इंडसइंड बैंक में HDFC समूह की एंट्री, भारतीय रिज़र्व बैंक से 9.5% हिस्सेदारी की मंजूरी

आरबीआई ने एचडीएफसी समूह को मंजूरी दे दी है, जिससे अब वह इंडसइंड बैंक में 9.5 प्रतिशत तक हिस्सेदारी ले सकता है। इंडसइंड बैंक इस समय गवर्नेंस से जुड़े संकट के दौर से गुजर रहा है। ऐसे में यह मंजूरी बैंक के लिए राहत और बैंकिंग सेक्टर के लिहाज से एक अहम घटनाक्रम माना जा रहा है।
भारतीय रिज़र्व बैंक ने एचडीएफसी बैंक की विभिन्न सहयोगी इकाइयों को निजी क्षेत्र के इंडसइंड बैंक में हिस्सेदारी बढ़ाने की अनुमति दे दी है। इस मंजूरी के तहत एचडीएफसी समूह की संस्थाएं मिलकर इंडसइंड बैंक में अधिकतम 9.5 प्रतिशत तक की हिस्सेदारी खरीद सकती हैं।
मौजूद जानकारी के अनुसार, यह अनुमति रिज़र्व बैंक द्वारा 15 दिसंबर को जारी पत्र के आधार पर दी गई है और इसकी वैधता एक वर्ष तक रहेगी। एचडीएफसी बैंक ने अपने बयान में कहा है कि इस मंजूरी के दायरे में उसके समूह की कई प्रमुख संस्थाएं शामिल हैं, जिनमें एचडीएफसी म्यूचुअल फंड, एचडीएफसी लाइफ इंश्योरेंस, एचडीएफसी पेंशन फंड समेत अन्य इकाइयां हैं।
इन सभी इकाइयों को मिलकर इंडसइंड बैंक की चुकता शेयर पूंजी या मतदान अधिकारों में कुल मिलाकर 9.5 प्रतिशत तक हिस्सेदारी रखने की अनुमति दी गई है। गौरतलब है कि बाजार पूंजीकरण के लिहाज से एचडीएफसी बैंक देश का सबसे बड़ा निजी बैंक है, जबकि इंडसइंड बैंक हाल के महीनों में गंभीर चुनौतियों से जूझता नजर आया है।
दरअसल, इंडसइंड बैंक ने 31 मार्च को समाप्त तिमाही में अब तक का सबसे बड़ा तिमाही घाटा दर्ज किया था। बैंक को अपने खातों में करीब 23 करोड़ डॉलर के वित्तीय झटके का सामना करना पड़ा, जो गवर्नेंस और अकाउंटिंग से जुड़ी खामियों के कारण सामने आया था। इन घटनाक्रमों के बाद बैंक के तत्कालीन सीईओ और डिप्टी सीईओ को पद छोड़ना पड़ा था।
निवेशकों की ओर से भी बैंक के बोर्ड पर निगरानी में चूक और डेरिवेटिव पोर्टफोलियो में हुई लेखा गड़बड़ियों की जानकारी समय पर सार्वजनिक न करने को लेकर सवाल उठाए गए हैं। इन कमियों का सीधा असर बैंक के वित्तीय प्रदर्शन पर पड़ा है।
गौरतलब है कि इन घटनाओं के बाद इंडसइंड बैंक ने अपनी पूंजी स्थिति मजबूत करने के लिए बड़े कदम उठाने की योजना भी घोषित की थी। बैंक ने संकेत दिया था कि वह आने वाले समय में करीब 3.47 अरब डॉलर तक की पूंजी जुटा सकता है और प्रवर्तकों को बोर्ड में दो निदेशक नामित करने की अनुमति देगा।
ऐसे समय में एचडीएफसी समूह की संस्थाओं को मिली यह नियामकीय मंजूरी बैंकिंग सेक्टर के लिए अहम मानी जा रही है और इसे इंडसइंड बैंक में भरोसे की वापसी से जोड़कर देखा जा रहा है।
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