महिलाओं के मुद्दे पर भाजपा को घेर रहीं प्रियंका जरा राहुल के बयानों को तो देख लें

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अजय कुमार । Dec 11 2019 4:05PM

कांग्रेस के सम्मान की बात करने वाले राहुल गांधी को इस बात का भी जवाब देना चाहिए कि वह और उनकी पार्टी महिलाओं का कितना सम्मान करती है। वह साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को आतंकवादी घोषित कर देते हैं और अपने खिलाफ चल रहे मुकदमों को मैडल बताते हैं।

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा का दो दिवसीय उत्तर प्रदेश का दौरा काफी धमाकेदार रहा। अपने दौरे के दौरान एक तरफ उन्होंने 14 दिसंबर को दिल्ली में होने वाली भारत बचाओ रैली में भीड़ जुटाने के लिए यूपी कांग्रेस के नेताओं के पेंच कसे तो दूसरी तरफ उन्नाव में रेप और जलाकर मार देने की घटना पर सियासत भी की। 17 जुलाई 2019 को सोनभद्र में हुए नरसंहार के समय वहां जाकर जिस तरह से प्रियंका ने योगी सरकार को घेरा था, वैसा ही आक्रोश प्रियंका ने उन्नाव रेप पीड़िता को जलाकर मार देने के मामले में दिखाया। कांग्रेसियों ने सोनभद्र नरसंहार की घटना की तरह उन्नाव में रेप की घटना को लेकर उन्नाव से लेकर लखनऊ तक खूब बवाल मचाया, लेकिन इस बार योगी सरकार ने सोनभद्र जाती प्रियंका को मिर्जापुर में रोक देने जैसी गलती नहीं की।

दोनों ही मौके पर योगी सरकार ही नहीं समाजवादी और बहुजन समाज पार्टी भी बैकफुट पर नजर आईं। यही वजह थी, जैसे ही प्रियंका के उन्नाव जाने की खबर भाजपा, सपा और बसपा को लगी तो योगी सरकार ने अपने मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य को रेप पीड़िता से मिलने के लिए रवाना कर दिया। उनके साथ उन्नाव के सांसद साक्षी महाराज भी मौजूद थे। उधर, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव उन्नाव पीड़िता को इंसाफ दिलाने के लिए विधान भवन के बाहर धरने पर बैठ गए, जबकि बसपा सुप्रीमो मायावती महिला उत्पीड़न और रेप की शिकायत को लेकर राज्यपाल आनंदी बेन के पास ज्ञापन लेकर पहुंच गईं, लेकिन सभी दलों के दिग्गज प्रियंका की सियासी तेजी के सामने बौने नजर आए।

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खैर, बात प्रियंका की कि जाए तो उन्नाव रेप पीड़िता को जलाने के मामले की घटना में प्रियंका ने यह ध्यान भी रखा कि सोनभद्र जैसी चूक अबकी न हो। इसीलिए उन्होंने उन्नाव में लड़की के साथ रेप और जलाकर मार देने की घटना के पीछे जिस प्रधान का नाम सामने आ रहा था, उसे भाजपा का करीबी बताने में देरी नहीं की। गौरतलब है कि सोनभद्र नरसंहार में जिस प्रधान का नाम आरोपी के रूप में सामने आया था, उसे भाजपा ने कांग्रेसी बताकर प्रियंका और कांग्रेस की काफी घेराबंदी की थी। कांग्रेस ने उन्नाव रेप पीड़िता को जलाकर मार देने की सनसनीखेज वारदात पर सियासत करने के लिए एक साथ दो मोर्चे खोले। उन्नाव जाकर प्रियंका रेप पीड़िता के परिवार से मिलीं तो लखनऊ में कांग्रेसी, भारतीय जनता पार्टी मुख्यालय के गेट पर धरना देकर बैठ गए, जिन्हें चार घंटे की मशक्कत और लाठीचार्ज के बाद बीजेपी मुख्यालय के बाहर से हटाया जा सका।

   

बहरहाल, कांग्रेस महासचिव और यूपी प्रभारी प्रियंका वाड्रा की तेजी को राजनैतिक पंडित 2022 के विधान सभा चुनाव से जोड़कर देख रहे हैं। उत्तर प्रदेश में बीते तीन दशक से नाकामयाबी का स्वाद चख रही कांग्रेस को 2022 के विधान सभा चुनाव से काफी उम्मीदें हैं। लोकसभा चुनाव के समय प्रचार करते हुए राहुल गांधी ने कहा भी था कि हमारा लक्ष्य 2022 के विधान सभा चुनाव हैं। इसी लक्ष्य को हासिल करने के लिए कांग्रेस के रणनीतिकारों ने जनता से जुड़े मुद्दों- कानून व्यवस्था, किसानों की समस्याओं, बढ़ती महंगाई और बिजली दरों में बढ़ोत्तरी को जोर−शोर से उठाने का फैसला लिया है। इसीलिए तो बिजली का दाम बढ़ता है तो प्रियंका सबसे पहले ट्वीट करती हैं। किसान आत्महत्या करता है तो प्रियंका तुरंत प्रतिक्रिया व्यक्त करती हैं। इसी तरह प्याज के दाम बढ़ते हैं तो कांग्रेसी गले में प्याज की माला पहन कर घूमते दिखने लगते हैं। महिलाओं पर अत्याचार का मामला आता है तो प्रियंका स्वयं मैदान में कूद पड़ती हैं। कुल मिलाकर कांग्रेस अब जनता को ही सरकार के खिलाफ खड़ा करके अपनी सियासी जमीन बनाने की तैयारी में है। दो दिन तक प्रदेश कांग्रेस के नेताओं के साथ अलग−अलग बैठकों में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने अपने नेताओं से दो टूक कह दिया कि वे जनता के मुद्दों पर उनके साथ हमेशा खड़े हों। माना जा रहा है कि 14 दिसंबर को दिल्ली में होने वाली भारत बचाओ रैली के बाद पार्टी उत्तर प्रदेश में आंदोलनों की नई रणनीति बनाएगी, जिसमें समाज के अलग−अलग वर्गों को सरकार के सामने खड़ा किया जाएगा।

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कांग्रेस छात्र, किसान, महिलाओं, कर्मचारियों और बेरोजगारों की आवाज उन्हीं के माध्यम से उठाने की रणनीति बना रही है। प्रियंका को लग रहा है कि प्रदेश सरकार कई मोर्चों पर जनता का विश्वास खो रही है। ऐसे में पार्टी सरकार को पिछले पांव पर धकेले रखे, ताकि जनता के सामने सरकार की असफलताओं को लाया जाए। सोशल मीडिया से लेकर सड़क तक हर जगह योगी सरकार को घेरने की कोशिश की जा रही है। 2017 के चुनावी घोषणा पत्र में भाजपा ने तमाम वादे किए थे, लेकिन इनमें ज्यादातर अधूरे हैं, इसे भी जनता के बीच ले जाया जाएगा।

हालत यह है कि दो दिवसीय यूपी दौरे से लौटने के बाद भी प्रियंका के योगी सरकार पर हमले जारी हैं। 08 दिसंबर को उन्होंने दिल्ली से ही ट्वीट कर गन्ना समर्थन मूल्य न बढ़ाने का मुद्दा उठाया। उन्नाव की ही एक अन्य खबर पर उन्होंने लिखा, उन्नाव पुलिस का थाने में शिकायत लेकर गई महिला के साथ व्यवहार देखिए। ऐसा तब है, जब वहीं पर एक दर्दनाक घटना घट चुकी है। कांग्रेस, बसपा और सपा योगी सरकार को घेरने को कोई भी मौका छोड़ नहीं रहे हैं, लेकिन क्या यह पर्याप्त है। किसी घटना के विरोध में धरना−प्रर्दशन या फिर पुलिस से कथित भिड़ंत दिखाकर मीडिया में सुर्खियां बटोर लेना आसान है, लेकिन जनता की आंखों में इस तरह के कारनामे करके धूल नहीं झोकी जा सकती है।

लब्बोलुआब यह है कि उन्नाव में दुष्कर्म के आरोपियों की ओर से जलाई गई युवती की दिल्ली के एक अस्पताल में मौत के बाद यदि लोगों को गुस्सा फूट पड़ा है तो यह स्वाभाविक है, लेकिन कुछ नेता और राजनीतिक दल इस गुस्से को जिस तरह भुनाने में लगे हुए हैं वह घटिया राजनीति का उदाहरण है। उन्नाव की घटना पर विपक्षी नेता धरना−प्रदर्शन के साथ सरकार और पुलिस को इस तरह कोसने में लगे हुए हैं जैसे वह अपराधियों के बचाव में खड़ी हो। दुष्कर्म के आरोपियों को जब जेल भेजा जा चुका है। पूरे मामले की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में होगी ताकि जल्द से जल्द दोषियों को सजा सुनाई जा सके, इसके बाद विपक्ष के पास धरना−प्रदर्शन करने की कोई वजह बची नहीं थी। दुष्कर्म के मामलों को लेकर राजनीतिक लाभ हासिल करने में राहुल गांधी जैसे नेता इतने अंधे हो जाते हैं कि उन्हें यह बयान देने में भी गुरेज नहीं होता है कि भारत दुष्कर्म की राजधानी बन गया है। ऐसे बयानों को संकीर्ण राजनीतिक स्वार्थ पूरा करने की कोशिश में देश को बदनाम करने की साजिशों का एक हिस्सा ही कहा जाएगा। यह कड़वी हकीकत है कि हाल में दुष्कर्म के मामले बढ़े हैं और दुष्कर्मी तत्वों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई भी नहीं हो पा रही है, लेकिन इसके आधार पर यह नहीं कहा जा सकता है कि भारत दुष्कर्म की राजधानी में तब्दील हो गया है। क्या ऐसे भारत से कांग्रेस शासित प्रदेश बाहर हैं या फिर राहुल यह कहना चाह रहे हैं कि मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान आदि में सब ठीक है ? 

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कांग्रेस के सम्मान की बात करने वाले राहुल गांधी को इस बात का भी जवाब देना चाहिए कि वह और उनकी पार्टी महिलाओं का कितना सम्मान करती है। वह साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को आतंकवादी घोषित कर देते हैं और अपने खिलाफ चल रहे मुकदमों को मैडल बताते हैं। कांग्रेस के लोकसभा में नेता अधीर रंजन 'मेड इन इंडिया' का रेप इन इंडिया बताते हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारतण को निर्बला सीतारमण बताते हैं। कांग्रेस के दो सांसद केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी की तरफ बांह चढ़ाकर दौड़ते हैं। क्या कांग्रेस यही दोहरा चरित्र लेकर आगे बढ़ेगी। इससे बुरा और कुछ नहीं कि राजनीतिक दल दुष्कर्म सरीखे घिनौने अपराध पर राजनीतिक रोटियां सेंकते नजर आएं, लेकिन यह प्रवृत्ति बढ़ती ही जा रही है और उसका प्रदर्शन संसद से लेकर सड़क तक किया जा रहा है।

यह नहीं भूलना चाहिए कि दुष्कर्म की घटनाएं कोई राजनीतिक समस्या नहीं हैं। महिलाओं के खिलाफ अपराध और खासकर दुष्कर्म एक सामाजिक समस्या है। इस समस्या का समाधान सड़कों पर शोर मचाने से नहीं, सामाजिक माहौल और साथ ही लोगों की मानसिकता बदलने से होगा। क्या राजनीतिक दल इसमें सहयोग कर रहे हैं ? सवाल यह भी है कि क्या वे पुलिस को समर्थ बनाने और न्यायिक प्रक्रिया की खामियों को दूर करने में सहायक बन रहे हैं ? जब तक कांग्रेस और अन्य पार्टियां पार्टी हित को देशहित से ऊपर समझती रहेंगी, तब तक सियासत का स्तर तो गिरेगा ही, जनता भी ऐसे दलों को ठुकराती जाएगी। प्रियंका को भी समझना होगा कि छद्म मातम और हो−हल्ले की सियासत से पार्टी को ज्यादा दूर और ऊंचाइयों पर नहीं ले जाया जा सकता है। समाज परिपक्व हो रहा है तो नेताओं को भी परिपक्व होना पड़ेगा। अगर प्रियंका यूपी फतह करना चाहती हैं तो उन्हें न केवल यूपी में ज्यादा समय गुजारना होगा बल्कि संगठन को मजबूती प्रदान करने पर भी ध्यान देना होगा। जबसे प्रियंका ने यूपी की जिम्मेदारी संभाली है तब से सुनने में आ रहा है कि वह संगठन को मजबूत करने के लिए लखनऊ में 10−15 दिन रूका करेंगी, मगर आज तक यह हो नहीं पाया है। पार्टी के वरिष्ठ नेता भी प्रियंका की कार्यशैली से खुश नहीं हैं।

-अजय कुमार

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