जमात ने जो किया वह गलत था, पर इस घटना को धार्मिक रंग ना दें

Tablighi Jamaat

लापरवाही भरी हरकत ने लॉकडाउन के उद्देश्य को पलीता जरूर लगा दिया है। वहीं इस जमात के कार्यक्रम में शामिल लोगों के संदर्भ में राज्यों से आ रही जानकारी के अनुसार सरकार ने बताया कि आयोजन में हिस्सा लेने वाले 9 लोगों की कोरोना संक्रमण के चलते मौत हो गई है।

हमारे देश का सम्पूर्ण सिस्टम आज एक घातक वायरस कोरोना के चलते उत्पन्न बेहद गंभीर परिस्थितियों से जंग लड़ रहा है। हमारे देश के नीति-निर्माताओं और सिस्टम के सामने आज बहुत बड़े चुनौती पूर्ण हालात बन गये हैं कि कोरोना वायरस का संक्रमण देश में फैलने से किस प्रकार से रोक कर उसको जल्द से जल्द देश से खत्म किया जाये। एक वायरस के बेहद तेजी से फैलने वाली प्रवृत्ति के चलते, लॉकडाउन के बाद भी सरकार के दिये निर्देशों का सही ढंग से पालन नहीं करने के चलते, कुछ नासमझ जमात के लोगों की भयंकर लापरवाही से आज हम बेहद विकट समस्या वाली स्थिति से अब घिरते जा रहे हैं। वहीं कभी एकजुट ना रहने की कसम खा चुके भारत के ना सुधरने वाले कुछ राजनेताओं ने आपदा के समय में भी ओछी राजनीति करनी शुरू कर दी है। उन्होंने लोगों की मदद ना करके इस समय भी देशवासियों को बरगलाकर अलग-अलग राज्य का निवासी बनाकर हिन्दू-मुसलमान में बांटना शुरू कर दिया है।

देश में आपदा के चलते उत्पन्न बेहद तनावपूर्ण भरे माहौल के हालात में भी पिछले कई दिनों से कुछ राजनेताओं के द्वारा आरोप-प्रत्यारोप की ओछी शर्मनाक राजनीति की जा रही है, ये चंद राजनेता बड़ी ही चतुराई के साथ अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़कर मौजूदा समय में उत्पन्न हालात के लिए एक-दूसरे दल के राजनेताओं व राज्यों को जिम्मेदार ठहरा कर अपनी जिम्मेदारी से इतिश्री कर रहे हैं, जिसको अब जल्द से जल्द समय रहते ही देश के आम-जनमानस को देशहित में समझना होगा। जिस भयावह कोरोना वायरस संक्रमण की आपदा के समय में देश के राजनेताओं को इंसान व इंसानियत को जिंदा रखने के लिए अपने-अपने राजनीतिक दलों से ऊपर उठाकर देश व देशवासियों के हित में एकजुट होकर लोगों की मदद करके सभी के लिए नज़ीर बनना था, लेकिन उस विकट समय में कुछ नादान लोगों को छोड़कर देश के अधिकांश समझदार निवासी तो एकजुट हैं, लेकिन अफसोस इस भयंकर महामारी के समय भी देश के कुछ राजनेता एकजुट नहीं होकर, आपदा में भी अपने राजनीतिक हित तलाशने से बाज नहीं आ रहे हैं, हालांकि देश के कुछ बेहद अच्छे इंसान राजनेताओं के द्वारा की जाने वाली हर तरह से लोगों की मदद के अपवाद भी हमारे सामने मौजूद हैं, वहीं दूसरी तरफ आपदा के समय में भी निस्वार्थ भाव से लोगों की मदद करने के लिए कुछ राजनेता तैयार नहीं हैं, कुछ नेता तो अपनी सरकारी निधि से दिये गये फंड का ऐसे ढ़िंढोरा पीट रहे हैं जैसे उन्होंने लोगों पर बहुत बड़ा एहसान कर दिया है, यहां भी केवल कुछ अपवादों को छोड़ दें तो किसी भी राजनेता ने अपने निजी खाते से शायद ही सरकार या लोगों की कोई मदद की हो।

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मानव सभ्यता पर आये भयानक संकट के समय में भी वो देश के लोगों को एकजुट रखने की जगह हिन्दू-मुसलमान करने में लगे हैं, अपने राजनीतिक स्वार्थों को पूरा करने के लिए आपदा के समय में भी वोट बैंक के अनुसार लोगों को अलग-अलग बांट़ रहे हैं, वो भयंकर आपदा में भी लोगों को हालात की गलत जानकारी देकर बरगला कर उनको गलत कदम उठाने के लिए उकसा रहे हैं, जो देश की मौजूदा परिस्थितियों में देश व देशवासियों के लिए बिल्कुल भी ठीक नहीं है। यह हमारे देश के चंद नेताओं की अपने कार्य व समाज की जिम्मेदारी के प्रति घोर लापरवाही को उजागर करता है और उनका देश की जनता के प्रति गैरजिम्मेदाराना शर्मनाक रवैये वाले व्यवहार को दर्शाता है। लेकिन अभी तक हमारे देशवासियों पर ईश्वर की विशेष कृपा के चलते और अधिकांश लोगों के द्वारा बरती जा रही कोरोना वायरस से बचाव के लिए पूर्ण सुरक्षा व सावधानी के चलते हालात नियंत्रण में हैं।

सरकार के द्वारा समय रहते लिए गये लॉकडाउन के निर्णय और अधिकांश जनता का उस पर खुद के द्वारा की गयी सख्ती व सही ढंग से अमल करने के चलते, देश में अभी तक तो इक्कीस दिन के चल रहे लॉकडाउन के दौरान हालात सरकार के पूर्ण नियंत्रण में हैं। लेकिन देश में भयानक आपदा के समय में भी हमारे कुछ राजनेताओं को चैन से नींद कहाँ है, उन्होंने पिछले कई दिनों से देश में हो रहे बड़े पैमाने पर प्रवासी लोगों के पलायन के नाम पर आरोप-प्रत्यारोप की ओछी राजनीति करना शुरू कर दी है। जबकि प्रवासी लोगों के द्वारा किया जा रहा यह पलायन कुछ जरूरतमंद मजबूर लोगों को छोड़कर बाकी का कहीं से भी उचित नहीं है, पलायन होने वाली राज्यों की सरकारों को समय रहते लोगों को समझा-बुझाकर व उनकी जरूरत की मदद करके उसको रोकना चाहिए था, लेकिन कुछ नेताओं के द्वारा चतुराई के साथ अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ने की नीति के चलते उन्होंने पलायन को रोकने के लिए कोई प्रभावी ठोस कदम नहीं उठाया, बल्कि लोगों को पलायन के लिए उकसाया। वहीं इन कुछ लोगों के बेवजह शहरों से गांवों में पलायन करने कि जिद्द ने ना जाने देश के कितने लोगों में संक्रमण फैलाने के खतरे को बढ़ा दिया है। इन कुछ पलायन करने वाले लोगों ने आम-जनमानस के साथ-साथ शासन-प्रशासन के लिए बहुत बड़ा सिरदर्द पैदा करके पूर्ण नियंत्रण में अच्छे से चल रहे लॉकडाउन के हालात को बेवजह बेहद तनावपूर्ण बना दिया है। कुछ लापरवाह नासमझ व्यक्तियों की गलतियों ने आपदा के समय में वास्तव में संकट में फंसे मजबूर व लाचार लोगों, परिंदों व बेजुबान जानवरों की मदद के अधिकांश अवसरों को छीन लिया है। 

लॉकडाउन के समय में देश में चंद नादान लोगों व चंद राजनेताओं के द्वारा उकसाने वाली की गयी ओछी हरकत से उत्पन्न किये गए अफरातफरी के हालातों में, यह सोचकर ही रुह कांप जाती है कि मजबूर, जरूरतमंद, दिहाड़ी मजदूर, रिक्शा वाले, फेरीवाले, भिखारी, विक्षिप्त, अन्य बेघर लोगों, परिंदों व बेजुबान जानवरों का क्या हाल हुआ होगा, किस तरह उन्होंने अपना पेट भरा होगा क्या अभी तक किसी भी राजनेता ने भी इसकी कल्पना की है?  क्या कोरोना आपदा के चलते संकट के इस माहौल के समय में भूख-प्यास से जूझ रहे इन सभी के पास समय से वास्तव में ईमानदारी से मदद पहुंच पायी होगी? इन बेचारों की स्थिति केवल सर्वशक्तिमान ईश्वर ही जानता है या फिर मदद में लगा हमारा सिस्टम जानता है। लेकिन जिसने जो किया उसमें ना उलझ कर हम सभी को एक जिम्मेदार नागरिक बनते हुए, अपने आसपास इस तरह के हालात में फंसे मजबूर व लाचार इंसान और जीव-जंतुओं पर उसकी मजबूरी को हावी नहीं होने देना है समय रहते ही सभी के लिए भोजन पानी की व्यवस्था करनी है या प्रशासन से करवानी है। आपदा के समय बनें इस बदहाल अव्यवस्थित हालात के लिए जिम्मेदार कुछ राजनेताओं के द्वारा इस समय भी राजनीति चमकाने का काम जरूर शुरू कर दिया गया है और वो भयावह स्थिति की जिम्मेदारी के लिए आपदा के समय में भी एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने से बाज नहीं आ रहे हैं। 

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कोरोना महामारी के हालात में लोगों को ध्यान रखना होगा कि वो केन्द्र सरकार व राज्य सरकार के दिये गये दिशानिर्देशों का सही ढंग से पालन करें। लेकिन कुछ लोग हैं कि किसी भी तरह के हालात में भी सुधरने का नाम ही नहीं लेते हैं, सबसे शर्मनाक बात यह है कि भयंकर आपदा के समय में भी देश में हिन्दू-मुसलमान करना जारी है, धर्म की आड़ लेकर देश में चोरी-छुपे लोगों का इकट्ठा होना अभी भी जारी है, जबकि सरकार बार-बार चेता रही है कि सोशल डिस्टेंसिंग का हर हाल में पालन करें, वरना लोगों को बहुत बड़ा खामियाजा उठाना पड़ सकता है, जिसका नमूना देश की राजधानी दिल्ली में देखने को मिला है, जहां निजामुद्दीन में तब्लीगी-ए-जमात के कार्यक्रम में पिछले कुछ दिनों में हजारों लोग आए थे। इनमें देश के 19 अलग-अलग राज्यों के निवासियों के साथ-साथ बंग्लादेश, चीन, इंडोनेशिया, मलेशिया और थाईलैंड आदि बहुत सारे देशों के विदेशी लोग भी शामिल थे। सूत्रों के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा घोषित 22 मार्च के लॉकडाउन की घोषणा के बाद भी यहां पर लगभग 2 हजार से ज्यादा लोग ठहरे हुए थे, देश की राजधानी दिल्ली के खुफिया तंत्र की खस्ताहाल हालात देखिए कि उनकी नाक के नीचे लोगों के इकट्ठा होने का सारा खेल चलता रहा और वो हाथ पर हाथ रखकर बैठे रहे। इस मामले की सूचना अंडमान निकोबार प्रशासन ने जमात के कार्यक्रम से वापस आये 2 लोगों के कोरोना से संक्रमित पाये जाने पर केंद्र सरकार को तुरंत दे दी थी, लेकिन देश में वीवीआईपी का अघोषित दर्जा प्राप्त धर्मों के तथाकथित ठेकेदारों व उनके कार्यक्रमों पर सिस्टम के द्वारा कोई कार्यवाही करने की आसानी से हिम्मत नहीं होती है, आपदा के समय में मरकज के इस ज्वंलत मसले पर 24 मार्च से 29 मार्च तक सरकारों की 'तेरी टोपी उसके सर' करने की नीयत रही और केवल इस मसले पर कागजों में खानापूर्ति की जाती रही, लेकिन 30 मार्च को जब बात मीडिया के संज्ञान में आयी, तब तक इकट्ठा लोगों की जमात में कोरोना संक्रमित लोगों ने अन्य को गंभीर बीमारी बांट़ दी। इसके बाद ही जमात पर कानून कार्यवाही शुरू हुई है। जिसके चलते जमात में शामिल लोगों के कोरोना संक्रमित होने की आशंका के चलते संदिग्धों को जांच के लिए दिल्ली के अस्पताल भेजा गया है, जहां बहुत सारे लोगों की जांच रिपोर्ट में कोरोना संक्रमण पाया गया है। सरकार ने यहां इकट्ठा लोगों को निकाल कर क्वारंटाइन में रखने के लिए भेजा दिया।

वहीं दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार व मंत्री मीडिया के सामने कर्ताधर्ताओं पर सख्त कार्यवाही करने के लिए बोल रहे हैं, इस मसले पर आयोजकों पर एफआईआर दर्ज हो गयी है। लेकिन आपदा के समय में राजनीति के गंदे खेल के चलते और चंद नेताओं की कृपा से इस मसले पर सख्त कार्यवाही की जगह राजनीति शुरू हो गयी है। हालांकि पुलिस ने क्षेत्र के लोगों की सुरक्षा के मद्देनजर निजामुद्दीन के पूरे इलाके से इस मरकज वाली इमारत के एरिया को सील करके अलग-थलग कर दिया है। अब सरकार के सामने बहुत बड़ी चुनौती है कि वो जमात के कार्यक्रम में शामिल हुए 19 राज्यों के लोगों की जल्द से जल्द पहचान करके संक्रमण को लोगों मे फैलने से कैसे रोकें, इसके लिए सभी राज्यों से संपर्क करके लोगों की पहचान के कार्य को युद्ध स्तर पर अंजाम दिया जा रहा है, जिसमें राज्यों को काफी सफलता हाथ लगी है।

अब चाहे कुछ भी होता रहे लेकिन यह तय है कि इन लोगों की लापरवाही व नादानी भरी हरकत ने लॉकडाउन के उद्देश्य को पलीता जरूर लगा दिया है। वहीं इस जमात के कार्यक्रम में शामिल लोगों के संदर्भ में अलग-अलग राज्यों से आ रही जानकारी के अनुसार सरकार ने बताया कि इस आयोजन में हिस्सा लेने वाले 9 लोगों की कोरोना संक्रमण के चलते मौत हो गई है, जो देश व समाज के हित में बेहद भयावह खबर है। सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि जमात के इस आयोजन में शामिल लोग ने सरकार के द्वारा बनाये गये बचाव के नियमों का पालन ना करके व एडवाईजरी की अनेदखी करके, ये लोग बेखौफ होकर देश के अलग-अलग भागों में मस्जिदों में अन्य लोगों से मिलते घूम रहे हैं, इन चंद लोगों की यह भयंकर गलती ना जाने कितने लोगों की अनमोल जिंदगी पर भारी पड़ेगी यह तो आने वाला समय ही तय करेगा। लेकिन कुछ राजनेताओं व सोशल मीडिया के इंसान व इंसानियत के दुश्मन वीरों की कृपा से सारे मसले पर हिन्दू-मुसलमान का रंग जरूर चढ़ा दिया गया है।

कोरोना वायरस की चपेट में आये विश्व के साधन संपन्न सुपरपावर ताकतवर देशों का वायरस के संक्रमण के सामने सरेंडर करना और उनकी भयानक स्थिति से आज हम सभी लोगों को और हमारी सरकार को समय रहते सीखना होगा, क्योंकि हमारे 130 करोड़ लोगों की जनसंख्या वाले देश में कुछ लोगों की नादानी व कुछ नेताओं की कृपा से अब जो स्थिति दिखाई दे रही है, उससे यह साफ होने लगा है कि लोगों की नादानी, राजनेताओं की स्वार्थ के वशीभूत होकर की गयी ओछी राजनीति, भयंकर आपदा से जूझ रहे देश व देशवासियों पर अब बहुत भारी पड़ सकती है। इसलिए अब हम सभी जागरूक देशवासियों को यह ध्यान रखना होगा कि कुछ नादान लोगों के द्वारा की गयी लॉकडाउन की अवेहलना के चलते, कोरोना वायरस का संक्रमण देश में बड़े स्तर पर किसी भी हालात में ना फैल पाये। क्योंकि उस भयावह स्थिति में कोरोना जैसी भयंकर महामारी से लड़ने के लिए हमारे पास विकसित देशों की तरह भरपूर संसाधन उपलब्ध नहीं हैं। बल्कि हमारे देश में उच्च गुणवत्ता पूर्ण चिकित्सा से जुड़े हुए संसाधनों व चिकित्सकों का तो सामान्य दिनों में भी अभाव रहता है। हमारे देश में आबादी के अनुपात में जाचं के लिए ना ही तो कोरोना की जांच में इस्तेमाल होने वाली किट मौजूद हैं, ना ही मरीजों के बचाव के लिए पर्याप्त संख्या में डॉक्टर व नर्सिंग स्टाफ मौजूद हैं, ना मरीजों के लिए जरूरत के मुताबिक आइसोलेशन वार्ड मौजूद हैं, ना ही वेंटिलेटर व ना ही अन्य जीवन रक्षक चिकित्सा उपकरण मौजूद हैं। सबसे अधिक चिंता की बात यह है कि मरीजों के उपचार में और सिस्टम में व्यवस्था बनाने में लगे हुए सभी जांबाज कोरोना वारियर्स की सुरक्षा के लिए जरूरी वस्तुओं की आज आपदा के समय में भी भारी किल्लत है, इलाज में लगे डॉक्टरों व नर्सिंग स्टाफ की संक्रमण से सुरक्षा लिए पीपीई सूट, एन 95 मास्क व अन्य सुरक्षा के लिए जरुरी वस्तुओं तक की भारी किल्लत है, जो स्थिति इन कोरोना वारियर्स की कार्य करने की क्षमता व कार्यशैली को प्रभावित कर सकती है, हालांकि संतोष की बात यह है कि हमारी सरकार ने अन्य देशों की स्थिति से सबक लेकर समय रहते ही इन सभी के लिए युद्ध स्तर पर तैयारी शुरू कर रखी है। वहीं इस आपदा से लड़ने के जज्बे को देखें तो अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति के बलबूते आज दक्षिण कोरिया जैसा दुनिया का एक छोटा-सा देश के लाखों लोगों की कोरोना जांच कर चुका है, वह हर जगह को सेनेटाइज करवा कर संक्रमण को बहुत तेजी से नियंत्रित कर रहा है।

-दीपक कुमार त्यागी

(स्वतंत्र पत्रकार व स्तंभकार)

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