Vishwakhabram: Imran Khan ने जेल में बैठे-बैठे बल्ला घुमा कर पाकिस्तानी सेना और नवाज शरीफ के छक्के छुड़ा दिये

Imran Khan
ANI

पाकिस्तान में इमरान खान के प्रति युवाओं में खासा जोश है और युवा चाहते हैं कि परिवारवादी, भ्रष्टाचारी और विदेशों में अपनी संपत्ति बना चुके लोग देश नहीं चलाएं बल्कि देश वो चलाये जो स्वतंत्र नीति के तहत पाकिस्तान को आगे बढ़ा सके और युवाओं के सपने पूरे कर सके।

पाकिस्तान में धांधली और हिंसा के बीच संपन्न आम चुनाव में पाकिस्तानी सेना और नवाज शरीफ को करारा झटका लगा है। पाकिस्तानी सेना के अध्यक्ष जनरल असीम मुनीर अहमद ने सोचा था कि इमरान खान को गद्दी से उतार कर और उन्हें जेल में ठूँस कर वह रिमोट कंट्रोल से सरकार चलाएंगे। लेकिन जब जनता अपनी पर आती है तो बड़े-बड़े सूरमाओं के पजामे उतार देती है। पाकिस्तान की जनता ने अपनी सेना और लोकतंत्र को बनावटी बनाये रखने का प्रयास करने वालों को ऐसा झटका दिया है जो बरसों तक याद किया जायेगा। महंगाई, अराजकता और तमाम तरह की अन्य दुश्वारियों से परेशान चल रही पाकिस्तानी जनता ने इस बार जो जनादेश दिया है वह दुनिया को हैरत में डाल देने वाला है। पाकिस्तान के अंतिम चुनाव परिणाम चाहे कुछ भी घोषित किये जाएं एक बात तो साफ नजर आ रही है कि इमरान खान ने जेल में बैठे-बैठे अपना बल्ला ऐसा घुमाया है कि पाकिस्तान की सेना और नवाज शरीफ तथा बिलावल भुट्टो और उनकी पार्टियों के छक्के छुड़ा दिये हैं।

दरअसल पाकिस्तान में इमरान खान के प्रति युवाओं में खासा जोश है और युवा चाहते हैं कि परिवारवादी, भ्रष्टाचारी और विदेशों में अपनी संपत्ति बना चुके लोग देश नहीं चलाएं बल्कि देश वो चलायें जो स्वतंत्र नीति के तहत पाकिस्तान को आगे बढ़ा सकें और युवाओं के सपने पूरे कर सकें। पाकिस्तानी युवाओं को लगता है कि इमरान खान में ऐसा करने का माद्दा है तभी तो उनके जेल में होने के बावजूद, उनकी पार्टी को एक तरह से खत्म कर दिये जाने के बावजूद इमरान के निर्देश पर उनके जो उम्मीदवार निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में उतरे उन्होंने जनता का भरपूर समर्थन हासिल किया जिससे जनरल मुनीर के अरमानों पर पानी फिरता नजर आ रहा है। जनरल मुनीर यह सह नहीं पा रहे हैं इसलिए तमाम तरह के बहाने बनाकर पाकिस्तान चुनाव के नतीजों को टालने की कोशिश की जा रही है या फिर उसे पलटने का षड्यंत्र किया जा रहा है। हम आपको बता दें कि जनरल मुनीर नहीं भूले हैं कि कैसे इमरान समर्थकों ने पाकिस्तानी सेना के बड़े-बड़े जनरलों और रावलपिंडी के सैन्य मुख्यालय में घुसकर तोड़फोड़ मचाई थी। पाकिस्तान के इतिहास में यह पहला अवसर था जब सेना से जुड़े लोगों की पिटाई की गयी थी। यही नहीं, पाकिस्तान के इतिहास में यह भी पहला अवसर था जब कोई राजनेता (इमरान खान) अपनी सभाओं में राजनीतिक विरोधियों की बजाय सेना के अधिकारियों को निशाने पर रखता था।

इमरान खान की इन्हीं बातों से नाराज होकर जनरल मुनीर ने सेना के अधिकारियों के साथ मिलकर पहले तो इमरान को पद से हटाने और उन पर गंभीर प्रकृति के आरोप लगाकर उन्हें जेल पहुँचाने की योजना बनाई। योजना के तहत समय आने पर इमरान खान की सरकार को गिरवा कर शहबाज शरीफ को प्रधानमंत्री बनाया गया फिर इमरान खान को जेल पहुँचाया गया और उसके बाद आत्म निर्वासन झेल रहे अनुभवी नेता नवाज शरीफ को वापस बुलाया गया और उन्हें प्रधानमंत्री बनाने के लिए पूरा मैदान सजाया गया। पहले किसी ना किसी बहाने से चुनाव टाले जाते रहे लेकिन जब दिख गया कि बिना निर्वाचित सरकार के पाकिस्तान को विदेशों या अंतरराष्ट्रीय वित्त एजेंसियों से उधार नहीं मिलेगा तो आखिरकार चुनाव कराया गया। चुनाव भी ऐसे कराये गये कि किसी सीट से आतंकवादी चुनाव लड़ रहा था तो किसी सीट से आतंकवादी का बेटा। मतदान केंद्रों और रैलियों में बम धमाके हो रहे थे ताकि मतदाता घर से निकलने से कतराएं और सेना अपने मन मुताबिक नतीजे घोषित करवा सके। सेना को जब पाकिस्तान में इमरान खान के प्रति चल रही लहर का अंदाजा लगा तो मोबाइल इंटरनेट सेवाएं और कई जगह मोबाइल फोन सेवाएं भी बंद करा दी गयीं ताकि कहीं से कोई खबर किसी को नहीं लगे। लेकिन पाकिस्तानी सेना भूल गयी कि जनता जब एकजुट होती है तो किसी की चलती नहीं।

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दूसरी ओर, अब तक प्राप्त चुनाव परिणामों के मुताबिक जिन बड़े नेताओं ने जीत हासिल कर ली है उनमें पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ, उनके छोटे भाई शहबाज शरीफ, शहबाज शरीफ के बेटे हमजा शहजाद और शरीफ की बेटी मरियम नवाज शामिल हैं। इसके अलावा पीपीपी नेता आसिफ अली जरदारी और उनके बेटे बिलावल भी अपनी-अपनी सीट पर जीत हासिल करने में सफल हुए हैं। इससे यह तो प्रदर्शित होता है कि पाकिस्तान में परिवारवादी राजनीति की जड़ें काफी गहरी हैं। पाकिस्तान चुनाव में वैसे तो दर्जनों दल मैदान में उतरे थे लेकिन मुख्य मुकाबला इमरान खान की पार्टी ‘पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ’ (पीटीआई), तीन बार प्रधानमंत्री रह चुके शरीफ की पाकिस्तान मुस्लिम लीग (एन) और बिलावल जरदारी भुट्टो की ‘पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी’ (पीपीपी) के बीच ही नजर आ रहा था। पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान जेल में हैं और उनके चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध है। इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के प्रत्याशी निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे थे क्योंकि देश के उच्चतम न्यायालय ने उनकी पार्टी को उसके चुनाव चिह्न क्रिकेट का 'बल्ला' से वंचित करने के निर्वाचन आयोग के फैसले को बरकरार रखा था। खास बात यह है कि इमरान खान की पार्टी समर्थित निर्दलीय उम्मीदवारों ने ना सिर्फ राष्ट्रीय चुनावों में बल्कि प्रांतीय चुनावों में भी अच्छा प्रदर्शन किया है।

इस बीच, पीटीआई के नेताओं ने तो चुनाव परिणाम घोषित किये जाने से पहले ही अपनी जीत का ऐलान भी कर दिया है और साथ ही चुनाव परिणाम को पलटने और मतगणना में धांधली की आशंका भी जता दी है। पार्टी ने अपने सिलसिलेवार सोशल मीडिया पोस्टस में कहा है कि पीटीआई के उम्मीदवार अब विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों में अचानक हार रहे हैं, जबकि वे पहले ही (इन क्षेत्रों में) स्पष्ट बहुमत से जीत चुके थे। पीटीआई ने एक और बयान जारी कर नवाज शरीफ से अपनी हार स्वीकार करने को कहा है। पीटीआई ने ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘नवाज शरीफ थोड़ी गरिमा दिखाइए, हार स्वीकार कीजिए। पाकिस्तान की जनता आपको कभी स्वीकार नहीं करेगी। लोकतांत्रिक नेता के रूप में विश्वसनीयता हासिल करने का यह एक सुनहरा अवसर है। दिनदहाड़े डकैती को पाकिस्तान बड़े पैमाने पर खारिज कर देगा।’’ लेकिन दूसरी ओर, नवाज शरीफ की पार्टी पीएमएल-एन ने पीटीआई के जीत के दावे को खारिज किया और अपनी जीत का दावा किया। पार्टी नेता इशाक डार के अनुसार, ''चुनाव प्रकोष्ठ के संकलित आंकड़ों और सार्वजनिक रूप से पहले से ही उपलब्ध परिणामों के आधार पर, पीएमएलएन नेशनल असेंबली में सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी और पंजाब विधानसभा में स्पष्ट बहुमत वाली पार्टी के रूप में उभरी है।’’ उन्होंने कहा कि ‘‘समय से पहले और पक्षपातपूर्ण अटकलों’’ से बचना चाहिए क्योंकि ईसीपी ने सभी परिणामों की आधिकारिक घोषणा अभी नहीं की है।

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हम आपको बता दें कि नेशनल असेंबली की 336 सीट में से 266 पर ही मतदान कराया जाता है। बाजौर में, हमले में एक उम्मीदवार की मौत हो जाने के बाद एक सीट पर मतदान स्थगित कर दिया गया था। इसलिए 265 पर ही मतदान कराया गया। अन्य 60 सीट महिलाओं के लिए और 10 सीटें अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षित हैं और ये जीतने वाले दलों को आनुपातिक प्रतिनिधित्व के आधार पर आवंटित की जाती हैं। पाकिस्तान में नयी सरकार बनाने के लिए किसी भी पार्टी को 265 सीट में से 133 सीट जीतनी होंगी।

बहरहाल, पाकिस्तान में चुनाव परिणाम कुछ भी हों, देश के इतिहास में यह पहली बार होगा कि इतनी बड़ी संख्या में निर्दलीय उम्मीदवार जीत कर आएंगे। देखना होगा कि क्या कोई निर्वाचित निर्दलीय नेता ही पाकिस्तान का नया प्रधानमंत्री बनता है? चूंकि यह स्पष्ट है कि पाकिस्तान में पूर्ण बहुमत वाली सरकार नहीं बनने जा रही है ऐसे में सवाल यह भी उठता है कि क्या गठबंधन सरकार अपना कार्यकाल पूरा कर पायेगी? सवाल यह भी उठता है कि क्या इमरान खान समर्थित संभावित नई सरकार इमरान खान को जेल से बाहर निकाल पायेगी? सवाल यह भी उठता है कि क्या सेना इमरान खान द्वारा समर्थित सरकार बनवाने का जोखिम उठायेगी?

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