The Bengal Files teaser: सच, साज़िश और नरसंहार की अनकही दास्तान

विवेक अग्निहोत्री की फ़िल्में इतिहासनिष्ठ कथाएँ होती हैं, जैसे ‘कश्मीर फाइल्स’, ‘ताशकंद फाइल्स’ जो दबे हुए सत्य उजागर करने की धृष्टता करते हैं। विवेक अग्निहोत्री अपनी फिल्मों में बोल्ड टोन के लिए प्रख्यात हैं।
आज रिलीज़ हुआ 'द बंगाल फाइल्स: राइट टू लाइफ' का टीज़र एक बार फिर विवेक रंजन अग्निहोत्री की साहसपूर्ण कहानी शैली का परिचायक है। ‘द बंगाल फाइल्स’ 1940 के दशक में बंगाल में हुए साम्प्रदायिक हिंसा (विशेष रूप से डायरेक्ट एक्शन डे और नोहाखली दंगों) पर आधारित है। यह एक ऐसी घटना है जिसे अक्सर इतिहास की धुंध में गुम कहा जाता है, और अग्निहोत्री इसे हिन्दू नरसंहार की रूपरेखा में पेश करते हैं। टीज़र में दी गई पिवोटल लाइन - “If Kashmir hurt you, Bengal will haunt you”- साफ इशारा करती है कि यह सिर्फ क्षेत्रीय ट्रैजिक स्टोरी नहीं, बल्कि एक इतिहास की परतों को उजागर करने वाली राजनीतिक-भावनात्मक फिल्म है।
यह फ़िल्म दर्शकों, विशेषकर विवेक अग्निगोत्री के फैन्स के लिए बेहद ख़ास होगी। गंभीर, अँधेरी और बेचैन करने वाली टोन, टीज़र में देवी दुर्गा की जलती मूर्ति, तीखा संवाद, और कण-कण में यथार्थ का अहसास रोमाँच के लिए पर्याप्त है। मिथुन चक्रवर्ती का जर्जर लुक, जलते जीभ के साथ संविधान का उद्घोष- एक मेमोरेबल इमोशनल पल क्रिएट करता है। इतिहास से जुड़ी संवेदनशीलता को टीज़र ने बखूबी दर्शाया है जो एक ऐतिहासिक अनुसंधान की तैयारी लगती है - दर्शक व्यथित भी होंगे और सोचने के लिए मजबूर भी।
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विवेक अग्निहोत्री की फ़िल्में इतिहासनिष्ठ कथाएँ होती हैं, जैसे ‘कश्मीर फाइल्स’, ‘ताशकंद फाइल्स’ जो दबे हुए सत्य उजागर करने की धृष्टता करते हैं। विवेक अग्निहोत्री अपनी फिल्मों में बोल्ड टोन के लिए प्रख्यात हैं। संवेदनशील, विवादित विषयों पर निर्भीक दृष्टिकोण के कारण आलोचकों से टकराव स्वाभाविक है, किन्तु बन्दे में दम है– वे अपनी प्रक्रिया जारी रखते हैं। उनकी कहानी में सेंटिमेंट और पॉलिटिक्स का अनूठा संगम होता है।
क्रिटिक्स कहते हैं: ‘द बंगाल फाइल्स’ टीज़र पर अब तक कोई पूर्ण समीक्षा नहीं आई है, लेकिन ‘कश्मीर फाइल्स’ और ‘टाशकंद फाइल्स’ के लिए आलोचकों ने कहा था कि उनमें सच बोलने की हिम्मत है, अनसुने पहलुओं को सामने लेकर आये हैं और स्टोरीटेलिंग में इमोशनल इंटेंसिटी है। साथ ही, उन पर एकतरफा व्याख्या, ऐतिहासिक तथ्यों की चुनिंदा प्रस्तुति और सामाजिक विभाजन को बढ़ाने के आरोप भी लगाए गए। अग्निहोत्री खुद सोशल मीडिया पर ट्रोल्स को जवाब देते हैं। कश्मीर फाइल्स की अप्रत्याशित सफलता उन्हें अपने प्रशंसकों का ख़ास बनाती है।
फ़िल्म दमदार कलाकारों से लैस है। मिथुन चक्रवर्ती, अपने रग्गड, दाढ़ी वाले लुक में दिखते हैं। संवेदनशील लोकतंत्र के उद्घोषक के रूप में उनकी आवाज़ में इतिहास का दर्द झलकता है। अनुपम खेर, पल्लवी जोशी, दर्शन कुमार, पुणीत इस्सर, गोविंद नामदेव– अनुभवी कलाकारों का समूह, जिनकी उपस्थिति फिल्म को करिश्माई बनाती है। बच्चू मान, नमाशी चक्रवर्ती (मिथुन के पुत्र)– युवा और वरिष्ठ प्रदर्शन का संयोजन, कहानी में पीढ़ीगत संवेदनाएँ जोड़ते हैं। टीज़र में देवी दुर्गा की जलती मूर्ति—बंगाल की सांस्कृतिक विरासत को नीति नाटकीय रूप में उभारता है।
‘द बंगाल फाइल्स: राइट टू लाइफ’ का टीज़र विवेक अग्निहोत्री स्टाइल का संक्षिप्त, तीखा और भावनात्मक प्रदर्शन है। यह एक जागरूकता और प्रेरणा देने वाली फिल्म होगी जो इतिहास की असहज परतें खोलती है। विरोधाभासी प्रतिक्रियाएँ, जहाँ तारीफ़ भी मिलेगी और विवाद भी होंगे, जैसे उनकी पिछली फिल्मों को मिला। सशक्त अभिनय, जहाँ मिथुन जैसी इंडियन आइकन बस उपस्थित होकर ही कहानी को मजबूती देते हैं। अग्निहोत्री के ट्रिलॉजी के तहत, यह तीसरा अध्याय बंगाल की साम्प्रदायिक त्रासदियों को नयापन, संवेदना और बहस के ज़रिए सामने लाएगा। यहाँ गौर करने वाली बात है, पहले ‘द दिल्ली फाइल्स’ के नाम से रिलीज़ होने वाली फ़िल्म अब ‘बंगाल फाइल्स’ के नाम से आई है। अतः यह कहना गलत नहीं होगा कि इस कड़ी में हमें एक और फ़िल्म देखने को मिल सकती है जो दिल्ली के गहरे राज़ उजागर करेगी। सत्य को जनता के सामने लाने का बीड़ा उठाने वाले विवेक अग्निहोत्री की इस फ़िल्म का भी उनके प्रशंसक बेसब्री से इंतज़ार करेंगे। बहरहाल, ‘द बंगाल फाइल्स’ के टीज़र ने पहले ही दर्शकों की जिज्ञासा जगाई है- ऑस्कर, आरोप, आलोचना- सब कुछ सामने आने वाला है 5 सितंबर 2025 को।
- दीपा लाभ,
स्वतंत्र पत्रकार, बर्लिन, जर्मनी
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