चीनी माल से तबाह हो रहे हमारे बाजारों को भी बचाएगा जीएसटी

GST will save our markets from Chinese merchandise
राहुल लाल । Jul 4 2017 11:20AM

जीएसटी का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इससे चीन के माल के दबाव से तबाह हो रहे छोटे भारतीय व्यापारी तथा बाजार फिर से सशक्त हो जाएंगे। चीन को सीमा पर लड़े बिना हराने का पूर्ण इंतजाम भी जीएसटी से हो रहा है।

भारत के लगातार वैश्विक तौर पर उभरने से चीन परेशान है। चीन ने गत शनिवार को भारत-भूटान के साथ सीमा-विवाद पर नया दांव चला है। चीन ने नक्शा जारी कर भारत और भूटान के अधिकार क्षेत्र वाली सिक्किम सेक्टर की जमीनों पर दावा किया है। चीन ने शनिवार को जारी नक्शे में डोका ला और डोकलाम के भारत-चीन-भूटान के त्रिकोणीय जंक्शन को चिह्नित कर दावा किया है कि 1890 में ब्रिटिश-चीन संधि के तहत यह इलाका उनके अधिकार क्षेत्र में आता है। इस क्षेत्र में पिछले एक पखवाड़े से गतिरोध चल रहा है। 2014 में चीन ने अरुणाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर को अपना अभिन्न अंग बताया था। तब भारत के उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी चीन के दौरे पर गए थे। भारत ने तब चीन के इस मानचित्र पर कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा था कि नक्शा जारी करने से जमीनी हकीकत नहीं बदलती।

चीन ने भारत पर दबाव बनाने के लिए नाथू ला की तरफ से मानसरोवर यात्रा पर तो पहले खराब मौसम का बहाना लगाकर रोका, फिर सिक्किम क्षेत्र से सेना वापसी की मांग रख दी। इस पर भारत ने नाथू ला मार्ग वाली मानसरोवर यात्रा को ही स्थगित कर दिया। चीन मोदी-ट्रंप की प्रथम मुलाकात से भी बौखला गया है। यही कारण है कि चीनी मुखपत्र "ग्लोबल टाइम्स" में मोदी-ट्रंप की प्रथम मुलाकात की तीखी आलोचना की गयी। परंतु चीनी बौखलाहट यहीं नहीं रुकी। चीन ने भारत को फिर से 1962 की याद दिलाते हुए चेतावनी देने की कोशिश की, जिसका भारतीय रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने स्पष्ट शब्दों में जवाब दिया कि चीन वर्तमान भारत को 1962 की भारत समझने का भूल न करे।

सच में चीन अगर अतीत से वर्तमान भारत की ओर देखेगा तो वह स्पष्टत: देख सकता है कि आवश्यकता पड़ी तो भारत ने पूर्व में म्यांमार की सीमा में घुसकर आतंकवादियों से बदला लिया। इसी प्रकार उड़ी आतंकवादी हमले के बाद भारत ने चीन के सदाबहार व सबसे निकटस्थ मित्र पाकिस्तान की सीमा के अंदर घुसकर भी एक बड़ी सर्जिकल स्ट्राइक को पश्चिमी सीमा पर अंजाम दिया था। ऐसे में अब चीन को भारत के साथ पहले जैसा रवैया नहीं अपनाना चाहिए।


जीएसटी एवं चीन को जवाब

एक जुलाई मध्यरात्रि को जिस तरह कर एकीकरण की मूलभूत परिघटना में जीएसटी को क्रियान्वित किया गया, वह न केवल भारतीय संघवाद के अंतर्गत "सहकारी संघवाद" का एक अति उत्कृष्ट उदाहरण है, अपितु चीनी आक्रामक रवैये का मुँहतोड़ जवाब भी है। जीएसटी के कारण भारत सीमा पर बिना कोई युद्ध लड़े चीन को एक बड़ी चुनौती दे रहा है, जिसे मैं आगे विस्तार से समझा रहा हूँ।

जीएसटी के लागू होने से चिरप्रतीक्षित "एक राष्ट्र, एक टैक्स" की अवधारणा क्रियान्वित हो गई है। 15 अगस्त 1947 मध्य रात्रि को देश को अंग्रेजों की अधीनता से मुक्ति मिली, अब 1 जुलाई 2017 को मध्य रात्रि को संसद के उसी सेंट्रल हॉल से देश को पुराने 17 करों तथा उपकरों से मुक्ति मिली। नोटबंदी जैसे साहसिक कदम के जरिए भ्रष्टाचार पर चोट के बाद जीएसटी जहाँ कर प्रणाली में पारदर्शिता स्थापित करेगा, वहीं तय माना जा रहा है कि आर्थिक सुधार का यह कदम वैश्विक प्रतिद्वंद्विता में भी भारत को सबल बनाएगा। जीएसटी लागू होने पर अब अप्रत्यक्ष करों में अप्रत्याशित वृद्धि की संभावना है। जीएसटी काले धन के घर वापसी का प्रमुख जरिया बन सकता है।

देश में प्रत्यक्ष कर देने वालों की संख्या 5 करोड़ से ज्यादा नहीं है, जबकि इससे कहीं ज्यादा लोग प्रत्यक्ष कर चुका सकते हैं। यही स्थिति अप्रत्यक्ष करों की भी है। बहाना यह है कि कर इतने ज्यादा होने के कारण सरकार कर चोरों पर पूरा ध्यान नहीं दे पा रही थी। फलत: सभी करों के एकीकरण से निर्मित एक कर जीएसटी का निर्माण हुआ। वित्त मंत्रालय के ही आंकड़ों के अनुसार 2012 से सितंबर 2016 तक देश में सिर्फ कुछ कॉरपोरेट हाउस ने 1 लाख 44 हजार करोड़ टैक्स चुराकर अपने पास बचा लिया है। जीएसटी लागू होने के अब इस पैमाने पर अप्रत्यक्ष कर चुराना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन हो जाएगा। ऐसे में 5 वर्ष में जिस तरह से 1 लाख 44 हजार करोड़ रुपये की टैक्स चोरी हुई, वह अब आगे नहीं हो सकेगी। इस अतिरिक्त राशि का प्रयोग सरकार सामाजिक क्षेत्र सहित सुरक्षा पर खर्च कर सकेगी। चीन ने अपने सीमावर्ती क्षेत्र पर उत्कृष्ट आधारभूत संरचनाओं का निर्माण किया है, जबकि संशाधनों के अभाव के कारण भारत-चीन सीमा पर भारतीय क्षेत्र में आधारभूत संरचना का अभाव है। लेकिन जीएसटी लागू होने तथा काला धन पर सरकार के कठोर रवैये से अब सरकार के पास पर्याप्त संसाधन होंगे, जिससे सीमा प्रबंधन पर भी पूर्ण ध्यान दिया जा सकेगा।

बिना युद्ध जीएसटी के द्वारा चीन को पस्त करेगा जीएसटी

जीएसटी का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इससे चीन के माल के दबाव से तबाह हो रहे छोटे भारतीय व्यापारी तथा बाजार फिर से सशक्त हो जाएंगे। चीन को सीमा पर लड़े बिना हराने का पूर्ण इंतजाम भी जीएसटी से हो रहा है। यह कैसे तथा किस प्रकार होगा? इसे ध्यानपूर्वक समझें। चीन का सस्ता माल देश के अर्थव्यवस्था को जर्जर कर रहा है। पिछले वर्ष दीपावली से देश में चीनी माल के बहिष्कार का आंदोलन भी चलता रहता है, क्योंकि चीनी माल का आयात होने के बावजूद वह घरेलू निर्माण से सस्ता होता है। सरकार ने इस चीनी लूट से बचने के लिए आयातित एवं घरेलू वस्तुओं पर समान कर लगाने की व्यवस्था कर ली है। जीएसटी लागू होने के बाद चीनी माल अब भारतीय माल से सस्ता नहीं होगा अर्थात् चीन का सामान अब भारतीय कारोबारियों की कमर नहीं तोड़ सकेगा।

राजस्व सचिव हसमुख अढ़िया के अनुसार जीएसटी 'मेक इन इंडिया' के लिए भी महत्वपूर्ण है। अब तक एक्साइज ड्यूटी के तहत सीवीडी लगाया जा रहा था। उसके अलावा आयातित वस्तुओं पर सिर्फ 4 प्रतिशत स्पेशल एडिशन ड्यूटी (SAD) लगा रहे थे। इस 4 प्रतिशत एसएडी का मतलब यह था कि घरेलू उद्योग को जो वैट देनी पड़ती थी, उसी तरह आयातित पर 4% स्पेशल एडिशन ड्यूटी लगती थी। एक तरह से राज्यों को 14% वैट के बदले में आयातित वस्तु पर 4% एसएडी लगाया जा रहा था। इस तरह स्पष्ट रूप में देख सकते हैं कि घरेलू उद्योगों पर तो कर बोझ 14% था, जबकि आयातित वस्तुओं पर केवल 4%। परंतु जीएसटी आने के बाद घरेलू उद्योगों पर टैक्स का जितना बोझ है, उतना ही आयातित पर भी लगेगा। इससे घरेलू उद्योगों को न केवल बल मिलेगा अपितु भारतीय घरेलू उद्योग भी चीनी माल को आसानी से बाजार में चुनौती दे सकेंगे। इसी कारण पहले आयातित माल सस्ता पड़ रहा था, जबकि घरेलू महंगा। इससे घरेलू उद्योग चीनी आयातित माल का सामना कर सकेंगे।

इसी तरह पहले 'सी' फॉर्म भरकर व्यापारी सीएसटी में इंटरस्टेट ले जाने की जानकारी देते थे, लेकिन वह माल दूसरे राज्य जाता ही नहीं था, बल्कि उसी राज्य में बेच दिया जाता था। इस तरह व्यापारी केवल 2 प्रतिशत टैक्स देकर काम चला लेता था तथा राज्य के 14% वैट से बचा रह जाता था। अब जीएसटी में यह संभव नहीं है। अब अगर दूसरे राज्य ले भी जाना है तो उसे पूरा का पूरा टैक्स भरना होगा। राजस्व सचिव के अनुसार 2% की दर से भी राज्यों के राजस्व में कम से कम 50-60 हजार करोड़ रुपए बचेंगे, जिसका प्रयोग पुन: राष्ट्र निर्माण हेतु हो सकेगा।

इसके अतिरिक्त जीएसटी से देश में निवेश में वृद्धि होगी तथा निवेश की गई राशि का भी 'मेक इन इंडिया' के लिए अधिकतम प्रयोग हो सकेगा। विदेशी निवेश के क्षेत्र में भी अब भारत चीन को कड़ी चुनौती दे सकेगा। इस तरह जीएसटी से जहाँ भारत में चीनी माल के लिए प्रतिस्पर्धा कठोर होगी वहीं निवेश में भी चीन को कड़ी चुनौती मिलेगी। जीएसटी से देश एक आधुनिक कर प्रणाली की ओर आगे बढ़ रहा है जो पारदर्शिता के साथ काले धन और भ्रष्टाचार को रोकने का अवसर प्रदान करती है। सरकार ने कालाधन, जमाखोरी पर कार्यवाही करने हेतु एक चक्रव्यूह की रचना की है, जिसका असली दरवाजा जीएसटी ही है। विदेश में जमा कालाधन पर प्रहार के बाद नोटबंदी ने कैश गुमनामी को खत्म किया। पैन को आधार से जोड़ने का भी क्रांतिकारी परिणाम भविष्य में दिखने को मिलेगा। इसके अतिरिक्त सरकार ने बेनामी कानून में संशोधन करके भी भ्रष्टाचार पर कड़ी चोट की।

जीएसटी लागू करने से पहले सरकार ने कालेधन पर एक और प्रहार करते हुए 1 लाख से अधिक कंपनियां बंद कर दी। रजिस्टर ऑफ कंपनीज ने इन कंपनियों का पंजीकरण निरस्त कर दिया है। सरकार ने तीन लाख से अधिक संदिग्ध कंपनियों की पहचान की है, जिन्होंने नोटबंदी के दौरान धांधली की थी। साथ ही सरकार 31 हजार से अधिक कंपनियों के खिलाफ कठोर कार्यवाई की तैयारी कर रही है। इस तरह काले धन पर लगातार कठोर रवैया राष्ट्र को सशक्त बनाएगा, तभी हम लोगों के स्वास्थ्य, शिक्षा और आधारभूत संरचना पर समुचित ध्यान दे सकेंगे। चीन से अगर दीर्घाकालीक लड़ाई में जीत हासिल करनी है, तो कालाधन पर प्रबल प्रहार अब अनिवार्यता में बदल चुका है।

राहुल लाल

(लेखक कूटनीतिक मामलों के विशेषज्ञ हैं)

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