आखिर क्यों क्रिकेटरों के साथ डर्टी पॉलिटिक्स खेलने में लगा है पाकिस्तानी मीडिया !

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दरअसल पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने नए कोच और सिलेक्टर की जिम्मेदारी मिस्बाह उल हक को सौंपी गई है। वह श्रीलंका के खिलाफ तीन मैचों की वनडे सीरीज के आगाज से पहले मिस्बाह प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे थे। यहां वह मीडिया के सवालों का जवाब दे रहे थे।

पाकिस्तान की मीडिया आखिर क्रिकेट में हमेशा राजनीति क्यों लेकर लेकर घुस जाती है। आखिर क्यों पाकिस्तानी मीडिया क्रिकेटरों के सामने कश्मीर का राग गाती है। आखिर क्यों मिस्बाह उल हक को भी कश्मीर पर उकसाने की पाकिस्तानी मीडिया कोशिश करने लगी है। लेकिन मिस्बाह समझदार है और वह सिर्फ क्रिकेट पर बात करते हैं। क्योंकि मिस्बाह अफरीदी जैसे नहीं है लेकिन यह तो साफ है कि यह पाकिस्तानी मीडिया तो सिर्फ और सिर्फ नफरत फैलाना जानता है।

दरअसल पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने नए कोच और सिलेक्टर की जिम्मेदारी मिस्बाह उल हक को सौंपी गई है। वह श्रीलंका के खिलाफ तीन मैचों की वनडे सीरीज के आगाज से पहले मिस्बाह प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे थे। यहां वह मीडिया के सवालों का जवाब दे रहे थे। लेकिन जहां इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में बात क्रिकेट की जानी चाहिए वहां पाकिस्तानी मीडिया कश्मीर का मुद्दा लेकर घुस गई। एक रिपोर्टर ने उन्हें कुछ उदाहरण देकर कश्मीर पर उकसाने की कोशिश की। भारतीय टीम का भी जिक्र किया। लेकिन मिस्बाह ने बड़ी चालाकी से इसका जवाब देते हुए सिर्फ क्रिकेट पर बात करना सही समझा। पाकिस्तान के इस पूर्व कप्तान ने यह कहते हुए सवाल टाल दिया कि क्रिकेट की ही बात की जानी चाहिए। 

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इस संवाददाता सम्मेलन में पाकिस्तानी रिपोर्ट का सवाल था कि “प्राइम मिनिस्टर हों या आम पाकिस्तानी, हर कोई कश्मीर की बात कर रहा है। वहां भूकंप भी आ गया। शादाब खान ने सोशल मीडिया पर लिखा कि वो अपनी मैच फीस पीड़ितों को दे रहे हैं। क्या पूरी टीम भी मैच फीस या किसी दूसरे तरह से उनकी मदद करना चाहती है। पुलवामा हमले के बाद टीम इंडिया ने मिलिट्री कैप्स पहनीं थीं। क्या पाकिस्तान टीम भी कुछ प्लान कर रही है? ताकि कश्मीर के साथ एकजुटता दर्शाई जा सके”।

इसके जवाब में मिस्बाह उल हक ने जवाब देते हुए कहा कि “भाई मेरे, आखिर क्या चाहते हैं आप? आप भी कश्मीर पर वैसे ही सपोर्ट करें जैसा पूरा पाकिस्तान कर रहा है--कश्मीर की बात तो पूरे पाकिस्तान की है। इसमें कौन सी दो राय हैं। मेरे ख्याल में हम सिर्फ क्रिकेट की बात कर लें”।

गौरतलब है कि जिस तरह से पाकिस्तानी रिपोर्टर ने मिस्बाह से कश्मीर मामले पर जवाब की उम्मीद की थी वो उसे नहीं मिल पाया। यहां आपने पढ़ा कि किस कदर मिस्बाह ने क्रिकेट के बारे में बात की। लेकिन ये पाकिस्तान का मीडिया है जो हर जगह नफरत बांटने वाला काम करता है। उसे हर जगह सिर्फ और सिर्फ कश्मीर नजर आता है। वह क्रिकेटरों के भरोसे ही अपनी कश्मीर पर राग अलापने की दुकान चलाना चाहते है। वह राजनीति को खेल में लेकर घुस जाते है। लेकिन यहां शुक्र है रिपोर्ट के सामने सामने मिस्बाह जैसे समझदार क्रिकेटर थे जो सिर्फ क्रिकेट पर बात करते है नहीं तो वहां अफरीदी होते तो फिर बात नफरत की होती। अगर जावेद मियांदाद होते तो बल्ले की जगह तलवार लेकर मरने और मारने की बात करने लगते जो वह पहले कई बार कर चुके है। उनके प्रधानमंत्री इमरान खान जो खुद एक क्रिकेटर थे वो होते तो बात न्युक्लियर धमाके की होने लगती है। 

जाहिर है कुछ पाकिस्तानी क्रिकेटर हमेशा भारत के खिलाफ ही बात करते है। वो हमेशा भारत को हमेशा नफरत की निगाहों से देखते है। पाकिस्तान का मीडिया भी बस यही चाहता है कि क्रिकेटर सबकुछ छोड़ भारत के खिलाफ ही बात करें। पाकिस्तानी मीडिया को टीम इंडिया का आर्मी कैप पहनना भी अभी तक चुभता आ रहा है। फरवरी में हुए पुलवामा आतंकी हमले के बाद टीम इंडिया के खिलाड़ी भारतीय आर्मी का कैप पहनकर मैदान पर उतरे थे। जिस पर पाकिस्तान ने काफी हाय तौबा मचाया था। साथ ही जब धोनी ने वर्ल्ड कप के दौरान अपने ग्लव्स पर भारतीय सेना के बलिदान बैज का लोगो लगाया तो उस दौरान भी पाकिस्तान को काफी मिर्ची लगी थी। 

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पाकिस्तान का काम हमेशा से अपनी क्रिकेट को राजनीति में मिक्स करने का रहा है। लेकिन उनके यहां मिस्बाह जैसे समझदार लोग है जो क्रिकेट के वक्त क्रिकेट की ही बात करते है। वैसे मिस्बाह उल हक ने उन मूर्ख पाकिस्तानी क्रिकेटरों को एक तरह से ये मैसेज दिया है कि बात करने के लिए अलग अलग मंच होते है। हर जगह कश्मीर का राग अलापने से जग हंसाई होती है। उम्मीद है कि पाकिस्तान के सारे क्रिकेटर आगे से मिस्बाह जैसी ही समझदारी दिखाएंगे। वो बोलने से पहले सोचेंगे कि आखिर वो क्या बोल रहे है और इसका क्या असर होगा। 

दीपक कुमार मिश्रा

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