Vishwakhabram: Ahlan Modi Event में भाग लेने के लिए UAE की जनता में मची है होड़, Muslim देश को जो पहला Hindu मंदिर मिलने जा रहा है वह कैसा दिखता है?

Ahlan Modi Event
ANI

प्रधानमंत्री मोदी के कार्यक्रम की बात करें तो आपको बता दें कि वह 13 फरवरी को अबू धाबी के शेख जायद स्टेडियम में भारतीय समुदाय शिखर सम्मेलन ‘अहलान मोदी’ (हेलो मोदी) को संबोधित करेंगे और 14 फरवरी को यूएई की राजधानी अबू धाबी में बीएपीएस हिंदू मंदिर के उद्घाटन समारोह में भाग लेंगे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सनातन भारत को ही सिर्फ भव्य, दिव्य और नव्य राम मंदिर नहीं दिया है बल्कि अब वह मुस्लिम देश संयुक्त अरब अमीरात में भी भव्य हिंदू मंदिर का उद्घाटन करने जा रहे हैं। जी हाँ, हम आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारतीय समुदाय के एक कार्यक्रम को संबोधित करने और एक हिंदू मंदिर के उद्घाटन समारोह में भाग लेने के लिए 13-14 फरवरी को यूएई की यात्रा पर रहेंगे। प्रधानमंत्री के इस दौरे को लेकर मुस्लिम देश यूएई में खासा जोश देखने को मिल रहा है।

Ahlan Modi Event 2024

प्रधानमंत्री मोदी के कार्यक्रम की बात करें तो आपको बता दें कि वह 13 फरवरी को अबू धाबी के शेख जायद स्टेडियम में भारतीय समुदाय शिखर सम्मेलन ‘अहलान मोदी’ (हेलो मोदी) को संबोधित करेंगे और 14 फरवरी को यूएई की राजधानी अबू धाबी में बीएपीएस हिंदू मंदिर के उद्घाटन समारोह में भाग लेंगे। ‘अहलान मोदी’ कार्यक्रम में हजारों की संख्या में लोगों के जुटने की संभावना है। हम आपको याद दिला दें कि ऐसा ही कार्यक्रम 22 सितंबर, 2019 को अमेरिका के टेक्सास में ह्यूस्टन में हुआ था जब प्रधानमंत्री मोदी ने तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ 'हाउडी मोदी' नामक एक सामुदायिक कार्यक्रम को संबोधित किया था। अहलान मोदी कार्यक्रम में भाग लेने की प्रक्रिया को सुचारू बनाने के लिए एक पंजीकरण पोर्टल स्थापित किया गया है और प्रतिभागियों को कार्यक्रम स्थल तक पहुंचाने के लिए हर जगह से परिवहन की व्यवस्था की जा रही है। बताया जा रहा है कि यूएई में रहने वाले भारतीय समुदाय के अलावा स्थानीय लोग भी बड़ी संख्या में इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए पंजीकरण करवा रहे हैं। लोगों की संभावित भारी भीड़ को देखते हुए स्टेडियम के आसपास बड़ी स्क्रीनें भी लगाई जाएंगी ताकि सभी लोग प्रधानमंत्री को सुन सकें। बताया जा रहा है कि यह कार्यक्रम यूएई में 150 भारतीय सामुदायिक संगठनों द्वारा मिलकर आयोजित किया जा रहा है। समारोह को शानदार बनाने के लिए एक सांस्कृतिक कार्यक्रम भी रखा गया है जिसमें 400 स्थानीय प्रतिभाएं शामिल होंगी।

कैसा है भव्य BAPS Hindu Mandir in UAE

जहां तक अबू धाबी में बने बीएपीएस हिंदू मंदिर की बात है तो आपको बता दें कि पिछले तीन वर्षों के दौरान, राजस्थान और गुजरात के 2,000 से अधिक कारीगरों ने मंदिर के लिए सफेद संगमरमर के 402 स्तंभों को तराशा है। मंदिर का उद्घाटन 14 फरवरी को प्रधानमंत्री मोदी करेंगे। अबू धाबी के बाहरी इलाके में एक पहाड़ी की चोटी पर स्थापित यह मंदिर यकीनन एक आकर्षक आध्यात्मिक स्थल बनेगा। हम आपको बता दें कि मंदिर के उद्घाटन से पहले इसकी स्थापत्य कला की एक झलक पाने के लिए 42 देशों के राजदूतों के लिए पूर्वावलोकन कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस दौरान सभी राजदूत मंदिर को देखकर हैरान रह गये और सनातन संस्कृति की जी भरकर सराहना करते रहे।

इसे भी पढ़ें: हम करेंगे सहायता...भारत ने की मालदीव को दी जाने वाली मदद में की कटौती, दुनिया से भीख मांगने वाले पाक ने कर दी छोटा मुंह बड़ी बात

जहां तक मंदिर की भव्यता की बात है तो आपको बता दें कि यह विश्व के दिव्यतम और भव्यतम मंदिरों में से एक है। अबू धाबी के पहले पारम्परिक हिंदू मंदिर में हाथ से नक्काशीदार मूर्तियों को जब आप देखेंगे तो देखते ही रह जाएंगे। इस मंदिर में उत्कृष्ट वास्तुकला का खजाना है। संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान द्वारा दान की गई 27 एकड़ भूमि पर बना यह भव्य मंदिर वहां के आपसी सौहार्द्र को भी प्रदर्शित करता है। बताया जा रहा है कि यह पूजा स्थल 18 फरवरी से जनता के लिए खुलेगा। इस मंदिर की खासियत यह है कि यहां न केवल हिंदू धर्म बल्कि विभिन्न धर्मों और सभ्यताओं का भी प्रतिनिधित्व किया गया है।

भारत के कुशल कारीगरों द्वारा निर्मित, गुलाबी बलुआ पत्थर की संरचना देखते ही बनती है। इस ऐतिहासिक मंदिर को आप जिस कोने से भी देखेंगे वहीं से इसकी भव्यता देखते बनेगी। मंदिर परिसर में प्रवेश करने के बाद पहली चीज़ जो ध्यान देने योग्य है, वह सभी सात अमीरातों की रेत से बनाई गई प्रभावशाली टीला संरचना है। इसे बीएपीएस संस्था के दिवंगत आध्यात्मिक प्रमुख स्वामी महाराज को श्रद्धांजलि के रूप में स्थापित किया गया है, जिन्होंने 1997 में शारजाह के रेगिस्तान के बीच में रहते हुए अबू धाबी में एक मंदिर बनाने की कामना की थी। यूएई और मोदी सरकार तथा बीएपीएस संगठन के सम्मिलित प्रयासों के कारण आज वह सपना हकीकत बन गया है।

मुख्य मंदिर में प्रवेश करने से पहले एक आकर्षक झरना आगंतुकों का स्वागत करता है, जो पवित्र भारतीय नदियों गंगा, यमुना और सरस्वती के स्रोत का प्रतिनिधित्व करता है। यहां तापमान को ठंडा रखने के लिए फर्श का निर्माण उन्नत तकनीक से किया गया है जिससे श्रद्धालु मंदिर परिसर में आसानी से नंगे पैर घूम सकेंगे। इसके अलावा यहां पर्यावरण-अनुकूल जूता घर हैं। साथ ही मंदिर के बाहरी हिस्से में 96 घंटियाँ हैं जो दिवंगत स्वामी महाराज के जीवन को याद करने का प्रतीक है। इसके अलावा फ़ूड कोर्ट में बेंच, टेबल और कुर्सियाँ भी काफी आरामदेह बनाई गयी हैं। 

यह मंदिर अरबी प्रतीकों के साथ-साथ भारत की समृद्ध संस्कृति और इतिहास को भी दर्शाता है। पत्थरों पर की गयी नक्काशी भारतीय महाकाव्यों- रामायण और महाभारत समेत तमाम हिंदू धर्मग्रंथों और पौराणिक कथाओं में उल्लिखित महत्वपूर्ण बातों का वर्णन करती हैं। यह मंदिर प्राचीन हिंदू 'शिल्प शास्त्र' (वास्तुकला के संस्कृत ग्रंथ) के अनुसार बनाया गया है, जिसमें अरब, मिस्र, मेसोपोटामिया, एज़्टेक और भारतीय सभ्यता से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण कथाओं का भी चित्रण किया गया है। मंदिर के अंदर की कलाकृतियां भी देखने लायक है। दो शानदार नक्काशियां- 'सद्भाव का गुंबद' और 'शांति का गुंबद' सबका ध्यान खींचती हैं। इसके अलावा 'डोम ऑफ हार्मनी' पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और अंतरिक्ष के सार को समाहित करने वाली पांच परतों का एक मनोरम प्रतीक है। यहां पर एक उल्लेखनीय कृति 'स्तंभों का स्तंभ' है, जो हजारों छोटे स्तंभों से सुशोभित है। 

बहरहाल, इसमें कोई दो राय नहीं कि मुस्लिम देश में हिंदू मंदिर बनने का वैश्विक प्रभाव पड़ना निश्चित है। यह मंदिर आने वाली पीढ़ियों के लिए उपहार तो होगा ही साथ ही सनातन को समझने और उसकी ओर आकर्षित होने का माध्यम भी बनेगा।

-नीरज कुमार दुबे

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़