भारतीय अर्थव्यवस्था के 48 मापदंडों में सुधार के संकेत, वृद्धि दर उम्मीद से अधिक

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ग्रामीण क्षेत्र में उपभोक्ता वस्तुओं की माँग बहुत तेज़ी से आगे बढ़ी है। यह दर्शाता है कि ग्रामीण क्षेत्रों में आय पिछले वर्षों की तुलना में तेज़ गति से बढ़ रही है। इस दौरान हालाँकि फ़सलों की पैदावार भी बहुत अच्छी रही है एवं कृषि क्षेत्र से निर्यात भी बहुत तेज़ गति से बढ़े हैं।

भारतीय रिज़र्व बैंक ने हाल ही में एक सर्वेक्षण प्रतिवेदन जारी किया है, जिसमें यह बताया गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था के 48 मापदंडों में से 30 मापदंडों पर भारत ने अपनी स्थिति को मज़बूत कर लिया है, अर्थात् इन मापदंडों पर जो स्थिति कोरोना वायरस फैलने के पहले थी, उसे या तो प्राप्त कर लिया गया है अथवा उससे भी आगे निकल गए हैं। शेष 18 मापदंडों में भी तेज़ी से सुधार दृष्टिगोचर हो रहा है। अब तो सोचा यह जा रहा है कि आर्थिक तौर पर जो बदलाव देश में हो रहे हैं उनमें और अधिक तेज़ी कैसे लाई जा सकती है।

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कई वित्तीय एवं अनुसंधान संस्थानों ने तो अपने प्रतिवेदनों में पहले यह बताया था कि देश को सामान्य स्थिति प्राप्त करने में कम से कम एक वर्ष लग जाएगा। साथ ही यह भी बताया गया था कि वित्तीय वर्ष 2020-21 की द्वितीय तिमाही (जुलाई-सितम्बर) में आर्थिक वृद्धि की दर वित्तीय वर्ष 2019-20 की द्वितीय तिमाही की तुलना में 9 से 13 प्रतिशत तक कम रहेगी (जो वित्तीय वर्ष 2020-21 की प्रथम तिमाही में 23.5 प्रतिशत तक कम रही थी)। परंतु, लॉकडाउन को खोलने के तुरंत बाद ही देश में आर्थिक मापदंडों में सुधार के संकेत दिखने लगे थे। द्वितीय तिमाही आते-आते तो कई मापदंडों में कोरोना काल के पहले की स्थिति को प्राप्त कर लिया गया। यहाँ सामान्य स्थिति प्राप्त करने से आशय यह है कि सकल घरेलू उत्पाद पिछले वर्ष की इसी तिमाही की तुलना में 95 प्रतिशत से 105 प्रतिशत तक के बीच में होना चाहिए। वित्तीय वर्ष 2020-21 की द्वितीय तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद केवल 7.5 प्रतिशत कम रहा है। अर्थात्, अब पूरी सम्भावना व्यक्त की जा रही है कि तृतीय तिमाही (अक्टूबर-दिसम्बर) में सामान्य स्थिति को प्राप्त कर लिया जाएगा। दरअसल, द्वितीय तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि दर उम्मीद से कहीं अधिक रही है एवं यही वृद्धि दर यदि तृतीय तिमाही में भी जारी रहती है तो निश्चित ही विकास दर की सामान्य स्थिति को तृतीय तिमाही में ही प्राप्त कर लिया जायेगा।    

ग्रामीण क्षेत्र में उपभोक्ता वस्तुओं की माँग बहुत तेज़ी से आगे बढ़ी है। यह दर्शाता है कि ग्रामीण क्षेत्रों में आय पिछले वर्षों की तुलना में तेज़ गति से बढ़ रही है। इस दौरान हालाँकि फ़सलों की पैदावार भी बहुत अच्छी रही है एवं कृषि क्षेत्र से निर्यात भी बहुत तेज़ गति से बढ़े हैं। कृषि क्षेत्र में विकास दर प्रथम एवं द्वितीय तिमाहियों में 3.4 प्रतिशत रही है। ट्रैक्टर की बिक्री इतनी अधिक हुई है कि ट्रैक्टर उत्पादक कम्पनियों की उत्पादन क्षमता का लगभग पूरा दोहन होने लगा है एवं कुछ कम्पनियाँ अपनी उत्पादन क्षमता को बढ़ाने पर विचार कर रही हैं। 

वस्तु एवं सेवा कर के संग्रह, ई-वे बिल जारी होने एवं रेलवे द्वारा ढोए जाने वाले सामान, बिजली की माँग आदि क्षेत्रों में तेज़ वृद्धि दर होना दर्शाता है कि देश में आर्थिक गतिविधियों में हलचल बढ़ी है। साथ ही, विदेशी व्यापार के क्षेत्र में भी निर्यात में वृद्धि नज़र आने लगी है। अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में भी भारत की पैठ बढ़ती दिख रही है। भारत से पश्चिमी देशों को वस्तुओं के निर्यात अच्छी मात्रा में होते हैं। परंतु कोरोना महामारी के पश्चिमी देशों में अधिक गहरे प्रकोप के चलते भी निर्यात में वृद्धि हासिल करना एक उत्साहवर्धक संकेत है। इन देशों में आगे आने वाले समय में कोरोना महामारी के प्रभाव के कम होने में बाद भारत से निर्यात में और तेज़ वृद्धि देखने में आ सकती है। भारत ने हाल ही में उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना प्रारम्भ की है एवं इस योजना में अभी तक 13 प्रकार के उद्योगों को शामिल किया जा चुका है। इस योजना के लागू करने के बाद अब उम्मीद की जा रही है कि देश में इन 13 प्रकार के उद्योगों में विदेशी निवेश आकर्षित होगा एवं नई उत्पादन इकाईयों की स्थापना के बाद इन इकाईयों में होने वाले उत्पादन का निर्यात भी अन्य देशों को होने लगेगा। इससे भी देश से निर्यात में वृद्धि दृष्टिगोचर होगी।

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सकल घरेलू उत्पाद में सेवा क्षेत्र के यातायात, व्यापार (होटेल, टूरिज़म उद्योग सहित) एवं अन्य सेवाओं का हिस्सा 10 प्रतिशत से ऊपर का रहता है, इन तीनों क्षेत्रों को पुनः पुरानी स्थिति में आने में थोड़ा समय लग सकता है, क्योंकि कोरोना महामारी का सीधा असर इन क्षेत्रों पर सबसे अधिक पड़ा है।

तेल क्षेत्र से जुड़े उद्योगों को भी वापस अपनी पुरानी स्थिति प्राप्त करने में भी थोड़ा वक़्त लग सकता है। डीज़ल एवं पेट्रोल की माँग एवं कच्चे तेल का उत्पादन अभी अपने पुराने उच्चतम स्तर पर नहीं पहुँचा है। अभी चूँकि कम्पनियाँ अपनी उत्पादन क्षमता का पूरा दोहन नहीं कर पा रही हैं अतः नई उत्पादन क्षमता को विकसित करने का समय अभी नहीं आया है जिसके चलते बैंकों से ऋण आदि की माँग में वृद्धि भी देखने में नहीं आ रही है। उक्त कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जिनमें अभी वृद्धि दर में तेज़ी आने में शायद कुछ समय और लग सकता है।

अच्छी ख़बर भी है कि कोरोना टीके के उपयोग को ब्रिटेन ने अपने देश में अनुमति प्रदान कर दी है। कई अन्य यूरोपीयन देश एवं अमेरिका भी शीघ्र ही अपने देशों में कोरोना टीके के उपयोग हेतु मंज़ूरी दे सकते हैं। भारत में भी तीन कम्पनियों ने कोरोना टीके के उपयोग हेतु अनुमति माँगी है। बहुत सम्भव है कि एक सप्ताह के बाद शीघ्र ही कोरोना टीका इन सभी देशों में वहाँ की जनता को लगाना प्रारम्भ हो जाए। इसके बाद यदि कोरोना महामारी पर क़ाबू पा लिया जाता है तो इन सभी देशों में आर्थिक गतिविधियाँ अपने पुराने स्तर पर वापस लौट आएँगी। इसका प्रभाव भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी बहुत अच्छा होगा। अतः आने वाले समय में शीघ्र ही, भारतीय अर्थव्यवस्था पुनः विश्व में सबसे तेज़ गति से प्रगति करने वाली अर्थव्यवस्था बन जाएगी।      

-प्रहलाद सबनानी

सेवानिवृत्त उप-महाप्रबंधक

भारतीय स्टेट बैंक

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