India ने आखिर क्यों लगाया Rice Export Ban, US में घंटों लाइन में लगकर महंगा चावल खरीद रहे लोगों की हालत देखकर IMF ने क्या चेतावनी दी?

Rice Export Ban
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जहां तक भारत सरकार की ओर से उठाये गये इस कदम के कारणों की बात है तो आपको बता दें कि आगामी त्योहारों के दौरान घरेलू आपूर्ति बढ़ाने और खुदरा कीमतों को काबू में रखने के लिए गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर 20 जुलाई को प्रतिबंध लगा दिया गया था।

भारत सरकार ने गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर 20 जुलाई को प्रतिबंध लगा दिया था जिसका परिणाम यह हुआ कि अमेरिका में चावल की भीषण कमी हो गयी है। पूरे अमेरिका में ऐसे हालात दिख रहे हैं कि कई रिटेल स्टोरों से चावल गायब हो गया है। जहां चावल उपलब्ध भी है तो उसमें हर ग्राहक के लिए एक बैग लेने की सीमा तय कर दी गयी है। लोग घंटों तक लाइन में लग रहे हैं ताकि चावल मिल सके। कई लोग तो ऐसे भी देखे गये जोकि चावल के और बैग लेने के लिए दोबारा लाइन में लग रहे हैं। इस सबसे चावल की कीमतें अमेरिका में आसमान पर पहुँच गयी हैं। अमेरिकी सरकार चावल की कमी की समस्या को देखते हुए इसकी कालाबाजारी करने के खिलाफ चेतावनी भी दे रही है। वैसे देखा जाये तो अमेरिका में चावल की कमी से सबसे ज्यादा परेशान प्रवासी भारतीय हो रहे हैं क्योंकि ज्यादा चावल वही खाते हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, 9.07 किलोग्राम चावल के बैग की कीमत जो पहले 16-18 डॉलर बताई गई थी, वह अब दोगुनी हो गई है और कुछ जगहों पर कीमत 50 डॉलर के उच्चस्तर तक पहुंच गई है।

भारत किन-किन देशों को चावल निर्यात करता है?

रूस की ओर से ग्रेन डील को रद्द करने और भारत की ओर से गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने से अमेरिका ही नहीं बल्कि दुनिया के कई देशों में चावल की कमी हो गयी है। उल्लेखनीय है कि भारत से गैर-बासमती सफेद चावल मुख्य रूप से थाईलैंड, इटली, स्पेन, श्रीलंका और अमेरिका में निर्यात होता है। आंकड़ों के मुताबिक, भारत से हर महीने औसतन 6,000 टन गैर-बासमती चावल अमेरिका को निर्यात किया जाता है। जिसमें तेलंगाना और आंध्र प्रदेश का हिस्सा 4,000 टन का होता है।

भारत ने क्यों लगाया निर्यात प्रतिबंध?

जहां तक भारत सरकार की ओर से उठाये गये इस कदम के कारणों की बात है तो आपको बता दें कि आगामी त्योहारों के दौरान घरेलू आपूर्ति बढ़ाने और खुदरा कीमतों को काबू में रखने के लिए गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर 20 जुलाई को प्रतिबंध लगा दिया गया था। खाद्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा था कि गैर-बासमती उसना चावल और बासमती चावल की निर्यात नीति में कोई बदलाव नहीं होगा। हम आपको बता दें कि कुल निर्यात में इन दोनों किस्मों का बड़ा हिस्सा है। देश से निर्यात होने वाले कुल चावल में गैर-बासमती सफेद चावल की हिस्सेदारी लगभग 25 प्रतिशत है। केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी का इस प्रतिबंध के बारे में कहना है कि मांग-आपूर्ति की स्थिति और खुदरा कीमत के आधार पर सरकार निर्यात शुल्क लगाने या निर्यात रोकने का फैसला करती है। 

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अमेरिका में कितना चावल बचा है?

इस बीच, अमेरिका में कुछ निर्यातकों का कहना है कि प्रवासी भारतीयों (एनआरआई) को चावल की उपलब्धता के बारे में चिंता करने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि देश में पर्याप्त स्टॉक है और यह निश्चित रूप से छह महीने तक चलेगा। इस तरह की रिपोर्टें भी हैं कि अभी तक अमेरिका में लगभग 12,000 टन चावल का स्टॉक उपलब्ध है और प्रतिबंध की घोषणा से पहले ही भारत से 18,000 टन चावल का निर्यात किया जा चुका है। यह पूरी तरह से अगले छह महीने तक चलेगा। अमेरिका को उम्मीद है कि भारत सरकार प्रवासी भारतीयों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए जल्द ही उचित निर्णय लेगी।

क्या आईएमएफ निकालेगा बीच का रास्ता!

बहरहाल, यह मामला अब अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) तक पहुँच गया है। आईएमएफ ने कहा है कि वह भारत को चावल की एक निश्चित श्रेणी के निर्यात पर लगाए गए प्रतिबंध हटाने के लिए ‘‘प्रोत्साहित’’ करेगा, क्योंकि इससे वैश्विक मुद्रास्फीति पर असर पड़ सकता है। आईएमएफ के मुख्य अर्थशास्त्री पियरे-ओलिवियर गौरींचस ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि मौजूदा स्थिति में इस प्रकार के प्रतिबंधों से बाकी दुनिया में खाद्य कीमतों में अस्थिरता पैदा होने की आशंका है और इसके बाद बाकी देश भी बदले में कोई कार्रवाई कर सकते हैं। उन्होंने कहा है कि इसलिए हम भारत को निर्यात पर इस प्रकार से प्रतिबंध हटाने के लिए निश्चित ही प्रोत्साहित करेंगे, क्योंकि इनसे दुनिया पर हानिकारक असर पड़ सकता है।

-नीरज कुमार दुबे

(इस लेख में लेखक के अपने विचार हैं।)
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