हिंदुस्तान में प्रधानमंत्री आवास योजना मिशन मोड पर

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प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ देश के ग्रामीण एवं शहरी इलाक़ों के नागरिकों के साथ-साथ देश के सीमेंट उद्योग, स्टील उद्योग, ट्रांसपोर्ट उद्योग, सहायक उद्योग, आदि को भी हुआ है। साथ ही, रोज़गार के अवसरों का निर्माण भी हुआ है।

“सभी देशवासियों को अपना घर” का सपना पूरा करने के उद्देश्य से देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने वर्ष 2022 तक सबको घर देने का वादा किया है। इस वादे को धरातल पर उतारने के उद्देश्य से दिनांक 25 जून 2015 को प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) एवं 30 नवम्बर 2015 को प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) का शुभारम्भ किया गया था। ये योजनाएँ आज पूरे मिशन मोड में चल रही हैं। न केवल नागरिकों को सस्ते घर बनवाकर सरकार द्वारा दिए जा रहे है बल्कि सस्ती ब्याज दरों पर लोन देकर घर खरीदने में भी नागरिकों की मदद की जा रही है। प्रधानमंत्री आवास योजना को लागू किए जाने की रफ्तार देखकर यह अनुमान लगाया जा रहा है कि यह योजना अपने तय समय से पहले ही पूरी हो जाएगी। इसी कड़ी में केंद्र के शहरी एवं विकास मंत्रालय द्वारा प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के तहत एक करोड़वें घर को मंजूरी का लक्ष्य दिनांक 27 दिसम्बर 2019 को हासिल कर लिया गया है। इस योजना के अंतर्गत वर्ष 2022 तक कुल एक करोड़ 12 लाख मकानों का निर्माण शहरी क्षेत्रों में किए जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। आज 60 लाख घर निर्माणाधीन हैं जबकि 32 लाख निर्मित आवासो को हितग्राहियों को सौंप दिया गया है। इतनी बड़ी संख्या में ग़रीब वर्ग के सपनो को साकार किया गया है एवं उनके चेहरों पर ख़ुशियाँ लायी गयीं हैं। 

जैसा कि ऊपर बताया गया है कि 30 नवम्बर 2015 को प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) का शुभारम्भ भी किया गया था। ग्रामीण क्षेत्रों में सभी के लिए आवास हेतु 2.95 करोड़ मकानों के निर्माण का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। इस योजना के प्रथम चरण, जो 2016 से 2019 के बीच का था, के लिए एक करोड़ मकानों के निर्माण का लक्ष्य रखा गया था। दूसरे चरण के लिए कुल 1.95 करोड़ मकानों के निर्माण का लक्ष्य रखा गया था। प्रथम चरण में एक करोड़ मकानों के लक्ष्य के विरुद्ध 90 लाख आवासों का निर्माण हो चुका है। द्वितीय चरण के प्रथम वर्ष के लिए 60 लाख मकानों, द्वितीय वर्ष के लिए 75 लाख मकानों एवं तृतीय वर्ष के लिए 70 लाख आवासों के निर्माण का लक्ष्य रखा गया है।

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उक्त दोनों योजनाओं में कितना तेज़ी से कार्य किया जा रहा है यह इस बात से ही सिद्ध होता है कि वर्ष 2014-15 में जब यह योजना प्रारम्भ की गई थी तब ग्रामीण इलाक़ों में केवल 10/11 लाख मकान प्रतिवर्ष बने थे जो प्रति वर्ष बढ़ते बढ़ते पिछले वर्ष तक 47 लाख मकान प्रतिवर्ष की संख्या तक पहुँच गए। अतः योजना का क्रियान्वयन बहुत ही अच्छा रहा है। मकान निर्माण के मामले में चार वर्षों में चार गुना से ज़्यादा के आँकड़े पर आ गए है। पूरे तंत्र, ग्राम स्तर से उच्चतम स्तर तक, का ही सहयोग उच्च स्तर का रहा है। ऐसी उम्मीद की जा रही है कि इस वर्ष 60 लाख मकानों के निर्माण के लक्ष्य को भी हासिल कर लिया जाएगा।   

उक्त योजना के अंतर्गत आवासों को प्रदान करने हेतु हितग्राहियों का चयन भी तय किए गए मानकों के आधार पर ही उचित तरीक़े से किया जा रहा है। केंद्र सरकार, राज्य सरकार एवं हितग्राही स्वयं भी इन मकानों में पैसा लगाते हैं। अतः सभी के बीच सामंजस्य होना अनिवार्य है। उक्त योजना को लागू करने में अभी तक किसी भी प्रकार की कोई बड़ी कठिनाई नहीं आई है। हितग्राही आधार नम्बर से लिंकड रहते हैं अतः एक व्यक्ति को एक ही मकान मिल पाता है। 

उक्त योजना के अंतर्गत प्रत्येक हितग्राही को मैदानी इलाक़ों में रुपए 1.20 लाख की वित्तीय सहायता उपलब्ध करायी जाती है एवं पहाड़ी इलाक़ों में रुपए 1.30 लाख की वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। साथ ही, मनरेगा योजना के अंतर्गत 90/95 दिनों का रोज़गार उपलब्ध कराया जाता है एवं रुपए 12,000 की राशि शौचालय का निर्माण किए जाने हेतु प्रदान की जाती है। यह सब मिलाकर रुपए 1.50 लाख अथवा रुपए 1.60 लाख होता है। इसके अतिरिक्त हितग्राही स्वयं भी क़रीब क़रीब रुपए 50 से 60 हज़ार का ख़र्चा करता है। इस प्रकार, कुल मिलाकर रुपए दो लाख में प्रत्येक हितग्राही को एक घर मिल जाता है। 

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देश में जिस तेज़ी से मकानों का निर्माण किया जा रहा है उसी तेज़ी से हितग्रहीयों को उपलब्ध कराए जाने का प्रयास भी किया जाना चाहिए। अतः 2022 तक आवास न केवल बनकर तैयार हों बल्कि हितग्राहियों को सौंप भी दिया जाय। हालाँकि सरकार का भी इस ओर पूरा ध्यान है क्योंकि केंद्र सरकार ने मकान के निर्माण सम्बंधी पूरी जानकारी ऑनलाइन उपलब्ध करा रखी है जिसे कोई भी व्यक्ति ट्रैक कर सकता है कि वह घर विशेष किस स्टेज पर है। साथ ही लोगों का चयन भी पारदर्शी तरीक़े से किया जा रहा है और इस बात की पूरी पूरी सम्भावना है कि ये सभी घर लोगों को समय पर सौंप दिए जाएँगे। इन योजनाओं को समय पर पूरा करने में विभिन्न राज्य सरकारें भी अपनी ओर से भरपूर सहयोग प्रदान कर रही हैं। 60:40 के अनुपात में केंद्र एवं राज्य सरकार मिलकर कार्य कर रहे हैं। यह देश में सहयोगात्मक संघवाद का एक बेहतरीन उदाहरण है। ग्रामीण इलाक़ों में तो लोग स्वयं ही मकानों का निर्माण कर रहे हैं अतः निर्धारित लक्ष्य समय पर हासिल करने में कोई कठिनाई नहीं आनी चाहिए। केंद्र सरकार की ओर से भी इस योजना को समय पर पूरा करने की दृष्टि से वित्त की कमी बिल्कुल नहीं आने दी जा रही है। लोगों के ज़मीन सम्बंधी अभिलेख भी राज्य सरकारों द्वारा ठीक करके दिए जा रहे हैं। ये मकान विशेष रूप से महिलाओं के नाम पर दिए जा रहे हैं ताकि महिलाओं का सशक्तिकरण हो सके। इन मकानों को शहरों के एकदम पास में बनाया जा रहा है क्योंकि ग्रामीण इलाक़ों से लोगों का पलायन बहुत भारी मात्रा में हो रहा है एवं इन्हें शहरों के पास ही बसाया जा रहा है। इससे शहर की आधारिक संरचना पर अतिरिक्त दबाव को भी कम करने में मदद मिल रही है। शहरों से गंदी बस्तियों को भी हटाया जा रहा है तथा इन निवासियों को शहरों के पास बनाए जा रहे मकानों में शिफ़्ट करने में आसानी होती है। 

प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ देश के ग्रामीण एवं शहरी इलाक़ों के नागरिकों के साथ-साथ देश के सीमेंट उद्योग, स्टील उद्योग, ट्रांसपोर्ट उद्योग, सहायक उद्योग, आदि को भी हुआ है। साथ ही, रोज़गार के अवसरों का निर्माण भी हुआ है। इतने अधिक मात्रा में निवासों के निर्माण के कारण बाज़ार में मकानों की क़ीमतों में वृद्धि पर भी अंकुश बना रहा है। ग्रामीण इलाक़ों में तो मकानों को मुख्यतः महिलाओं के नाम पर ही रजिस्टर्ड किया जा रहा है जिससे देश में महिलाओं का सशक्तिकरण भी हो रहा है।

- प्रह्लाद सबनानी

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