17 साल बाद लौटे तारिक रहमान, बांग्लादेश की राजनीति में 'लोकतंत्र की रक्षा' का नया दांव

17 साल बाद बांग्लादेश लौटे तारिक रहमान, राजनीतिक परिदृश्य में नया मोड़, अंतरिम सरकार के बीच उनकी वापसी से भविष्य की राजनीति पर बहस तेज।
गुरुवार का दिन खास रहा जब 17 साल बाद बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के वरिष्ठ नेता तारिक रहमान स्वदेश लौटे। ढाका के हज़रत शाहजलाल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उनके स्वागत के लिए हजारों समर्थक उमड़ पड़े। भारी सुरक्षा के बीच वे अपनी पत्नी जुबैदा और बेटी जैमा के साथ विमान से उतरे और नंगे पांव ज़मीन पर कदम रखा।
बता दें कि तारिक रहमान को बांग्लादेश की राजनीति में एक प्रभावशाली लेकिन विवादित चेहरा माना जाता है। वह पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के बेटे और दिवंगत राष्ट्रपति जियाउर रहमान के पुत्र हैं। लंबे समय से वे लंदन में निर्वासन का जीवन बिता रहे थे और 2018 से बीएनपी के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में पार्टी का नेतृत्व कर रहे थे।
मौजूद जानकारी के अनुसार, उनकी वापसी ऐसे वक्त हुई है जब देश में अंतरिम सरकार सत्ता में है। अगस्त 2024 में छात्र आंदोलन के बाद प्रधानमंत्री शेख हसीना को सत्ता छोड़नी पड़ी थी, जिसके बाद नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार बनी। इस सरकार ने फरवरी 2026 में आम चुनाव कराने की घोषणा की है।
गौरतलब है कि तारिक रहमान की मां और पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया इस समय गंभीर रूप से बीमार हैं और नवंबर से अस्पताल में भर्ती हैं। ऐसे में पार्टी और समर्थकों की नजर अब तारिक रहमान पर टिकी है, जिन्हें भावी प्रधानमंत्री के रूप में देखा जा रहा है।
राजनीतिक तौर पर रहमान का सफर विवादों से भी भरा रहा है। 2007 में सैन्य समर्थित सरकार के दौरान उन्हें गिरफ्तार किया गया था और बाद में इलाज के बहाने वे ब्रिटेन चले गए थे। उन पर भ्रष्टाचार, हिंसा और सत्ता के दुरुपयोग जैसे कई आरोप लगे, जिन्हें वे और उनकी पार्टी राजनीतिक साजिश बताते रहे हैं। कुछ मामलों में सजा भी हुई थी, लेकिन 2024 में सत्ता परिवर्तन के बाद कई मामलों पर रोक लगा दी गई।
अपने संबोधन में तारिक रहमान ने कहा कि जैसे 1971 में देश को आज़ादी मिली थी, वैसे ही 2024 में जनता ने फिर से लोकतंत्र की रक्षा की है। उन्होंने कहा कि वे एक सुरक्षित, समावेशी और न्यायपूर्ण बांग्लादेश बनाना चाहते हैं, जहां हर नागरिक बिना डर के जी सके।
कुल मिलाकर, उनकी वापसी ने बांग्लादेश की राजनीति में नई ऊर्जा और नई बहस को जन्म दिया है, और आने वाले चुनावों से पहले देश की दिशा तय करने में यह एक अहम मोड़ माना जा रहा है।
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