Vishwakhabram: Russia-Ukraine की लड़ाई में मौका देख Pakistan ने कैसे कमा लिये 36 करोड़ 40 लाख डॉलर?

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रूस और यूक्रेन को विभिन्न देश खुलकर भी हथियारों की सप्लाई कर रहे हैं और कुछ देश तटस्थ रहने का दावा करते हुए चुपके से इस आपदा में अपने लिये अवसर तलाश रहे हैं। ऐसा ही एक देश है पाकिस्तान जोकि दुनिया को दिखाने के लिए तटस्थ रुख दावा कर रहा है लेकिन हकीकत यह है कि वह मौके का भरपूर लाभ उठा रहा है।

रूस-यूक्रेन युद्ध को चलते हुए 650 दिन होने वाले हैं। जाहिर है इतने लंबे समय तक यह दोनों देश सिर्फ अपने हथियारों के बलबूते तो युद्ध लड़ नहीं सकते। युद्ध लड़ते रहने के लिए सैन्य साजोसामान की तत्काल जरूरत होती है और खुद के उत्पादन से इसकी पूर्ति नहीं हो सकती इसलिए अन्य देशों की मदद लेना स्वाभाविक-सी बात है। देखा जाये तो रूस-यूक्रेन युद्ध में यह बात किसी से छिपी नहीं है कि यूक्रेन को अमेरिका और नाटो देश जमकर हथियार सप्लाई कर रहे हैं तो दूसरी ओर रूस ने चीन, उत्तर कोरिया, ईरान और अन्य मददगार देशों से सैन्य साजोसामान की खरीद जारी रखी है। यूक्रेन को जिन हथियारों की सप्लाई हो रही है उनका प्रबंध अमेरिका ही मुख्य रूप से करवा रहा है। अमेरिका ही नाटो देशों को तमाम तरह की युद्ध सामग्री यूक्रेन को देने के लिए मनाता है और अमेरिका ही जरूरतमंद देशों से हथियार मंगवा कर यूक्रेन को भिजवा रहा है। देखा जाये तो रूस-यूक्रेन युद्ध ने मंदी के दौर से गुजर रहे वैश्विक हथियार उद्योग में नई जान डाल दी है। इस समय हालात यह हैं कि रूस और यूक्रेन को विभिन्न देश खुलकर भी हथियारों की सप्लाई कर रहे हैं और कुछ देश तटस्थ रहने का दावा करते हुए चुपके से इस आपदा में अपने लिये अवसर तलाश रहे हैं। ऐसा ही एक देश है पाकिस्तान जोकि दुनिया को दिखाने के लिए रूस-यू्क्रेन युद्ध में तटस्थ रुख अपनाने का दावा कर रहा है लेकिन हकीकत यह है कि वह मौके का भरपूर लाभ उठा रहा है।

बताया जा रहा है कि आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान ने रूस से जारी युद्ध में यूक्रेन को हथियारों की आपूर्ति करने के लिए पिछले साल दो निजी अमेरिकी कंपनियों के साथ हथियारों का सौदा करके 36 करोड़ 40 लाख अमेरिकी डॉलर कमाए हैं। बीबीसी उर्दू की खबर के अनुसार एक ब्रिटिश सैन्य मालवाहक विमान ने यूक्रेन को हथियारों की आपूर्ति करने के लिए रावलपिंडी में पाकिस्तान वायु सेना के नूर खान अड्डे से साइप्रस, अक्रोटिरी में ब्रिटिश सैन्य अड्डे और फिर रोमानिया के लिए कुल पांच बार उड़ान भरी। हालांकि, पाकिस्तान ने लगातार इस बात से इंकार किया है कि उसने रोमानिया के पड़ोसी देश यूक्रेन को हथियार मुहैया कराए हैं।

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बीबीसी की खबर में अमेरिका की संघीय खरीद डेटा प्रणाली से मिले अनुबंध के विवरण का हवाला देते हुए दावा किया गया है कि पाकिस्तान ने 155 एमएम तोप के गोले की बिक्री के लिए "ग्लोबल मिलिट्री" और "नॉर्थ्रॉप ग्रुम्मन" नामक अमेरिकी कंपनियों के साथ दो अनुबंध पर हस्ताक्षर किए। खबर में कहा गया है कि यूक्रेन को हथियार उपलब्ध कराने के इन समझौतों पर 17 अगस्त, 2022 को हस्ताक्षर किए गए थे और ये विशेष रूप से 155 एमएम तोप के गोले की खरीद से जुड़े थे। बीबीसी उर्दू ने अपने दावों के समर्थन में और सबूतों का हवाला देते हुए कहा कि स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान देश के हथियारों के निर्यात में 3,000 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। बीबीसी की खबर में कहा गया है कि पाकिस्तान ने 2021-22 में 1 करोड़ 30 लाख अमेरिकी डॉलर के हथियार निर्यात किए, जबकि 2022-23 में यह निर्यात 41 करोड़ 50 लाख अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया।

बताया जाता है कि ये समझौते पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम) के शासनकाल के दौरान हुए थे। हम आपको याद दिला दें कि विभिन्न दलों के गठबंधन पीडीएम ने पिछले साल अप्रैल में अविश्वास मत के माध्यम से इमरान खान के नेतृत्व वाली सरकार गिरा दी थी। दूसरी ओर, पाकिस्तान ने कहा है कि उसने यूक्रेन या रूस को हथियार मुहैया नहीं कराये हैं क्योंकि वह दोनों देशों के बीच संघर्ष में तटस्थ है। तीसरे देश के माध्यम से यूक्रेन को हथियारों की कथित बिक्री के बारे में पूछे गये सवाल पर साप्ताहिक प्रेसवार्ता में विदेश कार्यालय (एफओ) की प्रवक्ता मुमताज जहरा बलोच ने कहा कि मैं इस बात की पुष्टि करती हूं कि जैसा हमने अतीत में कहा है कि पाकिस्तान ने यूक्रेन या रूस को हथियार नहीं बेचे हैं क्योंकि हमने इस संघर्ष में तटस्थता की नीति अपनाई है। मुमताज जहरा बलोच ने कहा कि पाकिस्तान यह पुष्टि करने की स्थिति में नहीं है कि संघर्ष में दोनों पक्षों द्वारा किन हथियार का इस्तेमाल किया जा रहा है।

बहरहाल, पाकिस्तान भले यह बात बार-बार दोहराये कि रूस-यूक्रेन के बीच विवाद में उसने “सख्त तटस्थता” की नीति बनाए रखी है और दोनों देशों को इस युद्ध में कोई हथियार या गोला-बारूद उपलब्ध नहीं कराया है, लेकिन कोई भी इस बात पर विश्वास नहीं करेगा। अतीत में भी कई ऐसे मौके आये हैं जब पाकिस्तान का दोहरा रवैया देखने को मिला है। इस समय तो पाकिस्तान अपने इतिहास के सबसे बड़े आर्थिक संकट से जूझ रहा है, ऐसे में वह कमाई का कोई मौका हाथ से जाने देगा और अपनी नीति या सिद्धांत पर अडिग रहेगा, ऐसी कल्पना भी नहीं की जा सकती।

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