-अलग नाम हैं...आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई किसी भी धर्म के खिलाफ संघर्ष नहीं है।’’ सुषमा 57 इस्लामिक देशों के समूह को संबोधित करने वाली पहली भारतीय मंत्री हैं। इससे पूर्व 1969 में इंदिरा गांधी मंत्रिमंडल में वरिष्ठ मंत्री फखरुद्दीन अली अहमद, जो बाद में राष्ट्रपति बने, को रबात सम्मेलन में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया था। लेकिन उनके मोरक्को की राजधानी पहुंचने के बाद पाकिस्तान द्वारा जोर दिए जाने पर उनसे आमंत्रण वापस ले लिया गया था। उसके बाद से, भारत को ओआईसी के सभी विचार-विमर्श से बाहर रखा गया। 

पवित्र कुरान को किया उद्धृत

सुषमा ने अपने संबोधन में पवित्र कुरान की एक पंक्ति को उद्धृत किया जिसका अर्थ है, ‘‘धर्म में कोई बाध्यता नहीं होनी चाहिए।’’ उन्होंने कहा, 'जैसे कि इस्लाम का मतलब अमन है और अल्लाह के 99 नामों में से किसी का मतलब हिंसा नहीं है। उसी तरह दुनिया के सभी धर्म शांति, करुणा और भाईचारे का संदेश देते हैं।’’ सुषमा ने कहा, ‘‘मैं अपने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और 18.5 करोड़ मुसलमान भाइयों-बहनों सहित 1.3 अरब भारतीयों का सलाम लेकर आयी हूं। हमारे मुसलमान भाई-बहन अपने-आप में भारत की विविधता का सूक्ष्म ब्रह्मांड हैं।’’ उन्होंने कहा कि भारत में ‘बहुत ही कम’ मुसलमान चरमपंथी और रूढ़िवादी विचारधारा वाले कुप्रचार के शिकार हुए हैं। सुषमा ने कहा कि वह ऐसी धरती की प्रतिनिधि हैं जो सदियों से ज्ञान का स्रोत, शांति की मशाल, भक्ति और परंपराओं का स्रोत और दुनिया भर के धर्मों का घर रहा है तथा अब यह दुनिया की महत्वपूर्ण अर्थव्यवस्थाओं में से एक है।

इसे भी पढ़ें: जब जब पाक आतंकियों ने कहर बरपाया, LoC पार कर सबक सिखाया गया है

मुस्लिम देशों के बीच बढ़ी भारत की स्वीकार्यता

ओआईसी में भारत की उपस्थिति की जहाँ पूरी दुनिया में चर्चा हो रही है वहीं इसे मुस्लिम देशों के बीच भारत की बढ़ती स्वीकार्यता के तौर पर भी देखा जा रहा है। संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में भारत के राजदूत रहे तलमीज अहमद ने कहा है कि मुस्लिम जगत में प्रभाव संतुलन भारत के पक्ष में आ रहा है। उन्होंने ओआईसी में भारत के संबोधन को पहली बार ‘ऐतिहासिक भूल’ का सुधार करार दिया। ओआईसी में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के भाषण के बारे में अहमद ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि यह बहुत महत्वपूर्ण घटनाक्रम है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं इसे मुस्लिम जगत में प्रभाव संतुलन को भारत के पक्ष में जाते हुए और पाकिस्तान से दूर होते हुए देखता हूं।’’ उन्होंने कहा कि पचास साल पहले पाकिस्तान के एक जनरल (याहया खान) ने कहा था कि भारत को रबात प्लेटफॉर्म से हटाया जाना चाहिए। वह अचानक से हुए सत्ता परिवर्तन के तहत शासन में आये थे। अहमद ने कहा, ‘‘50 साल बाद इस ऐतिहासिक भूल को सुधारा जा रहा है। और यह महत्वपूर्ण है कि पाकिस्तान इस इस्लामी मंच से नदारद है।’’ 


50 साल पुराना साथ छूट गया !

पाकिस्तान ने भारत को मिला आमंत्रण रद्द कराने की पूरी पूरी कोशिश की लेकिन उसके प्रयास सफल नहीं हुए और आखिरकार इस मंच के 50 वर्ष के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ कि पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने इस सम्मेलन में हिस्सा नहीं लिया। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने यूएई के विदेश मंत्री से बात की और ओआईसी की बैठक में भारतीय विदेश मंत्री को विशिष्ट अतिथि के तौर पर आमंत्रित करने पर पाकिस्तान की तरफ से ऐतराज जताया। भारतीय वायुसेना के हमलों के बाद हालात को ‘‘गंभीर’’ करार देते हुए कुरैशी ने कहा कि प्रधानमंत्री इमरान खान ने भी ताजा घटनाक्रम को लेकर यूएई के युवराज शेख मोहम्मद बिन जायेद अल नाह्यान के साथ-साथ सऊदी अरब के युवराज मोहम्मद बिन सलमान से फोन पर बात की। कुरैशी ने पहले कहा था कि आईओसी हमारा घर है इसलिए हम वहां जाएंगे लेकिन सुषमा स्वराज से कोई बात नहीं होगी परन्तु बाद में उन्होंने वहाँ जाने का कार्यक्रम ही रद्द कर दिया।

इसे भी पढ़ें: सरकार को कमजोर बताने वाले बयानों से दुश्मन देश का मनोबल बढ़ेगा

भारत में इस मुद्दे पर हो रही है घरेलू राजनीति

जहाँ तक इस मुद्दे पर घरेलू राजनीति की बात है तो भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस न्योते को भारत में 18.5 करोड़ मुसलमानों की मौजूदगी और इस्लामी जगत में भारत के योगदान को मान्यता देने वाला एक स्वागत योग्य कदम बताया है। ऐसा पहली बार हुआ कि भारत को इस्लामी सहयोग संगठन की बैठक में ‘गेस्ट ऑफ ऑनर’ के तौर पर आमंत्रित किया गया। खासतौर पर पुलवामा आतंकी हमले में सीआरपीएफ के 40 जवानों के शहीद होने के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान को अलग-थलग करने के लिए उसके खिलाफ कूटनीतिक कोशिशें तेज किए जाने के बीच ओआईसी ने यह कदम उठाया। गौरतलब है कि ओआईसी आमतौर पर पाकिस्तान का समर्थक है और कश्मीर मुद्दे पर अक्सर ही पाकिस्तान का पक्ष लेता है। दूसरी ओर कांग्रेस ने कहा कि इस्लामी सहयोग संगठन के उद्घाटन सत्र में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को मिले आमंत्रण पर सरकार की खुशी से वह हैरान है। पार्टी ने इसे भारत के लोगों को गुमराह करने की बेकार की कवायद करार दिया। पार्टी के वरिष्ठ प्रवक्ता आनंद शर्मा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री स्वराज को इस्लामी सहयोग संगठन के सम्मेलन में शामिल नहीं होने के भारत के पहले से बने रुख का तब तक सम्मान करना चाहिए, जब तक कि देश की बड़ी मुस्लिम आबादी को देखते हुए उसे संगठन का पूर्णरूपेण सदस्य नहीं बनाया जाता। शर्मा ने कहा, ‘‘मैं हैरान हूं कि सरकार यूएई में ओआईसी के सम्मेलन में संबोधन के लिए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को मिले आमंत्रण का जश्न मना रही है। गलत मौके पर उत्साह दिखाया जा रहा है और यह भारत में जनता की राय को भ्रमित करने की बेकार की कवायद है।’’ 

क्या है ओआईसी ?

जहाँ तक ओआईसी की बात है तो यह संगठन इस्लामिक देशों के मध्य सभी विषयों में सहयोग को प्रोत्साहित करता है। इसका मुख्यालय जेद्दा, (सऊदी अरब) मेँ स्थित है तथा सदस्यता वाले देश हैं- अफगानिस्तान, अल्बानिया, अल्जीरिया, अज़रबैजान, बहरीन, बांग्लादेश, बेनिन, ब्रूनेई, दार-ए-सलाम, बुर्किना फासो, कैमरून, चाड, कोमोरोस, आईवरी कोस्ट, जिबूती, मिस्र, गैबॉन, गाम्बिया, गिनी, गिनी-बिसाऊ, गुयाना, इंडोनेशिया, ईरान, इराक, जार्डन, कजाखस्तान, कुवैत, किरगिज़स्तान, लेबनान, लीबिया, मलेशिया, मालदीव, माली, मॉरिटानिया, मोरक्को, मोजाम्बिक, नाइजर, नाइजीरिया, ओमान, पाकिस्तान, फिलिस्तीन, कतर, सऊदी अरब, सेनेगल, सियरा लिओन, सोमालिया, सूडान, सूरीनाम, सीरिया, ताजिकिस्तान, टोगो, ट्यूनीशिया, तुर्की, तुर्कमेनिस्तान, युगांडा, संयुक्त अरब अमीरात, उज्बेकिस्तान, यमन।

ओआईसी से इतर बैठकें

हमारी विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने आईओसी की बैठक से इतर संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, मालदीव और बहरीन जैसे इस्लामी देशों के विदेश मंत्रियों से द्विपक्षीय वार्ता की और क्षेत्रीय स्थिति पर विचारों का आदान-प्रदान किया। ओआईसी की बैठक को संबोधित करने के बाद सुषमा ने मेजबान यूएई के विदेश मंत्री शेख अब्दुल्ला बिन जायेद अल नाह्यान से बातचीत की और ओआईसी के इतिहास में पहली बार भारत को ‘गेस्ट ऑफ ऑनर’ के तौर पर आमंत्रित करने और वह भी समूह के स्वर्ण जयंती के अवसर पर न्योता देने के लिए उनका शुक्रिया अदा किया। सऊदी अरब के विदेश राज्य मंत्री अब्देल बिन अहमद अल-जुबैर ने भी ओआईसी की बैठक में ‘गेस्ट ऑफ ऑनर’ के तौर पर भारत का स्वागत किया और सुषमा के साथ द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा की।

-नीरज कुमार दुबे

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़