रूस-यूक्रेन विवाद पर दो धड़ों में बंटती दुनिया!

Russia Ukraine dispute

पूरी दुनिया इस विवाद के चलते धीरे-धीरे अब दो धड़ों में बंटती स्पष्ट नज़र आ रही है, एक तरफ यूक्रेन के साथ खुलकर नाटो देश व अमेरिका खड़ा है, तो वहीं दूसरी तरफ रूस के साथ चीन व सोवियत संघ के हिस्सा रहे देश खड़े हुए हैं, दुनिया के हालात बेहद तनावपूर्ण बनते जा रहे है।

यूक्रेन को नाटो देशों में शामिल करने को लेकर रूस की बेहद तल्ख आपत्ति के चलते हुआ विवाद अब धीरे-धीरे युद्ध की तरफ अग्रसर हो रहा है, आगबबूला रूस ने यूक्रेन की सीमा के नज़दीक लाखों की संख्या में अपने सैनिकों की तैनाती करके दुनिया को सोचने पर मजबूर कर दिया है, वहीं रूस के द्वारा इस समय बेलारूस के साथ युद्धाभ्यास करने के चलते इस क्षेत्र में जबरदस्त तनाव का युद्ध वाला दहशत पूर्ण माहौल पैदा हो गया है। हालांकि विश्व के अधिकांश देश बेहद करीब से पल-पल रूस-यूक्रेन के बीच उभरे जबरदस्त तनाव पर निरंतर नज़र लगाएं हुए बैठे हैं, क्योंकि इस एक छोटे से विवाद के चलते दुनिया की दो बेहद ताकतवर महाशक्तियां रूस व अमेरिका अब एक दूसरे के आमने-सामने खुलकर आ गयी हैं। रूस-यूक्रेन का यह आपसी विवाद का मसला बेहद तनाव पूर्ण हालात के चलते अब इस स्तर तक पहुंच चुका है कि लोगों को लगने लगा है कि कुछ देशों की अति महत्वाकांक्षा के चलते दुनिया के सामने एकबार फिर से विश्वयुद्ध की नींव रखने वाले युद्ध का खतरा मंडराने लगा है। वैसे भी इस संकट की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से इस ज्वंलत मसले पर लगातार संपर्क में हैं और वह हालात को नियंत्रित करने के लिए पुतिन से एक घंटे लंबी फोन पर बात तक कर चुके हैं, यह इस स्थिति की गंभीरता को दर्शाने के लिए काफी है।

इसे भी पढ़ें: यूक्रेन बॉर्डर पर रूस की बढ़ी गतिविधियां, अमेरिका ने किया चौंका देने वाला दावा

वहीं अब रूस ने 18 फरवरी को "म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन" में अपने प्रतिनिधि ना भेजकर दुनिया को यह स्पष्ट संदेश दे दिया है कि वह यूक्रेन मसले पर किसी भी व्यक्ति व देश के दबाव में आसानी से नहीं आने वाला है। हालांकि रूस-यूक्रेन के बीच के विवाद को शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निरंतर पहल जारी है, कूटनीतिक दावपेंच पक्ष-विपक्ष के द्वारा धरातल पर लगातार चले जा रहे हैं। वहीं कुछ देश इस मामले की गंभीरता को पहचान कर हर-हाल में युद्ध टालने के लिए कार्य कर रहे हैं, वहीं कुछ देश रूस से अपना वर्षों पुराने हिसाब-किताब को बराबर करने का ख्वाब लिए सार्वजनिक रूप से ऊलजुलूल ऊटपटांग बयानबाजी करके रूस व यूक्रेन के बीच युद्ध की आग को भड़काने का कार्य कर रहे हैं। दूसरी तरफ हथियारों की तिजारत करने वाले कुछ ताकतवर देश युद्ध या उसके हालातों से अपने देशों की तिजोरी भरने की जुगत की रणनीति भी बनाने में लगे हुए हैं। लेकिन यह भी एक कटु सत्य है कि रूस-यूक्रेन सीमा पर युद्ध के माहौल के बीच हालात निरंतर बेहद तनाव पूर्ण बने हुए हैं, अमेरिका व नाटो की चेतावनी के बाद यूक्रेन हाई अलर्ट मोड पर है, वहां पर रूस के किसी भी प्रकार के हमले की स्थिति से निपटने की तैयारी युद्ध स्तर पर जारी हैं, साथ ही रूस को माकूल जवाब देने के लिए भी नाटो देशों व अमेरिका के साथ मिलकर युद्ध की रणनीति बनाने का कार्य यूक्रेन कर रहा है, यूक्रेन की मदद के लिए अमेरिकी सेना व नाटो देश के सैनिक युद्धभूमि में भूमिका निभाने के लिए तैयार बैठे हैं, अमेरिका का दुनिया के आधुनिक जंगी साजोसामान से लैस विध्वंसक "सांतवा जंगी बेड़ा" सागर की लहरों को चीरता हुआ दुनिया की नयी संभावित युद्धभूमि के लिए अग्रसर है। हालात ऐसे बन गये हैं कि किसी भी एक पक्ष की नादानी पूरी दुनिया को युद्ध में झोंक सकती है।

इसे भी पढ़ें: यूक्रेन के राष्ट्रपति का राष्ट्र को संबोधन, रूस को कहा- हम किसी से डरते नहीं हैं

पूरी दुनिया इस विवाद के चलते धीरे-धीरे अब दो धड़ों में बंटती स्पष्ट नज़र आ रही है, एक तरफ यूक्रेन के साथ खुलकर नाटो देश व अमेरिका खड़ा है, तो वहीं दूसरी तरफ रूस के साथ चीन व सोवियत संघ के हिस्सा रहे देश खड़े हुए हैं, दुनिया के हालात बेहद तनावपूर्ण बनते जा रहे है। क्योंकि अधिकांश देश अभी तो कोरोना महामारी के चलते उत्पन्न मंदी के भयावह प्रकोप से उभर ही नहीं पाये है, ऊपर से यूक्रेन-रूस के तनाव के चलते दुनिया पर युद्ध के बादल मंडराने लग गये हैं। रूस और यूक्रेन के बीच बढ़ते तनाव के कारण उत्पन्न संकट का असर वैश्विक बाजार पर स्पष्ट रूप से दिखने लग गया है, भारत भी अब इससे अछूता नहीं रहा है, इस विवाद के चलते भारत के घरेलू शेयर बाजार में भी कोहराम मच गया और सेंसेक्स करीब साढ़े पांच महीने के निचले स्तर पर आकर के लोगों की गाढ़ी कमाई को चंद मिनटों में ही डुबोने का काम कर गया है। भारतीय अर्थव्यवस्था के विशेषज्ञों की राय माने तो रूस-यूक्रेन का यह विवाद देश के बहुत सारे सेक्टरों में जबरदस्त ढंग से महंगाई को बढ़ावा देने का कार्य करेगा, इसका व्यापक असर भारत में राजनीतिक, कूटनीतिक व आर्थिक रूप से हो सकता है, वैसे भी भारत की जनता जबरदस्त महंगाई के प्रकोप को लंबे समय से झेल कर बेहद परेशान है, जिसको आने वाले समय में रूस-यूक्रेन का विवाद और विकट बना सकता है।

- दीपक कुमार त्यागी

वरिष्ठ पत्रकार व राजनीतिक विश्लेषक

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़