अँधेरा छँटा, सूरज उगा... भारतीय अर्थव्यवस्था के हर क्षेत्र में हो रही है तेज वृद्धि

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अर्थव्यवस्था में सुधार जारी रहने के संकेतों के बीच वित्त सचिव अजय भूषण पाण्डेय ने कहा कि सरकार के कर संग्रह में तेजी आई है और सरकार द्वारा कोविड-19 के मद्देनजर दिए गए लक्षित प्रोत्साहनों के चलते आर्थिक संकेतकों में सुधार जारी है।

कोरोना वायरस महामारी का अर्थव्यवस्था के विभिन्न घटकों पर व्यापक असर हुआ। हालांकि अब स्थितियां सामान्य होने लगी हैं और अर्थव्यवस्था तेजी के साथ आगे बढ़ रही है। यही नहीं मोदी सरकार की ओर से भी जल्द ही एक और प्रोत्साहन पैकेज का भी ऐलान किया जा सकता है ताकि अर्थव्यवस्था के मंद पड़े क्षेत्रों में भी तेजी आ जाये। फिलहाल हम अगर सितंबर और अक्टूबर माह के आंकड़ों पर नजर डालें तो चाहे सरकार का कर संग्रह बढ़ने की बात हो, छोटे बड़े वाहनों और इलेक्ट्रानिक्स उत्पादों की बिक्री बढ़ने की बात तो, पेट्रोल और डीजल की बिक्री वापस कोरोना काल से पहले की स्थिति में पहुंचने की बात हो, रियल एस्टेट क्षेत्र में रौनक लौटने की बात हो, ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट्स पर फेस्टिव सेल में हर उत्पाद की रिकॉर्ड बिक्री की बात हो हर जगह बस तेजी ही तेजी है। और यह तेजी सिर्फ महानगरों में ही नहीं छोटे शहरों और कस्बों में भी देखने को मिल रही है। यही नहीं अक्टूबर महीने में यूपीआई के जरिये 200 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया जोकि अपने आप में एक बड़ा रिकॉर्ड है और अर्थव्यवस्था में तेजी का सूचक भी है।

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कर संग्रह में तेजी

इस बीच, अर्थव्यवस्था में सुधार जारी रहने के संकेतों के बीच वित्त सचिव अजय भूषण पाण्डेय ने कहा कि सरकार के कर संग्रह में तेजी आई है और सरकार द्वारा कोविड-19 के मद्देनजर दिए गए लक्षित प्रोत्साहनों के चलते आर्थिक संकेतकों में सुधार जारी है। वित्त सचिव ने बताया कि वस्तुओं के परिवहन के लिए जरूरी ई-वे बिल को निकालने की संख्या कोविड से पहले के स्तर पर आ गई है और ऑनलाइन भुगतान तेजी से बढ़े हैं। वस्तुओं की खपत या सेवा दिए जाने पर लिए जाने वाले वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के संग्रह में लगातार दूसरे महीने तेजी आई है। वित्त सचिव पाण्डेय के मुताबिक कर संग्रह के रुझानों से पता चलता है कि पिछले कुछ महीनों से इसमें गिरावट आई है, लेकिन यह न केवल सुधार के रास्ते पर है, बल्कि इसमें तेजी भी आ रही है। जीएसटी संग्रह सितंबर के महीने में एक साल पहले की समान अवधि के मुकाबले चार प्रतिशत अधिक था। मोदी सरकार का कहना है कि अक्टूबर के महीने में जीएसटी संग्रह में पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 10 प्रतिशत की तेजी हुई।

वाहनों और उपभोक्ता सामान की बिक्री में रिकॉर्ड उछाल

उधर, नवरात्र और दशहरा के साथ बाजार में त्यौहारी मौसम की दस्तक के साथ अक्टूबर में वाहनों की बिक्री में बढ़त दर्ज की गयी। ग्राहकों के बीच खरीदारी धारणा में सुधार और मांग बढ़ने से देश की दो प्रमुख कार कंपनी मारुति सुजुकी और हुंदै मोटर्स की बिक्री में इस दौरान दहाई अंक की वृद्धि दर्ज की गयी। होंडा कार्स इंडिया, टोयोटा किर्लोस्कर मोटर और महिंद्रा एंड महिंद्रा की घरेलू बिक्री में भी अक्टूबर में बढ़त रही। यही नहीं एमजी मोटर इंडिया की खुदरा बिक्री अक्टूबर में छह प्रतिशत बढ़कर 3,750 इकाई पर पहुंच गई। दोपहिया वाहन श्रेणी में देश की सबसे बड़ी कंपनी हीरो मोटोकॉर्प के लिए मासिक बिक्री के लिहाज से अक्टूबर सबसे अच्छा महीना रहा। टाटा मोटर्स का भी कहना है कि अब उनकी कंपनी के छोटे व्यावसायिक वाहनों की बिक्री कोरोना वायरस महामारी से पहले के स्तर पर पहुंचने लगी है। महामारी तथा इसकी रोकथाम के लिये देश भर में लगाये गये लॉकडाउन का सबसे बुरा असर स्वरोजगार तथा कम-मध्यम आय वाले वर्ग के ऊपर हुआ। छोटे व्यावसायिक वाहनों की बिक्री से इस वर्ग के आर्थिक हालात भी मालूम पड़ते हैं। 

उपभोक्ता सामानों जिसमें तमाम इलेक्ट्रानिक्स उत्पाद, होम फर्निशिंग और फर्नीचर आदि शामिल हैं, की बिक्री भी नये रिकॉर्ड बना रही है। यही नहीं रियल एस्टेट क्षेत्र में भी तमाम डिस्काउंट्स के चलते अच्छी रौनक देखने को मिल रही है। पिछले एक पखवाड़े से ऑनलाइन खरीदारी पर मिल रही आकर्षक छूट का भी ग्राहकों ने जमकर लाभ उठाया है। मोबाइल फोन चाहे जिस कंपनी के हों, खूब बिक रहे हैं। एप्पल और सैमसंग की भारत में रिकॉर्ड कमाई हो रही है। लैपटॉप की बिक्री में तो लगातार तेजी दिख रही है क्योंकि ऑनलाइन क्लासेज और वर्क फ्रॉम होम न्यू नॉर्मल हो गये हैं।

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उद्योग जगत का अनुमान

इस बीच, उद्योग मंडल फिक्की ने कहा है कि कोविड-19 से निपटने की भारत की रणनीति सही साबित हुई है और अर्थव्यवस्था जल्द पटरी पर लौटेगी और मजबूत होकर उभरेगी। फिक्की की अध्यक्ष संगीता रेड्डी ने कहा कि अब कड़े कदम उठाने और वृद्धि के एजेंडा को आगे बढ़ाने का समय आ गया है। संगीता रेड्डी ने कहा, ‘‘दुनियाभर की सरकारों में जीवन और आजीविका के संरक्षण के बीच संतुलन बैठाने को लेकर असमंजस रहा। भारत ने सख्त लॉकडाउन लगाया और स्वास्थ्य ढांचे को आगे बढ़ाते हुए मानव जीवन को बचाने पर ध्यान केंद्रित किया। इस रणनीति के सही नतीजे सामने आए हैं। उन्होंने कहा कि बेहतर इलाज, चिकित्सा ढांचे के सृजन, पीपीई की आपूर्ति बढ़ाने पर ध्यान दिया गया। इससे हमारे यहां मृत्यु दर को नियंत्रित किया जा सका। रेड्डी ने कहा, ‘‘अब आजीविका के मोर्चे पर साहसी कार्रवाई का समय है। हालिया मौद्रिक उपायों से यह सुनिश्चित हुआ है कि सरकार और नियामक अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए हर प्रयास करेंगे। अब हमें वृद्धि के एजेंडा को तेजी से आगे बढ़ाना चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था में सुधार के शुरुआती संकेत दिखने लगे हैं।

बहरहाल, प्रधानमंत्री ने लोकल के लिए वोकल बनने और आत्मनिर्भर भारत बनाने का जो आह्वान किया था उसका असर भी बाजारों में देखने को मिल रहा है और लोग सिर्फ दुकानों पर ही भारत में बने उत्पादों की मांग नहीं कर रहे बल्कि ऑनलाइन शॉपिंग के समय भी देख रहे हैं कि वह उत्पाद स्थानीय है या नहीं। इसके चलते देशी कारोबारियों और उत्पादकों को लाभ हो रहा है और वह ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार देकर अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान कर रहे हैं।

-नीरज कुमार दुबे

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