परीक्षा पे चर्चा करने वाले प्रधानमंत्री पेपर लीक मुद्दे पर मंत्रियों और अधिकारियों से चर्चा क्यों नहीं करते?
मोदी सरकार राष्ट्रीय शिक्षा नीति तो ले आई लेकिन आप शिक्षा मंत्रालय के तमाम फैसलों को देखेंगे तो ऐसा प्रतीत होगा कि इस सरकार की कोई शिक्षा नीति है नहीं बस मंत्री और अधिकारी प्रयोग पर प्रयोग किये जा रहे हैं जिसका खामियाजा छात्रों को भुगतना पड़ रहा है।
एक के बाद एक लीक होती परीक्षाओं के चलते देशभर में छात्रों और अभिभावकों का गुस्सा उबाल ले रहा है। सवाल उठ रहा है कि यह कैसा तंत्र है जो प्रश्नपत्रों को लीक होने से नहीं रोक पा रहा है? सवाल उठ रहा है कि प्रश्नपत्र लीक होने पर परीक्षा रद्द कर देने और सीबीआई जांच बिठा देने से ही क्या छात्रों के समय और पैसे की बर्बादी रुक जायेगी? सवाल उठ रहा है कि क्या देश में परिश्रम, योग्यता और प्रतिभा के आधार पर कभी समान अवसर सुनिश्चित हो पाएंगे? हम 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने की बात कर रहे हैं और प्रश्नपत्र लीक करने वाले माफियाओं पर नकेल नहीं कस पा रहे हैं? मंत्रियों की जबान से देखते हैं, सख्त कार्रवाई करेंगे, किसी को बख्शा नहीं जायेगा जैसे बयान सुन सुन कर अब लोग ऊब चुके हैं।
बड़े-बड़े एसी कमरों में बैठने वाले मंत्रियों और अधिकारियों को शायद पता नहीं है कि बच्चों को परीक्षा की तैयारी कराने के लिए महंगे-महंगे कोचिंग सेंटरों में भेज कर मोटी फीस और ट्यूशन फीस पर लगने वाला भारी भरकम जीएसटी देते देते अभिभावकों की कमर टूट जाती है, परीक्षा की तैयारी करते करते छात्रों की हालत खराब हो जाती है, बार-बार परीक्षा रद्द होने से छात्रों का समय और भविष्य को लेकर बनाई गई योजनाएं बाधित हो जाती हैं, इस सबसे छात्र अवसाद में आ जाते हैं, लेकिन सरकार सिर्फ सख्त कार्रवाई का आश्वासन देकर चुप्पी साध लेती है? इसके अलावा, पैसे वाले छात्र तो फिर भी अपने हक की लड़ाई के लिए अदालतों तक चले जाते हैं लेकिन बेचारे गरीब छात्र सिर्फ देखते रहे जाते हैं। प्रतियोगी परीक्षाओं के समय गरीब छात्र किसी तरह यात्रा खर्चे का जुगाड़ कर परीक्षा केंद्र तक आते हैं और जब परीक्षा रद्द हो जाये तो उनके सामने कोई दूसरा रास्ता भी नहीं रहता। दोबारा परीक्षा होने पर परीक्षा शुल्क तक देने के उसके पास पैसे नहीं होते हैं इसलिए कई छात्र तो दोबारा परीक्षा में भाग भी नहीं लेते।
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यह आश्चर्यजनक स्थिति है कि हम सर्जिकल और एअर स्ट्राइक के माध्यम से दुश्मन को उसके घर में घुस कर मारते हैं लेकिन अपने छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ करने वालों को सख्त सजा नहीं दिलवा पा रहे हैं। हम कहते हैं कि ये नया भारत है, कोई छेड़ेगा तो छोड़ेंगे नहीं, लेकिन प्रश्नपत्रों के साथ छेड़छाड़ होती जा रही है और हम कुछ कर नहीं पा रहे? हम आपको बता दें कि मोदी सरकार के आने से पहले तमाम प्रतियोगी परीक्षाओं को आयोजित कराने के लिए विभिन्न संस्थान थे, लेकिन उन सबको एक प्लेटफॉर्म पर लाते हुए राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी की स्थापना कर दी गयी। परन्तु यह एजेंसी अपने आरम्भकाल से ही विवादों में रही है। प्रश्नपत्र लीक होते रहते हैं और अधिकारी हाथ पर हाथ धरे तब तक बैठे रहते हैं जब तक छात्र और अभिभावक सड़कों पर उतर कर हंगामा नहीं करते। सरकार भी पूरे मामले पर तब तक चुप्पी बरतती है जब तक विपक्ष पेपर लीक को बड़ा मुद्दा नहीं बना दे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हर साल छात्रों के साथ परीक्षा पे चर्चा तो करते हैं लेकिन सवाल उठता है कि वह पेपर लीक मुद्दे पर अपने मंत्रियों या अधिकारियों से चर्चा क्यों नहीं करते?
बहरहाल, मोदी सरकार राष्ट्रीय शिक्षा नीति तो ले आई लेकिन आप शिक्षा मंत्रालय के तमाम फैसलों को देखेंगे तो ऐसा प्रतीत होगा कि इस सरकार की कोई शिक्षा नीति है नहीं बस मंत्री और अधिकारी प्रयोग पर प्रयोग किये जा रहे हैं जिसका खामियाजा छात्रों को भुगतना पड़ रहा है। हालिया लोकसभा चुनावों में पहली बार मतदान करने वाले युवाओं ने मोदी सरकार से नाराजगी इसलिए भी जताई है क्योंकि वह पेपर लीक नहीं रोक पा रही है। जहां तक यूजीसी-नेट परीक्षा की बात है तो आपको बता दें कि मेडिकल प्रवेश परीक्षा ‘नीट’ को लेकर उपजे विवाद के बीच, शिक्षा मंत्रालय ने राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) द्वारा आयोजित यूजीसी-नेट परीक्षा रद्द करने का बुधवार को आदेश दिया और मामले को गहन जांच के लिए सीबीआई को सौंपा गया है। शिक्षा मंत्रालय ने कहा, ‘‘यूजीसी को गृह मंत्रालय के तहत भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (आई4सी) की राष्ट्रीय साइबर अपराध खतरा विश्लेषण इकाई से परीक्षा के संबंध में कुछ सूचनाएं प्राप्त हुई थीं। इन सूचनाओं से प्रथम दृष्टया संकेत मिला है कि उक्त परीक्षा की शुचिता से समझौता किया गया।’’ मंत्रालय ने कहा, ‘‘परीक्षा प्रक्रिया में उच्चतम स्तर की पारदर्शिता और शुचिता सुनिश्चित करने के लिए, यह निर्णय लिया गया है कि यूजीसी-नेट जून 2024 की परीक्षा रद्द कर दी जाए।’’ देखना होगा कि आगामी परीक्षाओं के प्रश्नपत्र लीक होने से मोदी सरकार रोक पाती है या फिर से परीक्षाएं रद्द होने और जांच बिठा देने का सिलसिला आगे भी चलता रहेगा।
-नीरज कुमार दुबे
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