डेटा एंट्री में गलती करने वाले हर कर्मचारी के खिलाफ भी होनी चाहिए कार्रवाई

Nitin Gadkari
ANI
संतोष पाठक । Dec 12 2023 3:51PM

जरूरत इस बात की है कि आम जनता से जुड़े सभी विभागों के लिए एक एसओपी बनाया जाए जिसमें इस तरह की गलतियों के लिए न केवल जुर्माने की व्यवस्था हो बल्कि नौकरी से बर्खास्तगी तक का प्लान हो ताकि जानबूझकर लापरवाही करने की आदत पर रोक लगाई जा सके।

केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने देश में बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं और इनमें मारे जाने वाले लोगों के आंकड़े पर चिंता जाहिर करते हुए कहा है कि सरकार का उद्देश्य 50 प्रतिशत रोड एक्सीडेंट को कम करने का है लेकिन इसके साथ ही उन्होंने सबसे बड़ी बात यह भी कही कि कितने ही रोड एक्सीडेंट रोड की डिजाइन में गड़बड़ी होने के कारण होते हैं और गलत और घटिया डीपीआर बनाने वाले अधिकारियों के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। गडकरी ने तो तल्ख शब्दों में यह तक कह दिया कि घटिया डीपीआर बनाने में जो-जो भी अधिकारी शामिल हों उन सभी के खिलाफ एफआईआर दर्ज होनी चाहिए।

गडकरी के इस बयान ने कई मायनों में एक बड़ा सवाल उठा दिया है क्योंकि घटिया डीपीआर सिर्फ सड़क से जुड़ी ही समस्या नहीं है बल्कि यह सीधे-सीधे सरकारी कर्मचारियों, अधिकारियों और संबंधित एजेंसियों की लापरवाही से जुड़ा मसला है या कहीं ना कहीं इसके पीछे रिश्वत और भ्रष्टाचार एक बड़ा कारण होता है।

दरअसल, सरकारी स्तर पर लापरवाही की समस्या कोई आज की नहीं है लेकिन जैसे-जैसे कंप्यूटर और इंटरनेट का युग सर्वव्यापी होता जा रहा है वैसे-वैसे इन लापरवाहियों का खामियाजा लोगों को और ज्यादा भुगतना पड़ रहा है क्योंकि कंप्यूटर में एक बार जो डेटा, आंकड़ा या नाम फीड हो गया तो उसे बदलवाने के लिए या ठीक करवाने के लिए फिर से पूरी प्रक्रिया को फॉलो करना पड़ता है।

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चुनाव चाहे लोकसभा का हो या विधानसभा का या फिर स्थानीय प्रशासन का चुनाव हो, हर चुनाव में आमतौर पर यह देखा जाता है कि लोगों के वोटर आईकार्ड, आधार कार्ड या पहचान के किसी और कार्ड में कभी नाम सेम नहीं मिलता तो कभी सरनेम सेम नहीं मिलता तो कहीं उम्र नहीं मिलती तो कभी उनके घर का पता पूरी तरह से नहीं मिलता है। कई बार तो पुरुष के वोटर आईकार्ड में स्त्री लिख दिया जाता है और कई बार स्त्री के वोटर आईकार्ड में पुरुष लिख दिया जाता है। आप चाहे कोई भी कार्ड बनवा लें, या मोबाइल का कनेक्शन लें या बिजली का कनेक्शन लें या फिर गैस का कनेक्शन लें या फिर पाइप लाइन का कनेक्शन लें, ऐसा लगता है कि डेटा फीड करने वाले कर्मचारी ने कसम खा रखी है कि उसे सही काम तो करना ही नहीं है। सरकारी बैंकों की हालत तो और भी ज्यादा खराब है। सबसे बड़े दुर्भाग्य की बात तो यह है कि पीढ़ीगत बदलाव आने यानी युवा कर्मचारियों की भर्ती होने के बावजूद इस तरह की गलतियां होनी बंद नहीं हुई हैं।

ऐसे में जरूरत इस बात की है कि आम जनता से जुड़े सभी विभागों के लिए एक एसओपी बनाया जाए जिसमें इस तरह की गलतियों के लिए न केवल जुर्माने की व्यवस्था हो बल्कि नौकरी से बर्खास्तगी तक का प्लान हो ताकि जानबूझकर लापरवाही करने की आदत पर रोक लगाई जा सके। क्योंकि यह समस्या भले ही सुनने में छोटी लगती हो लेकिन इस देश का हर आदमी कभी न कभी इस तरह की समस्याओं से पीड़ित जरूर होता है। इसलिए इस मामले में एक राष्ट्रीय नीति या कानून बनाने की जरूरत है।

-संतोष पाठक

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।)

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