कोरोना के महामारी घोषित होने से क्या असर पड़ेगा ? क्या कहता है महामारी अधिनियम 1897

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फिलहाल की स्थिति देखें तो दुनिया भर की अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। अगर कोरोना वायरस का प्रकोप और बढ़ा तो निश्चित रूप से विकट स्थिति आ सकती है हालांकि सभी देशों की सरकारें मुस्तैदी के साथ इससे निबटने में लगी हुई हैं।

कोरोनावायरस का खौफ पूरी दुनिया में पसर चुका है। यह वायरस कितना खतरनाक है इसका अंदाजा इसी बात से लग जाता है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन यानि WHO ने अब इसे एक महामारी घोषित कर दिया है और भारत में भी कई राज्यों की सरकारें इसे महामारी घोषित कर चुकी हैं। भारत में अब तक कोरोना वायरस के 75 मामले सामने आये हैं जबकि एक व्यक्ति की मौत की खबर है। पूरी दुनिया में देखें तो अब तक इस वायरस के संक्रमण से 5000 लोगों की मौत हो चुकी है, पूरी दुनिया में विभिन्न देश दूसरे देशों को जारी किये गये वीजा रद्द कर रहे हैं, इटली को तो लॉकडाउन ही कर दिया गया है जहां लोग अपनी मर्जी से घर से बाहर नहीं निकल सकते, दुनियाभर में एयरलाइनें खाली दौड़ रही हैं या रनवे पर खड़ी हो गयी हैं, शेयर बाजार धड़ाम हैं, पर्यटकों से खचाखच भरे रहने वाले स्थल वीरान हैं, बड़ी-बड़ी कंपनियों के दफ्तर खाली पड़े हैं, कई जगह स्कूल-कालेज और सिनेमा हॉल बंद कर दिये गये हैं और विभिन्न वस्तुओं का आयात-निर्यात बंद हो गया है। कुल मिलाकर दुनिया भर की अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। अगर कोरोना वायरस का प्रकोप और बढ़ा तो निश्चित रूप से विकट स्थिति आ सकती है हालांकि सभी देशों की सरकारें मुस्तैदी के साथ इससे निबटने में लगी हुई हैं।

Epidemic और Pandemic का अर्थ और इनके बीच अंतर क्या है ?

अब जब WHO ने कोरोना वायरस को महामारी घोषित कर दिया है तो समझ लीजिये इसका असर क्या होगा और महामारी कहते किसे हैं। पैनडेमिक यानी महामारी का नाम आधिकारिक रूप से उस बीमारी को दिया जाता है जो एक ही समय में दुनिया के अलग-अलग देशों में तेजी से फैल रही हो। कोरोना वायरस महामारी का रूप ले लेगा इसका सही अंदाजा शायद WHO को भी नहीं था इसलिए इसे पहले एपिडेमिक माना गया था। वैसे तो एपिडेमिक का अर्थ भी महामारी होता है लेकिन यह एक क्षेत्र विशेष तक ही सीमित होती है जब दुनिया के कई देश किसी एक बीमारी या वायरस से प्रभावित हो जायें तो उसे पैनडेमिक कहा जाता है। 

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Epidemic Diseases Act, 1897 क्या कहता है ?

महामारी से निपटने के लिए वैसे तो हर देश के पास अपने अलग-अलग कानून हैं लेकिन भारत के Epidemic Diseases Act, 1897 यानि महामारी अधिनियम, 1897 की बात करें तो यह किसी भी खतरनाक महामारी से निपटने और उसकी रोकथाम के लिए बनाया गया था। अब कैबिनेट सचिव ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को इस कानून के खंड-दो को लागू करने का निर्देश दिया है ताकि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और राज्यों के परामर्शों को लागू किया जा सके। इस एक्ट की खास बातों के बारे में आपको बताएं तो इनमें शामिल है-

-सार्वजनिक सूचना के जरिये महामारी के प्रसार की रोकथाम के उपाय होंगे।

-सरकार को पता लगे कि कोई व्यक्ति या व्यक्तियों का समूह महामारी से ग्रस्त है तो उन्हें किसी अस्पताल या अस्थायी आवास में रखने का अधिकार होगा।

-महामारी एक्ट 1897 के सेक्शन 3 में जुर्माने का प्रावधान भी है जिसमें सरकारी आदेश नहीं मानना अपराध होगा और आईपीसी की धारा 188 के तहत सजा भी मिल सकती है।

-महामारी एक्ट में सरकारी अधिकारियों को कानूनी सुरक्षा का भी प्रावधान है। अगर कानून का पालन कराते समय कोई अनहोनी होती है तो सरकारी अधिकारी की कोई जिम्मेदारी नहीं होगी।

जहां तक महामारी एक्ट के भारत में अब तक कितनी बार लागू होने का प्रश्न है तो साल 2009 में पुणे में जब स्वाइन फ्लू फैला था तब इस एक्ट के सेक्शन 2 को लागू किया गया था। 2018 में गुजरात के वडोदरा जिले के एक गाँव में 31 लोगों में कोलेरा के लक्षण पाये जाने पर भी यह एक्ट लागू किया गया था। 2015 में चंडीगढ़ में मलेरिया और डेंगू की रोकथाम के लिए इस एक्ट को लगाया जा चुका है। 2020 में कर्नाटक ने सबसे पहले कोरोना वायरस से निपटने के लिए महामारी अधिनियम, 1897 को लागू किया।


इससे पहले की महामारियां कौन-सी हैं ?

जहां तक अन्य महामारियों की बात है तो सबसे पहले प्लेग नामक महामारी कई रूपों में फैली थी जिससे करोड़ों लोगों के मारे जाने की बात का उल्लेख मिलता है। इसके बाद इटली के सिसिली से ब्लैक डेथ नाम की एक महामारी शुरू हुई। ये बीमारी समुद्री जहाज़ों पर मौजूद चूहों से फैलनी शुरू हुई थी। ब्लैक डेथ नाम की बीमारी यूरोप एशिया और अफ्रीका में फैल गई थी और इससे करीब 20 करोड़ लोगों की मौत की खबरें मिलती हैं। इसे दुनिया की अब तक की सबसे विनाशकारी महामारी के रूप में देखा जाता है। इसके बाद हैज़ा महामारी ने भी कहर ढाया। यह पहली ऐसी महामारी थी जोकि भारत से शुरू हुई थी। इस बीमारी से दुनिया भर में 10 लाख लोगों के मारे जाने का अनुमान है। इसके बाद 1918 में यूरोप से शुरू हुआ एक फ्लू देखते ही देखते महामारी में बदल गया था जिसे दुनिया स्पेनिश फ्लू के नाम से जानती है। इसने भी 5 से 10 करोड़ लोगों की जान ली थी। एचआईवी एड्स को भी महामारी माना गया और पूरी दुनिया अब भी इससे लड़ रही है। कोरोना वायरस से पहले WHO ने साल 2009 में स्वाइन फ्लू को महामारी घोषित किया गया था। अनुमान है कि स्वाइन फ्लू की वजह से पूरी दुनिया में कई लाख लोग मारे गए थे। जहां तक कोरोना वायरस या कोविड 19 का प्रश्न है तो ताजा आंकड़ों के मुताबिक 115 देशों में अब तक लगभग एक लाख 30 हजार मामले सामने आए हैं।

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क्या कोरोना वायरस पर बीमा कंपनियां क्लेम नहीं देंगी?

अब कोरोना वायरस को लेकर फैलायी जा रही कुछ अफवाहों में यह भी शामिल है कि यदि आप इस वायरस से ग्रस्त होते हैं तो बीमा कंपनी आपको कोई कवर नहीं प्रदान करेगी। यहाँ हम आपको यह बताना चाहेंगे कि साल 2012-13 या उससे पहले आपने जो हैल्थ पॉलिसी ली होंगी उस समय यह लिखा होता था कि महामारी घोषित होने पर बीमा कंपनी उस बीमारी पर आपको कोई क्लेम नहीं देगी लेकिन इसके बाद से जो भी इंश्यारेंस प्रोडक्ट बाजार में आये उसमें बीमा कंपनियों को ऐसी कोई छूट नहीं थी कि वह किसी बीमारी को महामारी घोषित होने पर उसका क्लेम देने से मना कर देंगी। इसका मतलब है कि बीमा कंपनियां कोरोना वायरस से ग्रस्त व्यक्ति को बीमा क्लेम देने से मना नहीं कर सकतीं। बस एक बात ध्यान रखनी होगी कि आपकी हैल्थ पॉलिसी का 30 दिन का वेटिंग पीरियड समाप्त हो चुका हो और संक्रमित व्यक्ति अस्पताल में भर्ती होकर इलाज करवा रहा हो। यदि डॉक्टर यह लिख कर दे दे कि अस्पताल में बेड नहीं है और मरीज का घर पर ही इलाज होगा तब भी आपको क्लेम मिल सकता है।

बहरहाल, इतिहास गवाह है कि युद्धों में इतनी जनहानि नहीं हुई जितनी महामारियों की वजह से हुई है। दुनिया भर के लोग विश्वास के साथ हमारे वैज्ञानिकों की ओर देख रहे हैं कि इस बीमारी का इलाज जल्द से जल्द ढूँढ़ निकालें। आज के इस आधुनिक युग में यह असम्भव तो नहीं लेकिन चुनौतीपूर्ण जरूर है। फिलहाल तो कोरोना वायरस से बचने के लिए सावधानी और सतर्कता बेहद जरूरी है। हमारा भी आपसे आग्रह है कि आप सभी दुनिया के जिस देश में भी हों अपनी अपनी सरकारों द्वारा जारी की जा रहीं सावधानियों और सुझावों पर अमल करें।

-नीरज कुमार दुबे

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