आधुनिक राष्ट्र निर्माण की दिशा में पहल है स्मार्ट सिटी योजना

किसी भी देश, समाज और राष्ट्र के विकास की प्रक्रिया के आधारभूत तत्व सामाजिक-आर्थिक दृष्टिकोण, वैचारिक स्पष्टता और सांस्कृतिक विकास ही उसका आधार स्तम्भ होता है जिससे वहां के लोग आपसी भाईचारे से विकास की नैया आगे बढ़ाते हैं। समाज का प्रत्येक वह व्यक्ति जो राष्ट्र का नेतृत्व करना चाहता है उसके पास राष्ट्र निर्माण के लिए एक दृष्टि होनी चाहिए साथ ही उसे क्रियात्मक रूप देने के लिए एक कारगर योजना भी होनी चाहिए। भारत का यह दुर्भाग्य रहा है कि कहने को तो देश के पास राष्ट्र-नायकों की कभी कोई कमी नहीं रही, परंतु आजादी के समय से लेकर मई 2014 तक एक से बढ़ कर एक बुद्धिजीवियों के हाथ में देश का नेतृत्व रहा लेकिन राष्ट्र निर्माण के लिए उनके द्वारा जो भी पहल की गईं वह मौलिक सोच पर आधारित नहीं थीं।
देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू जहां देश को समय से पहले इंग्लैंड (विकसित राष्ट्र) बनाना चाहते थे, वहीं भारत के अंतिम कांग्रेसी प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की सोच कभी उनकी खुद की नहीं रही और वो पूरे कार्यकाल तक नाम मात्र के कठपुतली प्रधानमंत्री बन कर रह गए। राष्ट्र को विकसित राष्ट्र बनाने का स्वप्न देखना और उसे किसी भी फार्मूले के तहत विकसित राष्ट्र के रूप में पहल करना गलत नहीं है, गलती उस दृष्टि की है जिसमें राष्ट्र को देखने की मौलिक सोच और राष्ट्रीय दृष्टि का अभाव है, वर्तमान के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता-सीन होने से पहले तक कमोवेश देश की यही स्थिति रही है, जिनके हाथ में राष्ट्र के निर्माण का दायित्व था उनकी सोच कभी समाजवादी चश्मे की चकाचौंध की शिकार थी तो कभी उनके दृष्टि पर गाहे बगाहे लाल सलाम का कब्जा रहा, इसका प्रतिफल ये रहा कि राष्ट्र निर्माण की जो भी आर्थिक नीति बनी और सामाजिक पहल की गई वह निहायत अव्यवहारिक और राष्ट्र को दिवालिया बनाने वाली रहीं। उन नीतियों का कुफ़ल ही राष्ट्र को 1990 मे आर्थिक संकट के रूप मे भुगतना पड़ा, अर्थशास्त्र का हर ज्ञाता इस बात को जानता है कि राष्ट्र निर्माण की नीतियां लोकप्रियता की चासनी से सराबोर नहीं हो सकती हैं वो दवा की तरह से कड़वी होती हैं जो वर्तमान में कष्टकारी और भविष्य के लिए हितकारी परिणाम होता है।
भारतीय जनता पार्टी ने नरेंद्र मोदी की राष्ट्रीय सोच और इसी समझ के नाते उनके हाथ में देश का नेतृत्व देने का निर्णय लिया। मोदी जी ने भी प्रधानमंत्री बनने के बाद हाल-फिलहाल तक किसी भी मोर्चे पर निराश नहीं किया और जनाकांक्षाओं के प्रतीक बनकर जनता के बीच अपने को प्रस्तुत किया। उनके पास दूर दृष्टि है, उन्होंने प्रधानमंत्री बनते ही भारत के आधुनिक निर्माण के लिए कई मूर्त कार्य योजनाओं की रूप रेखा प्रस्तुत की। इसी क्रम में उन्होंने भारत के शहरों का काया कल्प करने का निर्णय लिया और इस अभिनव पहल को स्मार्ट सिटी के रूप में पहचान मिली और इसके तहत ही भारतीय शहरों के आधुनिकरण की रूपरेखा बनाई गई। भाजपा सरकार का उद्देश्य देश में ऐसे 100 स्मार्ट सिटी के निर्माण का लक्ष्य है जो पूरी तरह से आधुनिक संसाधनों से युक्त होंगे। सरकार की ओर से ऐसा मानक पैमाना बनाया गया जिसके तहत यह सुनिश्चित किया गया कि प्रत्येक राज्य में कम से कम एक स्मार्ट सिटी का निर्माण अवश्य किया जा सके। स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने 25 जून 2015 को स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट को देश के सामने प्रस्तुत किया। स्मार्ट सिटी की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुये केंद्र सरकार के शहरी विकस मंत्रालय की ओर से बताया गया कि हर राज्य में कम से कम एक स्मार्ट सिटी का अवश्य विकास किया जाएगा साथ ही यह भी बताया गया कि स्मार्ट सिटी का निर्माण दो चरणों में होगा। पहले चरण के तहत नई स्मार्ट सिटियों का निर्माण किया जाएगा और दूसरे चरण में पुरानी स्मार्ट सिटियों का नवीनीकरण किया जाएगा।
स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत केंद्र सरकार ने प्रयोग के तौर पर दो बड़े शहरों के बीच स्मार्ट सिटी के निर्माण का निर्णय किया है। इन स्मार्ट सिटियों की खास बात यह है कि इसका निर्माण एक लाख से अधिक की आबादी वाले शहरों में किया जा रहा है, योजना के तहत जिन राज्यों में स्मार्ट सिटियों का निर्माण कार्य होना है वहां नगर निगम की ओर से बिजली, पानी और यातायात की व्यवस्था का होना सुनिश्चित किया जाएगा। साथ ही इन शहरों में सूचना प्रौद्योगिकी से संबंधित प्रयोग लायक मूल-भूत संसाधनों का होना जरूरी है। स्मार्ट सिटी के विकास के साथ केंद्र सरकार द्वारा जो ध्यान देने योग्य प्रावधान किया गया है वह यह है कि एक स्मार्ट सिटी को अपने नजदीकी शहर के विकास में मदद करनी होगी।
केंद्र सरकार की इस बात की भी तारीफ होनी चाहिए की इस योजना का निर्माण राजनीतिक आग्रहों और दुराग्रहों से मुक्त हो कर किया गया है। अगर ऐसा नहीं होता तो विरोधी विचारधारा, समाजवादी पार्टी की नेतृत्व वाले राज्य उत्तर-प्रदेश के सर्वाधिक शहरों को इस प्रोजेक्ट में स्थान नहीं मिलता क्योंकि मोदी जी के भारत के विकास का जो नजरिया है वह व्यापक है। स्मार्ट सिटी के विकास के बाद राष्ट्र के विकेंद्रकृत व्यवस्था को धरातल पर लाने में भी पूरा सहयोग मिलेगा और विकास आसानी से गांवों की ओर उन्मुक्त होंगे। प्रधानमंत्री की योजना स्मार्ट सिटी के बाद स्मार्ट गाँव बनाने की भी है ताकि छोटे शहर के छात्रों, कलाकारों और उद्यमियों को एक प्लेटफॉर्म दिलाने के बाद गाँव के युवाओं को भी बेहतर अवसर के लिए उचित मंच उपलब्ध कराया जा सके। वास्तविक विकसित राष्ट्र की पहचान उसके सर्वाधिक विकसित शहरो से नहीं होती बल्कि उसके पास कितने सर्वाधिक विकसित शहर हैं से होती है। तात्पर्य स्पष्ट है- विकसित राष्ट्र के मुकाम तक पहुंचने के लिए राष्ट्र का विकेंद्रीकृत शहरीकरण एक बड़ी समस्या है। पूरे विश्वास के साथ कहा जा सकता है की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह अभिनव प्रयोग समृद्ध, सुदृढ़ और सशक्त भारत का नींव रखेगा।
- डॉ. सौरभ मालवीय
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