एकतरफा नहीं होगी सीरीज, इंग्लैंड की टीम दे रही कड़ी टक्कर

England team
ANI

इंग्लैंड के मौजूदा दौरे पर वापस आते हैं। इस विदेशी टीम के साथ इस बार एक नया जुमला 'बैजबाल' बोला जा रहा है। इसका अर्थ है आक्रामक क्रिकेट खेल कर विरोधी टीम को पस्त कर देना। हैदराबाद के पहले टेस्ट में अंग्रेज टीम ने इसी शैली से खेलकर भारत को हरा भी दिया।

इंग्लैंड का भारत दौरा बड़ा रोचक होने वाला है। पांच टेस्ट मैचों की सीरीज के दो टेस्ट हो चुके हैं और अभी मुकाबला 1−1 से बराबरी पर है। इससे यह तो पता चल ही गया है कि यह श्रृंखला एकतरफा नहीं होगी। भारतीय टीम पिछले करीब दस वर्षों से अपने देश में कोई टेस्ट सीरीज हारी नहीं है। अपने स्पिन अटैक के बूते हम विपक्षी टीमों को धराशाई करते रहे हैं। साल 2012−13 में पिछली पराजय अंग्रेज टीम से ही मिली थी जब एलियेस्टर कुक की कप्तानी में इंग्लैंड की टीम ने महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी वाली टीम इंडिया को 2−1 से हराया था। ग्रीम स्वान और भारतीय मूल के स्पिनर मोंटी पनेसर हमारे बल्लेबाजों पर इतना छा गए कि वे रन ही नहीं बना पा रहे थे। उस सीरीज में स्वान ने कुल 20 और पनेसर ने 17 विकेट झटके थे। स्पिन की मुफीद पिचों पर विदेशी टीम भारतीय बल्लेबाजों की परीक्षा ले रही थी। बहरहाल वह कहानी अब पुरानी हो गई है। भारतीय मैदानों पर भारत को हराना हमेशा टेढ़ी खीर रहा है। अस्सी के दशक के बाद भारतीय क्रिकेट का पुनर्जागरण हो गया। कपिल देव और सचिन तेंदुलकर का युग आ गया। महेंद्र सिंह धोनी ने इस परंपरा को आगे बढ़ाया। हमारी टीम में विश्व स्तरीय खिलाड़ी आए जिससे हमें हराना आसान नहीं रहा। कम से कम भारतीय पिचों पर तो कोई भी विदेशी टीम अब हमें हराने का माद्दा नहीं रखती है।

इंग्लैंड के मौजूदा दौरे पर वापस आते हैं। इस विदेशी टीम के साथ इस बार एक नया जुमला 'बैजबाल' बोला जा रहा है। इसका अर्थ है आक्रामक क्रिकेट खेल कर विरोधी टीम को पस्त कर देना। हैदराबाद के पहले टेस्ट में अंग्रेज टीम ने इसी शैली से खेलकर भारत को हरा भी दिया। जीत के लिए 231 रनों का लक्ष्य भारतीय टीम के लिए दूर की कौड़ी बन गया और 28 रनों से हम पहला टेस्ट हार गए।

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बल्लेबाजी भारत की ताकत रही है मगर अभी तक हुए दो टेस्ट मैचों को देख कर लगता है कि हमारे बैटर रन बनाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। विशाखापतनम में यशस्वी जायसवाल के दोहरे शतक को छोड़ दें तो कोई भी अच्छी पारी देखने को नहीं मिली। दूसरे टेस्ट में शुभमन गिल ने 103 रन बनाकर अपनी इज्जत बचा ली वर्ना उसे टीम से बाहर करने की मांग उठने लगी थी। कप्तान रोहित शर्मा खुद रन नहीं बना पा रहे हैं। एक कप्तान से उम्मीद रहती है कि वह यादगार पारी खेल कर दूसरे खिलाडि़यों को प्रेरित करे लेकिन उनका बल्ला बिल्कुल खामोश हो चला है। वैसे भी देखा जाए तो रोहित सीमित ओवरों के क्रिकेटर हैं। उन्होंने टेस्ट मैचों में बढि़या प्रदर्शन कभी कभार ही किया है। क्रिकेट के लंबे प्रारूप में उनका प्रवेश भी बहुत देर से हुआ। रोहित पांच दिनों तक चलने वाले खेल के योद्धा कतई नहीं लगते। प्रबंधन की मजबूरी है कि रोहित को कप्तान की जिम्मेदारी देनी पड़ी है। विराट कोहली ने जबसे कप्तानी छोड़ी है, टेस्ट मैचों के लिए कोई उम्दा कप्तान अभी तक नहीं मिला है। हैदराबाद टेस्ट में अच्छी बढ़त लेने के बावजूद पराजित हो जाना रोहित की लचर कप्तानी का सबूत भी है।  

        

केवल स्पिन आक्रमण के बूते इंग्लैंड को हराना कठिन है। हमारे बल्लेबाजों को सम्मानजनक स्कोर बना कर देना होगा तभी गेंदबाज भी कुछ कर पाएंगे। बल्लेबाजी मजबूत करने के लिए चेतेश्वर पुजारा को वापस लाने की चर्चा भी हो रही है। वह रणजी मैचों में बढि़या प्रदर्शन कर रहे हैं। अजिंक्य रहाणे और पुजारा दोनों वरिष्ठ खिलाड़ी हैं लेकिन पिछले कुछ सीजन से रन नहीं बना पाने के कारण दोनों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। हालांकि, उनका कॅरियर अभी समाप्त नहीं हुआ है। यदि रणजी मैचों में वे अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं तो उन्हें एक मौका और दिया जा सकता है। 

विराट कोहली ने निजी कारणों से अवकाश लिया है। इस नाते शुरू के दो टेस्ट वह नहीं खेले। राजकोट में तीसरे टेस्ट से पहले विराट के आने की उम्मीद करनी चाहिए। उनके न रहने से मध्य क्रम काफी कमजोर लग रहा है। श्रेयस अय्यर ने बहुत निराश किया है। दो साल पहले कानपुर में न्यूजीलैंड के खिलाफ अपने पहले ही टेस्ट में श्रेयस ने शतक बना कर जो उम्मीद जगाई थी वह अब धूमिल पड़ गई है। इतने मौके देने के बावजूद वह लगातार विफल हो रहे हैं। ऋषभ पंत के चोटिल होने के बाद विकेटकीपर की जिम्मेदारी श्रीकर भरत निभा रहे हैं लेकिन यह युवा रन बनाने में नाकाम साबित हो रहा है। उसकी जगह किसी अन्य को मौका देने का समय आ गया है। इस काम के लिए ईशान किशन सबसे पहली पसंद है लेकिन कोच राहुल द्रविण से तथाकथित विवाद के बाद उसकी वापसी आसान नहीं लगती। दक्षिण अफ्रीका दौरे में उसने ब्रेक मांग लिया। दरअसल, टीम में होने के बावजूद अंतिम एकादश में नहीं खिलाने पर ईशान ने अपनी नाराजगी जताई थी।  इसका खामियाजा उसने भुगतना पड़ रहा है।

अभी तक हुए दोनों टेस्ट मैचों में भारतीय स्पिन गेंदबाजों का दबदबा देखने को नहीं मिला। इंग्लैंड टीम ने अश्विन, जडेजा, अक्षर और कुलदीप को बड़ी सहजता से खेला है। इससे तेज गेंदबाज बुमराह पर काफी भार आ गया है। विशाखापतनम टेस्ट में नौ विकेट लेकर बुमराह ने अपनी गेंदबाजी का लोहा मनवा लिया। खासकर पहली पारी में उनके छह विकेट से अंग्रेज बल्लेबाज बैकफुट पर आ गए। इस प्रदर्शन के आधार पर वह विश्व रैंकिंग में नंबर वन पर पहुंच गए हैं। पहली बार भारत का कोई तेज गेंदबाज पहले पायदान पर पहुंचा है। बाकी के तीन टेस्ट के लिए अभी टीम का ऐलान नहीं हुआ है। विराट कोहली के बारे में अटकलें हैं कि वह दो और मैचों तक उपलब्ध नहीं रहेंगे। मध्य क्रम में उनकी जगह जिम्मेदारी से खेलने वाले का चयन आसान नहीं होगा। 15 फरवरी से राजकोट में तीसरा टेस्ट मैच शुरू होगा। टीम में कुछ बदलाव अवश्य होंगे। ऐसे संकेत मिल रहे हैं।

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