चुनावों से पहले अखिलेश को सपने में श्रीकृष्ण आते थे, अब स्वामी प्रसाद मौर्य कह रहे हैं हिंदू धर्म छलावा है

Akhilesh Swami Prasad
ANI

स्वामी प्रसाद मौर्य के इस बयान पर यही कहा जा सकता है कि समाजवादी पार्टी ने हिंदुओं को उकसाने और हिंदू धर्म का अपमान कर तुष्टिकरण की राजनीति के तहत एक पक्ष का एकमुश्त वोट पाने के लालच में जो खेल रचा है वह बेहद खतरनाक है।

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य कभी श्रीरामचरितमानस का अपमान करते हैं, कभी चारों धामों में से एक बद्रीनाथ धाम को लेकर अनर्गल बयानबाजी करते हैं तो कभी वह ब्राह्मणों का अपमान करते हैं। इस सबसे आगे जाकर अब स्वामी प्रसाद मौर्य ने दावा कर दिया है कि हिंदू नाम का कोई धर्म ही नहीं है। स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा है कि ब्राह्मणवाद की जड़ें बहुत गहरी हैं और सारी विषमता का कारण भी ब्राह्मणवाद ही है। स्वामी प्रसाद मौर्य ने अपने ज्ञान के आधार पर कहा है कि हिंदू नाम का कोई धर्म है ही नहीं, हिंदू धर्म केवल धोखा है। स्वामी प्रसाद मौर्य का दावा है कि सही मायने में जो ब्राह्मण धर्म है, उसी ब्राह्मण धर्म को हिंदू धर्म कहकर इस देश के दलितों, आदिवासियों और पिछड़ों को अपने धर्म के मकड़जाल में फंसाने की एक साजिश है। उनका कहना है कि अगर हिंदू धर्म होता तो आदिवासियों का भी सम्मान होता है, दलितों का भी सम्मान होता, पिछड़ों का भी सम्मान होता, लेकिन क्या विडंबना है.....।

स्वामी प्रसाद मौर्य के इस बयान पर यही कहा जा सकता है कि समाजवादी पार्टी ने हिंदुओं को उकसाने और हिंदू धर्म का अपमान कर तुष्टिकरण की राजनीति के तहत एक पक्ष का एकमुश्त वोट पाने के लालच में जो खेल रचा है वह बेहद खतरनाक है। इससे समाजवादी पार्टी को भले एक पक्ष का एकमुश्त वोट मिल जाये लेकिन समाज विभाजित हो जायेगा। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव वैसे तो बड़ी-बड़ी बातें करते हैं लेकिन जब-जब स्वामी प्रसाद मौर्य हिंदुओं की आस्था को ठेस पहुँचाते हैं तब-तब वह चुप्पी साध लेते हैं। अखिलेश यादव की चुप्पी पर हैरत इसलिए होती है क्योंकि विधानसभा चुनाव से पहले वह दावा करते थे कि भगवान श्रीकृष्ण उनके सपने में आते हैं। इसमें कोई दो राय नहीं कि परिस्थितियां दर्शा रही हैं कि स्वामी प्रसाद मौर्य के बड़बोलेपन को अखिलेश की सहमति है। वैसे भी बिना नेतृत्व की सहमति के कोई पार्टी पदाधिकारी इस तरह के बयान दे ही नहीं सकता। हम आपको याद दिला दें कि जनता की अदालत में पिट चुके स्वामी प्रसाद का समाजवादी पार्टी में रुतबा भी अखिलेश यादव ने तभी बढ़ाया था जब मौर्य ने श्रीरामचरितमानस के खिलाफ अमर्यादित टिप्पणी की थी।

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वैसे, हिंदू धर्म को धोखा बताने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य की बातों से लगता है कि उन्हें हिंदू शब्द का अर्थ ही पता नहीं है। इसलिए स्वामी प्रसाद मौर्य को समझना होगा कि जो आदमी भारत में पैदा हुआ है, जो व्यक्ति यहां का अन्न खाता है और यहां की नदियों का पानी पीता है, वह हिंदू ही है? स्वामी प्रसाद मौर्य को समझना होगा कि राष्ट्र में जीवन के अद्वितीय आध्यात्मिकता-केंद्रित दृष्टिकोण को विश्व स्तर पर हिंदू नाम से जाना जाता है, जिसके कारण यह राष्ट्र हिंदू है और इसका विशेषण सनातन है। स्वामी प्रसाद मौर्य को समझना होगा कि भारत की सारी आबादी हिंदू समाज ही है, चाहे उनका धर्म और संस्कृति अथवा पूजा पद्धति कुछ भी हो। स्वामी प्रसाद मौर्य को समझना होगा कि हिंदू, हिंदुत्व या हिंदू राष्ट्र शब्द हमारे द्वारा नहीं, बल्कि उन लोगों द्वारा दिया गया था, जिन्होंने भारत देश को बाहर से देखा और हमें हिंदू के रूप में अलग करने के लिए हमारी इस विशिष्टता को नाम दिया।

बहरहाल, जहां तक स्वामी प्रसाद मौर्य की ओर से ब्राह्मणों पर किये गये हमले की बात है तो उन्हें समाजवादी पार्टी के उस ऐलान पर भी जवाब देना चाहिए जो 2022 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों से पहले किया गया था। उस समय ब्राह्मण समुदाय को लुभाने की कोशिश में समाजवादी पार्टी ने प्रदेश में भगवान परशुराम की मूर्तियाँ लगवाने का ऐलान किया था। यही नहीं, लखनऊ में तो 108 फुट ऊंची भगवान परशुराम की प्रतिमा लगवा भी दी गयी थी। इसके अलावा समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने पार्टी के तीन ब्राह्मण नेताओं- अभिषेक मिश्र, माता प्रसाद पांडे और मनोज पांडे को जिम्मेदारी सौंपी थी कि ब्राह्मणों को सपा के पक्ष में एकजुट किया जाये। इसके अलावा समाजवादी पार्टी दिवंगत जनेश्वर मिश्र के नाम पर भी ब्राह्मणों को लुभाने का प्रयास करती रहती है। इसलिए अखिलेश यादव को भी जवाब देना चाहिए कि ब्राह्मणों के लिए जो ऐलान विधानसभा चुनावों से पहले किये जा रहे थे क्या वह सब फर्जी थे? अखिलेश यादव को बताना चाहिए कि ब्राह्मणों के बारे में जो स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा है क्या पार्टी उससे इत्तेफाक रखती है?

-नीरज कुमार दुबे

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