क्या सीधे संघर्ष के करीब पहुँच गये अमेरिका और रूस? US Drone के साथ Russia ने जो कुछ किया, उससे दुनिया की धड़कनें बढ़ गयी हैं

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काला सागर में हुई इस घटना को लेकर अमेरिका और रूस की प्रतिक्रियाओं के बीच विशेषज्ञों का मानना है कि यह प्रकरण अंतरराष्ट्रीय हवाई क्षेत्र में विमान और ड्रोन संचालित करने के देशों के अधिकार के मुद्दे को गर्माता है।

14 मार्च, 2023 को एक अमेरिकी ड्रोन रूसी विमान के साथ मुठभेड़ के बाद काला सागर में दुर्घटनाग्रस्त हो गया। आकाश में हुई इस घटना ने जमीन पर दो बड़ी महाशक्तियों अमेरिका और रूस के बीच सीधी भिड़ंत की संभावनाओं और आशंकाओं को बढ़ा दिया है। हम आपको बता दें कि इस सप्ताह अमेरिका का निशस्त्र एमक्यू-9 निगरानी ड्रोन अंतरराष्ट्रीय हवाई क्षेत्र में जब उड़ान भर रहा था तब दो रूसी लड़ाकू जेट विमानों ने अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करते हुए ड्रोन को मार गिराया। इसके बाद से दोनों देशों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का नया सिलसिला शुरू हो गया है। रूसी रक्षा मंत्रालय ने अमेरिका के आरोपों को गलत बताते हुए कहा है कि अमेरिकी ड्रोन अपने ट्रांसपोंडर के साथ रूस की सीमाओं की दिशा में उड़ रहा था। रूस का कहना है कि उसने उड़ान को संदिग्ध पाया क्योंकि अमेरिकी ड्रोन ने अस्थायी सीमाओं का उल्लंघन किया।

दूसरी ओर, इस घटना को लेकर अमेरिका और रूस की प्रतिक्रियाओं के बीच विशेषज्ञों का मानना है कि यह प्रकरण अंतरराष्ट्रीय हवाई क्षेत्र में विमान और ड्रोन संचालित करने के देशों के अधिकार के मुद्दे को गर्माता है। यदि अमेरिकी पक्ष सही है तो रूस ने वास्तव में अमेरिकी ड्रोन के रास्ते में आकर अंतर्राष्ट्रीय कानून का उल्लंघन किया है। हम आपको बता दें कि समुद्र से जुड़े कानून पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के अनुच्छेद 87 के तहत, वह जलक्षेत्र जो किसी भी देश के क्षेत्रीय समुद्र या विशेष आर्थिक क्षेत्र नहीं हैं- वह सभी देशों के लिए खुले हैं और किसी भी देश को इस क्षेत्र में उड़ान भरने की स्वतंत्रता हासिल है। अमेरिका हालांकि 1982 में की गयी इस संधि का पक्ष नहीं है लेकिन रूस सहित 168 देश इसके सदस्य हैं। फिर भी, अमेरिका इस कानून के कई प्रावधानों को मान्यता देता है। इसलिए अमेरिका का मानना है कि उसके अधिकार क्षेत्र में रूस ने सीधे तौर पर हस्तक्षेप किया और यह कृत्य अंतरराष्ट्रीय कानून का खुला उल्लंघन है।

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दूसरी तरफ, रूस की चिंता यह है कि अमेरिकी ड्रोन उसके सैन्य अभियानों की जासूसी कर सकता था, इसलिए वह किसी भी कीमत पर कोई नियम मानने को तैयार नहीं है। दरअसल कानून के मुताबिक, अंतरराष्ट्रीय हवाई क्षेत्र के भीतर रहते हुए दूसरे देश के क्षेत्र के भीतर निगरानी गलत नहीं है। अमेरिका इसी बात का फायदा उठाना चाहता है और रूस ऐसा नहीं होने देने के लिए कमर कस चुका है। वैसे, इस पूरे घटनाक्रम में ऐसा प्रतीत हो रहा है कि रूस यह मानकर चल रहा है कि वह यूक्रेन में अपने "विशेष सैन्य अभियान" के लिए नये सिरे से अंतरराष्ट्रीय सीमाएँ स्थापित करने का हकदार था लेकिन अमेरिका ने उन सीमाओं की अवहेलना की। दरअसल रूस ने फरवरी 2022 में काला सागर के उत्तर-पश्चिम भाग में नेविगेशन को प्रतिबंधित करने के लिए समुद्री बहिष्करण क्षेत्र स्थापित किया था। अमेरिका ने भी इराक पर आक्रमण के सिलसिले में 2003 में भूमध्य सागर में एक समुद्री सुरक्षा क्षेत्र स्थापित किया था।

लेकिन इस सबके बावजूद रूस के पास अमेरिकी ड्रोन के खिलाफ बल प्रयोग करने या हस्तक्षेप करने का एक उचित आधार केवल तभी होता जब यह ड्रोन सशस्त्र हमले का एक खतरा पैदा करता या वह किसी लक्ष्य पर हमला करने के लिए भेजा गया होता। वैसे भी यह एमक्यू-9 ड्रोन था जोकि निशस्त्र था।

वैसे यह पहली बार नहीं हुआ है कि किसी देश ने अमेरिकी या अन्य किसी देश के निगरानी विमान की राह में बाधा पहुँचाई है और इसे मार गिराया है। 2001 में एक चीनी लड़ाकू विमान चीन के हैनान द्वीप से 70 मील की दूरी पर उड़ रहे अमेरिकी सिग्नल खुफिया विमान से टकरा गया था। अमेरिकी विमान को इस तरह क्षतिग्रस्त कर दिया गया कि उसे हैनान पर आपातकालीन लैंडिंग करनी पड़ी थी, जबकि चीनी लड़ाकू विमान खुद दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इसके अलावा चीन ने ऑस्ट्रेलियाई और कनाडाई विमानों को भी रोका था जो अंतरराष्ट्रीय हवाई क्षेत्र में नियमित निगरानी कर रहे थे।

बहरहाल, अमेरिका इस मुद्दे को लेकर शांत बैठने के मूड़ में नजर नहीं आ रहा है क्योंकि उसके रक्षा मंत्रालय के मुख्यालय ‘पेंटागन’ ने काला सागर के ऊपर अंतरराष्ट्रीय हवाई क्षेत्र में अमेरिकी वायु सेना के निगरानी ड्रोन के मार्ग में रूसी लड़ाकू विमान के असुरक्षित तरीके से आने का वीडियो जारी किया है। 42 सेकंड के इस वीडियो के बारे में पेंटागन ने कहा है कि वीडियो में एक रूसी एसयू-27 अमेरिका के एमक्यू-9 ड्रोन के पीछे की तरफ से आ रहा है और इसके गुजरने पर ईंधन छोड़ना शुरू कर देता है। अमेरिकी सेना ने कहा कि उसने एमक्यू-9 रीपर को समुद्र में गिरा दिया जब रूसी लड़ाकू विमान ने मानव रहित विमान पर ईंधन डाला जो इसके ‘ऑप्टिकल’ (नजर रखने संबंधी) उपकरणों को देखने से रोकने और इसे क्षेत्र से बाहर निकालने तथा इसके प्रोपेलर को बाधित करने का स्पष्ट प्रयास था। हालांकि वीडियो का जारी अंश ईंधन डाले जाने को लेकर टकराव के पहले या बाद की घटनाओं को नहीं दिखाता है।

इस घटना के तत्काल बाद, अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन और ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ के अध्यक्ष जनरल मार्क मिले ने अपने रूसी समकक्षों से बात की। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि रूसी रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगू और रूसी जनरल स्टाफ के प्रमुख जनरल वालेरी गेरासिमोव के साथ अक्टूबर के बाद पहली बार कॉल की गई। बातचीत के दौरान रूसी रक्षा मंत्री ने अमेरिका पर यूक्रेन में रूस के सैन्य अभियानों के कारण क्रेमलिन द्वारा लगाए गए उड़ान प्रतिबंधों की अनदेखी करके घटना को भड़काने का आरोप लगाया। रूस ने “रूसी संघ के हितों के खिलाफ खुफिया गतिविधियों में तेजी” लाने का भी आरोप लगाया। वहीं अमेरिका का कहना है कि यह घटना रूस के बढ़ते दुस्साहस को दर्शाती है।

बहरहाल, देखा जाये तो विमानों के खतरनाक तरीके से एक-दूसरे के सामने आने के प्रयास असामान्य नहीं हैं लेकिन यूक्रेन में युद्ध के बीच हुई इस घटना ने चिंता बढ़ाई है कि ऐसे मामले अमेरिका और रूस को सीधे संघर्ष के करीब ला सकते हैं। इस घटना के बाद दोनों देशों के रक्षा व सैन्य नेतृत्व के बीच हुई यह बातचीत इस मामले की गंभीरता को रेखांकित करती है। इसके अलावा दुनियाभर में जिस तरह इस मुद्दे को लेकर चर्चा हो रही है वह भी दर्शाता है कि दुनिया एक और युद्ध की कल्पना से ही सिहर उठी है क्योंकि रूस-यूक्रेन युद्ध पहले ही सभी को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित कर ही रहा है।

-नीरज कुमार दुबे

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