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नया श्रमिक कोड: साप्ताहिक कार्य अवधि को लेकर नीतिगत असमंजस दूर करने की पहल
- कमलेश पांडेय
- फरवरी 12, 2021 18:02
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मंत्रालय के मसौदे के मुताबिक, नए श्रम कानून किसी भी तरह से मजदूरों और कर्मचारियों के हितों से समझौता नहीं करेंगे। इसलिए प्रस्तावित नियम और विनियम में अब काम के घंटों से संबंधित प्रावधानों को स्पष्टता पूर्वक तैयार किए जा रहे हैं।
यह आम धारणा है कि जब तक किसी कार्य को अपना समझकर पूरी लगन व मेहनत से नहीं किया जाएगा, तबतक उसकी सफलता संदिग्ध रहेगी। ऐसे में साप्ताहिक कार्यावधि के बारे में जो प्रशासनिक नीतिगत असमंजस दृष्टिगोचर हो रहा है, वह कतिपय आयामों में व्यक्तिगत, संस्थागत और राष्ट्रगत उद्देश्यों की पूर्ति में किसी बड़े अवरोधक की तरह आंका जाने लगा है।
सवाल है कि जब सप्ताह में 6 दिन और 48 घण्टे की कार्यावधि पहले से ही निर्धारित है, तब उसे केंद्रीय सेवाओं में पहले 5 दिन करना और अब विभिन्न निजी-सरकारी इकाइयों को 4 दिन के कार्य सप्ताह की अनुमति देने के लिए सेंट्रल द्वारा एक नए श्रम कोड की रूपरेखा तैयार करने हेतु आम राय विकसित करना किसके लिए फायदेमंद होगा और किसके लिए हानिकारक, यह वक्त बताएगा, मैं नहीं।
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लेकिन यह अनुभूत सत्य है कि जिस तरह से कोई किसान या कारोबारी पूर्ण मनोयोग से 24 घण्टे, सातों दिन अपने कार्य को करता रहता है, वैसा ही माहौल देने की बजाए कहीं 7 दिन में 6 दिन, कहीं 5 दिन और कहीं 4 दिन और कुल मिलाकर 48 घण्टे काम करवाने की बात कानूनी तौर पर जायज ठहराना किसी किसी पेशे के लिए उचित है तो किसी किसी पेशे के लिए अनुचित भी।
ऐसे में बेहतर यही होगा कि पूरे राष्ट्र के लिए एक समान श्रम कानून बने जिसमें न्यूनतम कार्यावधि, कार्यदिवस, वेतनमान व अन्य सुविधाओं के सम्बन्ध में ज्यादा तफरका नहीं दिखाई दे। क्योंकि अब तक बने श्रम कानूनों का अनुपालन न तो सरकारी संस्थाओं में पूरी ईमानदारी पूर्वक किया गया और न ही निजी संस्थानों में। संगठित और असंगठित क्षेत्रों की जो नीतिगत विषमताएं व विवशताएं हैं, सो अलग।
इसलिए सरकार से उम्मीद है कि वह टुकड़े टुकड़े वाली सोच से बाहर निकले और अपने ए ग्रेड के अधिकारियों व बी, सी, डी ग्रेड के पदाधिकारियों व कर्मचारियों के बारे में विभिन्न मामलों में व्याप्त चौड़ी खाई को पाटने की व्यापक पहल करे। क्योंकि जब सबका मत समान है तो फिर शिक्षा व पेशागत आधार पर व्याप्त कानूनी विभेदों व आर्थिक ऊंच-नीच की अवधारणा को भी समाप्त करना नया इंडिया की अवधारणा को अधिक फलीभूत करेगा।
यूं तो प्रस्तावित श्रमिक कोड में सरकार ने श्रमिकों को राज्य बीमा निगम के माध्यम से श्रमिक कोड के तहत नि: शुल्क चिकित्सा जांच प्रदान करने का भी प्रस्ताव दिया है।
दरअसल, श्रम और रोजगार मंत्रालय ने चार नए श्रम कोड के लिए नियमों को अंतिम रूप देने के लिए प्रक्रिया को जल्द पूरा करने की संभावना है। इस बारे में श्रम और रोजगार सचिव अपूर्वा चंद्रा ने हाल ही में घोषणा की कि प्रस्तावित श्रम संहिता कंपनियों को सप्ताह में चार दिन काम करने की सुविधा प्रदान कर सकती है, लेकिन सप्ताह में 48 घंटे काम करने की सीमा भी सीमित रहेगी।
ऐसा इसलिए कि सरकार ट्रेड यूनियनों द्वारा 12 घंटे के दैनिक कार्य शिफ्ट यानी 4 दिन की साप्ताहिक कार्यावधि और शेष तीन दिनों के पूर्ण भुगतान पर की गई आपत्तियों पर विचार कर रही है। श्री चंद्रा ने दो टूक कह दिया कि, "देखें, एक सप्ताह में अधिकतम 48 घंटे का काम होगा। यदि कोई दिन में 8 घंटे काम करता है, तो प्रति सप्ताह 6 कार्य दिवस होंगे। यदि कोई कंपनी अपने कर्मचारियों के लिए प्रति दिन 12 घंटे काम अवधि निर्धारित करती है तो इसका साफ मतलब है चार दिन का काम और तीन दिन छुट्टियां।”
शासन-प्रशासन ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि यदि दैनिक कामकाज के घंटे बढ़ाए जाते हैं, तो आपको श्रमिकों को समान छुट्टियां भी देनी होंगी। यदि घंटे बढ़ाए जाते हैं तो 5 या 4 कार्य दिवस ही होंगे। अब इस जटिल मसले पर कर्मचारियों और नियोक्ताओं द्वारा पारस्परिक रूप से सहमति दी जाएगी कि क्या उचित है उनके लिए और क्या नहीं। क्योंकि यह तय है कि कोई भी दिन में 12 घंटे लगातार काम नहीं कर पाएगा।
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मंत्रालय के मसौदे के मुताबिक, नए श्रम कानून किसी भी तरह से मजदूरों और कर्मचारियों के हितों से समझौता नहीं करेंगे। इसलिए प्रस्तावित नियम और विनियम में अब काम के घंटों से संबंधित प्रावधानों को स्पष्टता पूर्वक तैयार किए जा रहे हैं। हालांकि, अभी तक कोई अंतिम शब्द नहीं है। एक बार नियम तैयार हो जाने के बाद, चीजें और अधिक स्पष्ट हो जाएंगी। मंत्रालय यह आश्वस्त करना चाहता है कि प्रतिष्ठान अपने कर्मचारियों का शोषण नहीं कर पाएंगे। किसी भी कीमत पर नहीं।
इस बात में कोई दो राय नहीं कि सरकार ने कर्मचारी राज्य बीमा निगम के माध्यम से श्रमिकों को मुफ्त चिकित्सा जांच प्रदान करने का भी प्रस्ताव रखा है। वास्तव में, स्पष्ट सरकारी प्रावधानों से पहली बार, देश में सभी प्रकार के श्रमिकों को अब न्यूनतम मजदूरी मिलेगी। वहीं, प्रवासी श्रमिकों के लिए नई योजनाएं लाई जा रही हैं। इसके अलावा, सभी प्रकार के श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भविष्य निधि की सुविधा दी जाएगी। संगठित और असंगठित क्षेत्र- ईएसआई द्वारा कवर किए जाएंगे। और तो और, महिलाओं को सभी प्रकार के व्यापार में काम करने की अनुमति दी जाएगी, और रात की पाली करने की अनुमति दी जाएगी।
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दरअसल, सरकार ने मजदूरी, औद्योगिक संबंध, व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य, कामकाजी परिस्थितियों और सामाजिक सुरक्षा पर नए श्रमिक कोड के कार्यान्वयन का जो फैसला किया है, उससे सभी कर्मचारियों को सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित होगी। यही नहीं, इससे सम्बन्धित पोर्टल पर नामांकित श्रमिकों को प्रधानमंत्री सुरक्षा भीम योजना (पीएमएसबीवाई) के तहत आकस्मिक और विकलांगता कवर के लिए एक वर्ष की अवधि के लिए मुफ्त कवरेज के प्रोत्साहन के साथ प्रदान किया जाएगा।
बता दें कि श्रम मंत्रालय ने इस साल एक अप्रैल से चार श्रम संहिता को एक बार में लागू करने की परिकल्पना की थी। जिसके मद्देनजर मंत्रालय ने 44 केंद्रीय श्रम कानूनों को मजदूरी, औद्योगिक संबंधों, सामाजिक सुरक्षा और ओएसएच पर चार व्यापक कोड में समाहित करने का फैसला किया, जो कि अब अंतिम चरण में है।
- कमलेश पांडेय
वरिष्ठ पत्रकार व स्तम्भकार
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- जे. पी. शुक्ला
- फरवरी 26, 2021 17:26
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यह अधिनियम मोटर वाहनों के चालकों के लाइसेंस, मोटर वाहनों के पंजीकरण, यातायात पर नियंत्रण, मोटर वाहनों के बीमा और मोटर वाहनों से जुडी दुर्घटनाओं के पीड़ितों को मुआवजे के लिए क्लेम ट्रिब्यूनल की स्थापना के लिए प्रावधान करता है।
मृत्यु के मामले में हर्जाने का दावा करने के अधिकार को आम कानून के तहत वर्ष 1846 की शुरुआत में मान्यता मिली थी। आगे कानून विकसित हुआ और भारत में घातक दुर्घटना अधिनियम, 1855 लागू हुआ। इसके बाद मोटर वाहन अधिनियम, 1939 को विशेष रूप से मोटर वाहन से होने वाली दुर्घटनाओं से निपटने के लिए लागू किया गया था। इसके बाद, मोटर वाहन अधिनियम, 1988 को मोटर वाहनों से होने वाली दुर्घटनाओं से संबंधित कानून को मजबूत करने और संशोधित करने के लिए लागू किया गया था।
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मोटर वाहन अधिनियम का उद्देश्य
यह अधिनियम मोटर वाहनों के चालकों के लाइसेंस, मोटर वाहनों के पंजीकरण, यातायात पर नियंत्रण, मोटर वाहनों के बीमा और मोटर वाहनों से जुडी दुर्घटनाओं के पीड़ितों को मुआवजे के लिए क्लेम ट्रिब्यूनल की स्थापना के लिए प्रावधान करता है। सड़क दुर्घटना में किसी व्यक्ति की मृत्यु या शारीरिक चोट से संबंधित मामले की जांच करने वाले पुलिस अधिकारी को 3 महीने के भीतर क्लेम ट्रिब्यूनल को आवश्यक प्रारूप में (धारा 159) रिपोर्ट प्रस्तुत करना अनिवार्य होता है।
मोटर वाहन अधिनियम, 1988 को निम्नलिखित उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए अधिनियमित किया गया है:
- देश में वाणिज्यिक वाहनों और व्यक्तिगत वाहनों दोनों की तेजी से बढ़ती संख्या का ध्यान रखना
- सड़क सुरक्षा मानकों और प्रदूषण नियंत्रण उपायों के लिए खतरनाक और विस्फोटक पदार्थों के परिवहन के लिए मानक
- यातायात अपराधियों पर नज़र रखने के प्रभावी तरीकों की आवश्यकता
- ड्राइविंग लाइसेंस प्रदान करने और इसकी वैधता की अवधि से संबंधित कड़ी प्रक्रियाएं
- सामान्य बीमा निगम द्वारा सोलाटियम योजना
- "नो फॉल्ट लायबिलिटी" के मामलों में त्वरित मुआवजे के लिए और “हिट एंड रन” मोटर दुर्घटनाओं के लिए प्रावधान
- मोटर दुर्घटनाओं के पीड़ितों को बीमाकर्ता द्वारा मुआवजे के वास्तविक भुगतान का प्रावधान चाहे किसी भी तरह की व्हीकल हो
- बिना लंबी प्रक्रिया के सड़क दुर्घटनाओं के पीड़ितों को पर्याप्त मुआवजा प्रदान करना
- यातायात अपराधियों के लिए दंड को बढ़ाना
- हिट एंड रन मामलों के पीड़ितों के मुआवजे की राशि में वृद्धि
- सड़क दुर्घटना पीड़ितों द्वारा मुआवजे के लिए आवेदन भरने के लिए समय सीमा को हटाना
- कुछ मामले में अपराधों की सजा को सख्त बनाना
- सड़क दुर्घटना पीड़ितों को उम्र / आय के आधार पर मुआवजे के भुगतान के लिए फॉर्मूला बनाना, जो अधिक उदार और तर्कसंगत हो
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मुआवजे के अनुदान के लिए आवेदन कैसे करें?
क्षतिपूर्ति के लिए आवेदन, मोटर वाहन अधिनियम की धारा 166 के तहत 10 रुपये के कोर्ट-शुल्क टिकटों के रूप में किया जाता है।
मुआवजे के अनुदान की मांग करने वाले क्लेमेंट के आवेदन के लिए निम्नलिखित विवरण दिए जाने चाहिए:
1. घायल / मृत व्यक्ति का नाम और पिता का नाम (विवाहित महिला और विधवा के मामले में पति का नाम)
2. घायल / मृत व्यक्ति का पूरा पता
3. घायल / मृत व्यक्ति की आयु और उसका व्यवसाय
4. बीमाधारक / मृतकों के एम्प्लायर का नाम पता, यदि कोई हो
5. घायल / मृत व्यक्ति की मासिक आय
6. वह व्यक्ति जिसके मुआवजे का दावा किया गया हो, वह आयकर का भुगतान करता है या नहीं
7. दुर्घटना की जगह, तारीख और समय
8. उस पुलिस स्टेशन का नाम और पता जिसके अधिकार क्षेत्र में दुर्घटना हुई या पंजीकृत किया गया था
सीमा अवधि
क्षतिपूर्ति के लिए कोई भी आवेदन तब तक अटेंड नहीं किया जाएगा जब तक कि वह दुर्घटना की घटना के छह महीने के भीतर नहीं किया जाता है।
मुआवजे के लिए आवेदन कहाँ दायर करें?
- उस क्लेम ट्रिब्यूनल के अधिकार क्षेत्र में जिसमें दुर्घटना हुई
- क्लेम ट्रिब्यूनल के स्थानीय सीमा के भीतर जिसके अधिकार क्षेत्र में दावेदार निवास करता है या व्यवसाय करता है
- जिनके अधिकार क्षेत्र की स्थानीय सीमा के भीतर प्रतिवादी रहता है
मोटर वाहन अधिनियम के तहत दंडात्मक प्रावधान
मोटर वाहन अधिनियम, 1988 के अंतर्गत दंडात्मक प्रावधान होते हैं, जिसमें उल्लंघन करने वालों पर सजा या जुर्माना या दोनों लगाया जाता है। यहां तक कि आपराधिक कानून भी होते हैं, जब वाहन चालक की लापरवाही से कोई दुर्घटना का शिकार हो जाता है, जिससे पीड़ित की मौत हो जाती है।
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मोटर वाहन अधिनियम जनता के लिए विभिन्न नियम और विनियम प्रदान करता है और ऑटोमोबाइल उद्योग में प्रगति के कारण हमारे समाज में इसका व्यापक महत्व भी है। यदि अधिनियम के किसी भी नियम का उल्लंघन किया जाता है तो अपराधी को गंभीर दंड भी दिया जाता है।
मृत्यु / स्थायी विकलांगता के मामले में देय एकमुश्त मुआवजे का भुगतान
मोटर दुर्घटना का शिकार या उसके कानूनी उत्तराधिकारी, निम्नलिखित राशियों के एकमुश्त मुआवजे का दावा कर सकते हैं (धारा 164):
(i) मृत्यु के मामले में रु 5 लाख
(ii) गंभीर चोट के मामले में रु 2.5 लाख
इस अधिनियम में हिट एंड रन मोटर दुर्घटना के मामले में मृत्यु के मामले में रु. 2 लाख और गंभीर चोट के मामले में रु 50,000 के मुआवजे की निश्चित राशि के भुगतान का प्रावधान है।
मुआवजे की राशि मृतक के कानूनी उत्तराधिकारियों के बीच उनकी निकटता के आधार पर वितरित की जाती है। यह प्रत्येक मामले के तथ्यों और परिस्थितियों के आधार पर अदालत द्वारा किया जाता है।
- जे. पी. शुक्ला
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- कमलेश पांडेय
- फरवरी 23, 2021 18:27
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दरअसल, सरकार अब वैश्विक स्तर पर, राष्ट्रीय स्तर पर, प्रदेश स्तर पर, प्रमंडल-मंडल स्तर पर, जनपद व अनुमंडल स्तर पर ऐसे हुनर हाट को बढ़ावा दे रही है, ताकि कारीगर व शिल्पकार एक दूसरे से मिलजुलकर अपना अनुभव व पेशेवर लाभ बढ़ा सकें।
हरेक व्यक्ति में एक खास हुनर होती है, जिससे वह दुनिया को लाभान्वित करते हुए अपनी दुनियादारी को साधता है। मोदी सरकार ने ऐसे हुनर को पहचानने, उन्हें प्रशिक्षित करने, उनकी आर्थिक मदद करके उनके द्वारा तैयार उत्पादों को एक बड़ा बाजार प्रदान करने का बीड़ा उठाया है। सरकार ऐसे समूहों को तकनीकी लाभ पहुंचाने के प्रति भी सचेष्ट है। वह अपनी विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं, गैर सरकारी संगठनों, संस्थाओं व निजी कंपनियों के माध्यम से ऐसे पेशेवरों को प्रोत्साहित करके रोजगार के बेशुमार अवसर पैदा करना चाहती है, ताकि एक राष्ट्र के रूप में भारतवर्ष खुद आत्मनिर्भर बन सके। साथ ही अपने अतिरिक्त व गुणवत्ता पूर्ण उत्पादनों से वैश्विक जगत को भी लाभान्वित कर सके।
इसी नजरिये से गत वर्षों की भांति इस वर्ष 20 फरवरी से 1 मार्च तक नई दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में 26वें हुनर हाट का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें देश के कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 600 से अधिक कारीगर और शिल्पकार भाग ले रहे हैं। इनमें बड़ी संख्या में महिला शिल्पकार भी शामिल हुई हैं। क्योंकि इस बार के हुनर हाट का मुख्य विषय है 'वोकल फॉर लोकल'।
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अब आप भी यदि हुनरमंद एवं पेशेवर कारीगर व शिल्पकार हैं तो ऐसे महत्वपूर्ण कार्यक्रमों में हिस्सा लेना ना भूलें, क्योंकि इसमें शिरकत करने से न केवल आपको एक विशिष्ट पहचान मिलेगी, बल्कि उससे कतिपय खास अनुभव भी हासिल होंगे। साथ ही, बड़ा बाजार और अप्रत्याशित आर्डर जो मिलेंगे, सो अलग।
दरअसल, सरकार अब वैश्विक स्तर पर, राष्ट्रीय स्तर पर, प्रदेश स्तर पर, प्रमंडल-मंडल स्तर पर, जनपद व अनुमंडल स्तर पर ऐसे हुनर हाट को बढ़ावा दे रही है, ताकि कारीगर व शिल्पकार एक दूसरे से मिलजुलकर अपना अनुभव व पेशेवर लाभ बढ़ा सकें। इसके वास्ते वह ऐसे आयोजनों पर विभिन्न तरह के अनुदान यानी सब्सिडी भी मुहैया करवाती है।
बता दें कि अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय द्वारा अपने से जुड़े स्वदेशी दस्तकारों, शिल्पकारों के 26वें "हुनर हाट" का आयोजन "वोकल फॉर लोकल" थीम के साथ 20 फरवरी को शुरू होकर आगामी 1 मार्च 2021 तक किया जा रहा है, जिसमें देश के 31 से अधिक राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से 600 से अधिक दस्तकार, शिल्पकार शामिल हो रहे हैं। इनमें बड़ी संख्या में महिला कारीगर भी शामिल हैं।
# हुनर हाट ने दिया 5 लाख से ज्यादा दस्तकारों को मौका
केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने बताया कि अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय द्वारा देशभर के दस्तकारों, शिल्पकारों के स्वदेशी उत्पादनों को लोगों तक पहुंचाने एवं प्रोत्साहित करने के लिए एक "परफेक्ट प्लेटफार्म" के तौर पर "हुनर हाट" लगवाया जा रहा है, जिससे अब तक 5 लाख से ज्यादा दस्तकारों, शिल्पकारों, कलाकारों को रोजगार और रोजगार के जुड़े मौके मिल चुके हैं। लक्ष्य है कि आजादी के 75 वर्ष पूरे होने के साथ हमलोग 75 "हुनर हाट" के जरिये 7 लाख 50 हजार दस्तकारों को रोजगार-रोजगार के मौकों से जोडे़ंगे।
# "हुनर हाट" ई प्लेटफार्म के साथ ही GeM पोर्टल पर भी
यह "हुनर हाट" ई प्लेटफार्म http://hunarhaat.org के साथ ही GeM पोर्टल पर भी देश-विदेश के लोगों के लिए उपलब्ध रहेगा, जहां लोग सीधे दस्तकारों, शिल्पकारों, कारीगरों के बेहतरीन स्वदेशी सामानों को देख-खरीद सकेंगे। जाहिर है कि एक ओर जहां "हुनर हाट", देश के स्वदेशी कारीगरों, शिल्पकारों का "एम्प्लॉयमेंट और एम्पावरमेंट एक्सचेंज" साबित हुआ है, वहीं दूसरी ओर "हुनर हाट" इन कारीगरों को देश-विदेश में मौका एवं मार्केट मुहैया कराने का प्रभावी प्लेटफार्म भी बन गया है।
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# देश के सभी क्षेत्रों के पारम्परिक लजीज़ पकवानों का भी उठा सकते हैं लुत्फ
नई दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में आयोजित हो रहे "हुनर हाट" के "बावर्चीखाने" में देश के सभी क्षेत्रों के पारम्परिक लजीज़ पकवानों का यहां आने वाले लोग लुत्फ़ उठा रहे हैं। साथ ही देश के प्रसिद्द कलाकारों के विभिन्न सांस्कृतिक, गीत-संगीत के शानदार कार्यक्रमों का भी आनंद भी ले रहे हैं। तो फिर आपको भी मौका नहीं चूकना चाहिए।
# विभिन्न राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के कारीगर-शिल्पकार पहुंचे दिल्ली, अब उनके राज्यों में भी लगेंगे ऐसे हाट
बता दें कि जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में आयोजित हो रहे हुनर हाट में आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, चंडीगढ़, छत्तीसगढ़, दिल्ली, गोवा, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, झारखण्ड, कर्नाटक, केरल, लद्दाख, मध्य प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, नगालैंड, ओडिशा, पुडुचेरी, पंजाब, राजस्थान, सिक्किम, तमिलनाडु, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल राज्यों सहित केंद्र शासित प्रदेशों से दस्तकार, शिल्पकार, कारीगर शामिल हो रहे हैं। वहीं, सम्बन्धित केंद्रीय मंत्री की मानें तो आने वाले दिनों में हुनर हाट का आयोजन गोवा, भोपाल, जयपुर, चंडीगढ़, मुंबई, हैदराबाद, रांची, सूरत/अहमदाबाद, कोच्चि, गुवाहाटी, भुवनेश्वर, पटना, जम्मू-कश्मीर आदि स्थानों पर होगा। इसलिये आप भी अपनी पसंद व जरूरत के हिसाब से निकटवर्ती हुनर हाट में शिरकत करने का मन बना लीजिए, यहां पर अपनी भागीदारी जताने से लाभ-हानि से अलग कुछ ऐसी सीख मिलेगी, जिससे भविष्य में आपको अपने कारोबारी अथवा पेशेवर विस्तार में काफी मदद मिलेगी।
- कमलेश पांडेय
वरिष्ठ पत्रकार व स्तंभकार
अभ्युदय योजना के जरिए प्रतियोगी परीक्षाओं की निःशुल्क तैयारी कराएगी योगी सरकार
- कमलेश पांडेय
- फरवरी 18, 2021 16:39
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उत्तर प्रदेश के दूर-दराज इलाकों में रहने वाले और गरीब तबके के होनहार छात्रों के लिए यूपी की सजग, सक्रिय व संवेदनशील योगी सरकार 'अभ्युदय योजना' लेकर आई है। वास्तव में, यह योजना उन विद्यार्थियों अथवा छात्र-छात्राओं के लिए है जो शहरों में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने के लिए नहीं जा सकते हैं।
जीवन एक प्रतियोगिता है, जिसमें अव्वल आना हर कोई चाहता है। लेकिन किसी के पास बुद्धि की कमी महसूस होती है तो किसी के पास धन दौलत का आभाव होता है और किसी किसी कि पारिवारिक व सामाजिक पृष्ठभूमि भी बिल्कुल अलग होती है जो जीवन की प्रतियोगिता में सम्बंधित व्यक्ति को अव्वल आने से रोकती है। लेकिन कहा जाता है कि जहां चाह वहां राह। यानी कि यदि व्यक्ति कोई भी कार्य दिल से करने की ठान ले और अपने चंचल दिमाग को सम्बन्धित कार्य को निष्पादित करने के प्रति एकाग्रचित कर ले तो बुद्धि, धन-सम्पत्ति और निज पृष्ठभूमि की किल्लत कतई उसके लक्ष्य के आड़े नहीं आएगी।
इसे भी पढ़ें: भारतमाला परियोजना- विज़नरी कॉरिडोर अक्रॉस इंडिया
# 16 फरवरी को होगी अभ्युदय योजना की विधिवत शुरुआत
शायद यही सोचकर उत्तर प्रदेश सरकार ने केंद्रीय लोक सेवा आयोग यानी यूपीएससी, राज्य लोक सेवा आयोग यानी यूपीपीएससी, बैंकिंग, एसएससी जैसी विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए नि:शुल्क कोचिंग की व्यवस्था की है, ताकि साधन की किल्लत के चलते किसी होनहार छात्र का साध्य नहीं बदले। इसके लिए योगी सरकार ने शिक्षा की देवी मां सरस्वती को समर्पित तिथि वसंत पंचमी के अवसर पर 'अभ्युदय योजना' की शुरुआत की है, जिसकी विधिवत शुरुआत आगामी 16 फरवरी को वसंत पंचमी 2021 से हो गई है।
हालांकि, इसके लिए आवेदन की प्रक्रिया गत 10 फरवरी से ही शुरू हो गई है। खास बात यह कि स्वयं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ट्वीट कर रजिस्ट्रेशन शुरू होने की जानकारी दी है। इससे यूपी के प्रतियोगी छात्रों की बल्ले बल्ले हो गई है। उनमें एक नए उत्साह का संचार हुआ है।
# जानिए क्या है 'अभ्युदय योजना'
उत्तर प्रदेश के दूर-दराज इलाकों में रहने वाले और गरीब तबके के होनहार छात्रों के लिए यूपी की सजग, सक्रिय व संवेदनशील योगी सरकार 'अभ्युदय योजना' लेकर आई है। वास्तव में, यह योजना उन विद्यार्थियों अथवा छात्र-छात्राओं के लिए है जो शहरों में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने के लिए नहीं जा सकते हैं। ऐसे में प्रदेश के हर मंडल में यानी कुल 16 मंडल में शुरू होने वाली अभ्युदय कोचिंग ऐसे छात्रों के लिए वरदान साबित होगी, जिनके पास प्रतिभा तो है लेकिन संसाधनों की कमी में पीछे रह जाते हैं।
# विभिन्न महत्वपूर्णप्रतियोगी परीक्षाओं के लिए भी दी जाएगी ट्रेनिंग
योगी आदित्यनाथ की सरकार की इस योजना के जरिए छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए उच्च स्तरीय मार्गदर्शन और एग्जाम से पहले ट्रेनिंग दी जाएगी। जिसमें संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी), उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी), अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (यूपीएसएसएससी), अन्य भर्ती बोर्ड, नीट (एनईईटी), जेईई, एनडीए, पीओ, एसएससी, टीईटी, बीएड और अन्य परीक्षाएं शामिल की गई हैं।
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बताया जाता है कि इन कोचिंग सेंटर्स में प्रदेश के छात्रों को आईएएस, आईपीएस और पीसीएस अधिकारी भी मुफ्त में कोचिंग देंगे। उनके निज अनुभवों से छात्रगण अपेक्षाकृत अधिक लाभान्वित होंगे। इसके तहत उत्तर प्रदेश के हर मंडल से 500 छात्र-छात्राओं यानी कुल 16 मंडलों से लगभग 8000 छात्र-छात्राओं का चयन किया जाएगा। इस योजना में अभिरुचि रखने वाले अभ्यर्थी http://abhyuday.up.gov.in लिंक पर जाकर रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं।
# 6 सदस्यीय राज्य स्तरीय समिति का किया गया है गठन
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की इस महत्वाकांक्षी योजना के क्रियान्वयन के लिए अपर मुख्य सचिव समाज कल्याण की अध्यक्षता में 6 सदस्यीय राज्य स्तरीय समिति का गठन किया गया है। इसके अलावा, विभिन्न मंडलायुक्त की अध्यक्षता में 12 सदस्यीय मंडलीय समिति का भी गठन किया गया है। बताया जाता है कि राज्य स्तरीय समिति कंटेंट और पठन-पाठन सामग्री के लिए जरूरत के हिसाब से एक्सपर्ट को बुलाएगी। वहीं, समिति शिक्षण कैलेंडर बनाने, विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं से संबंधित सामग्री तैयार करने का काम भी करेगी।
- कमलेश पांडेय
वरिष्ठ पत्रकार व स्तम्भकार
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