नया श्रमिक कोड: साप्ताहिक कार्य अवधि को लेकर नीतिगत असमंजस दूर करने की पहल

new labour codes
कमलेश पांडेय । Feb 12 2021 6:02PM

मंत्रालय के मसौदे के मुताबिक, नए श्रम कानून किसी भी तरह से मजदूरों और कर्मचारियों के हितों से समझौता नहीं करेंगे। इसलिए प्रस्तावित नियम और विनियम में अब काम के घंटों से संबंधित प्रावधानों को स्पष्टता पूर्वक तैयार किए जा रहे हैं।

यह आम धारणा है कि जब तक किसी कार्य को अपना समझकर पूरी लगन व मेहनत से नहीं किया जाएगा, तबतक उसकी सफलता संदिग्ध रहेगी। ऐसे में साप्ताहिक कार्यावधि के बारे में जो प्रशासनिक नीतिगत असमंजस दृष्टिगोचर हो रहा है, वह कतिपय आयामों में व्यक्तिगत, संस्थागत और राष्ट्रगत उद्देश्यों की पूर्ति में किसी बड़े अवरोधक की तरह आंका जाने लगा है। 

सवाल है कि जब सप्ताह में 6 दिन और 48 घण्टे की कार्यावधि पहले से ही निर्धारित है, तब उसे केंद्रीय सेवाओं में पहले 5 दिन करना और अब विभिन्न निजी-सरकारी इकाइयों  को 4 दिन के कार्य सप्ताह की अनुमति देने के लिए सेंट्रल द्वारा एक नए श्रम कोड की रूपरेखा तैयार करने हेतु आम राय विकसित करना किसके लिए फायदेमंद होगा और किसके लिए हानिकारक, यह वक्त बताएगा, मैं नहीं।

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लेकिन यह अनुभूत सत्य है कि जिस तरह से कोई किसान या कारोबारी पूर्ण मनोयोग से 24 घण्टे, सातों दिन अपने कार्य को करता रहता है, वैसा ही माहौल देने की बजाए कहीं 7 दिन में 6 दिन, कहीं 5 दिन और कहीं 4 दिन और कुल मिलाकर 48 घण्टे काम करवाने की बात कानूनी तौर पर जायज ठहराना किसी किसी पेशे के लिए उचित है तो किसी किसी पेशे के लिए अनुचित भी। 

ऐसे में बेहतर यही होगा कि पूरे राष्ट्र के लिए एक समान श्रम कानून बने जिसमें न्यूनतम कार्यावधि, कार्यदिवस, वेतनमान व अन्य सुविधाओं के सम्बन्ध में ज्यादा तफरका नहीं दिखाई दे। क्योंकि अब तक बने श्रम कानूनों का अनुपालन न तो सरकारी संस्थाओं में पूरी ईमानदारी पूर्वक किया गया और न ही निजी संस्थानों में। संगठित और असंगठित क्षेत्रों की जो नीतिगत विषमताएं व विवशताएं हैं, सो अलग। 

इसलिए सरकार से उम्मीद है कि वह टुकड़े टुकड़े वाली सोच से बाहर निकले और अपने ए ग्रेड के अधिकारियों व बी, सी, डी ग्रेड के पदाधिकारियों व कर्मचारियों के बारे में विभिन्न मामलों में व्याप्त चौड़ी खाई को पाटने की व्यापक पहल करे। क्योंकि जब सबका मत समान है तो फिर शिक्षा व पेशागत आधार पर व्याप्त कानूनी विभेदों व आर्थिक ऊंच-नीच की अवधारणा को भी समाप्त करना नया इंडिया की अवधारणा को अधिक फलीभूत करेगा।

यूं तो प्रस्तावित श्रमिक कोड में सरकार ने श्रमिकों को राज्य बीमा निगम के माध्यम से श्रमिक कोड के तहत नि: शुल्क चिकित्सा जांच प्रदान करने का भी प्रस्ताव दिया है।

दरअसल, श्रम और रोजगार मंत्रालय ने चार नए श्रम कोड के लिए नियमों को अंतिम रूप देने के लिए प्रक्रिया को जल्द पूरा करने की संभावना है। इस बारे में श्रम और रोजगार सचिव अपूर्वा चंद्रा ने हाल ही में घोषणा की कि प्रस्तावित श्रम संहिता कंपनियों को सप्ताह में चार दिन काम करने की सुविधा प्रदान कर सकती है, लेकिन सप्ताह में 48 घंटे काम करने की सीमा भी सीमित रहेगी। 

ऐसा इसलिए कि सरकार ट्रेड यूनियनों द्वारा 12 घंटे के दैनिक कार्य शिफ्ट यानी 4 दिन की साप्ताहिक कार्यावधि और शेष तीन दिनों के पूर्ण भुगतान पर की गई आपत्तियों पर विचार कर रही है। श्री चंद्रा ने दो टूक कह दिया कि, "देखें, एक सप्ताह में अधिकतम 48 घंटे का काम होगा। यदि कोई दिन में 8 घंटे काम करता है, तो प्रति सप्ताह 6 कार्य दिवस होंगे। यदि कोई कंपनी अपने कर्मचारियों के लिए प्रति दिन 12 घंटे काम अवधि निर्धारित करती है तो इसका साफ मतलब है चार दिन का काम और तीन दिन छुट्टियां।” 

शासन-प्रशासन ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि यदि दैनिक कामकाज के घंटे बढ़ाए जाते हैं, तो आपको श्रमिकों को समान छुट्टियां भी देनी होंगी। यदि घंटे बढ़ाए जाते हैं तो 5 या 4 कार्य दिवस ही होंगे। अब इस जटिल मसले पर कर्मचारियों और नियोक्ताओं द्वारा पारस्परिक रूप से सहमति दी जाएगी कि क्या उचित है उनके लिए और क्या नहीं। क्योंकि यह तय है कि कोई भी दिन में 12 घंटे लगातार काम नहीं कर पाएगा।

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मंत्रालय के मसौदे के मुताबिक, नए श्रम कानून किसी भी तरह से मजदूरों और कर्मचारियों के हितों से समझौता नहीं करेंगे। इसलिए प्रस्तावित नियम और विनियम में अब काम के घंटों से संबंधित प्रावधानों को स्पष्टता पूर्वक तैयार किए जा रहे हैं। हालांकि, अभी तक कोई अंतिम शब्द नहीं है। एक बार नियम तैयार हो जाने के बाद, चीजें और अधिक स्पष्ट हो जाएंगी। मंत्रालय यह आश्वस्त करना चाहता है कि प्रतिष्ठान अपने कर्मचारियों का शोषण नहीं कर पाएंगे। किसी भी कीमत पर नहीं।

इस बात में कोई दो राय नहीं कि सरकार ने कर्मचारी राज्य बीमा निगम के माध्यम से श्रमिकों को मुफ्त चिकित्सा जांच प्रदान करने का भी प्रस्ताव रखा है। वास्तव में, स्पष्ट सरकारी प्रावधानों से पहली बार, देश में सभी प्रकार के श्रमिकों को अब न्यूनतम मजदूरी मिलेगी। वहीं, प्रवासी श्रमिकों के लिए नई योजनाएं लाई जा रही हैं। इसके अलावा, सभी प्रकार के श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भविष्य निधि की सुविधा दी जाएगी। संगठित और असंगठित क्षेत्र- ईएसआई द्वारा कवर किए जाएंगे। और तो और, महिलाओं को सभी प्रकार के व्यापार में काम करने की अनुमति दी जाएगी, और रात की पाली करने की अनुमति दी जाएगी। 

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दरअसल, सरकार ने मजदूरी, औद्योगिक संबंध, व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य, कामकाजी परिस्थितियों और सामाजिक सुरक्षा पर नए श्रमिक कोड के कार्यान्वयन का जो फैसला किया है, उससे सभी कर्मचारियों को सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित होगी। यही नहीं, इससे सम्बन्धित पोर्टल पर नामांकित श्रमिकों को प्रधानमंत्री सुरक्षा भीम योजना (पीएमएसबीवाई) के तहत आकस्मिक और विकलांगता कवर के लिए एक वर्ष की अवधि के लिए मुफ्त कवरेज के प्रोत्साहन के साथ प्रदान किया जाएगा।

बता दें कि श्रम मंत्रालय ने इस साल एक अप्रैल से चार श्रम संहिता को एक बार में लागू करने की परिकल्पना की थी। जिसके मद्देनजर मंत्रालय ने 44 केंद्रीय श्रम कानूनों को मजदूरी, औद्योगिक संबंधों, सामाजिक सुरक्षा और ओएसएच पर चार व्यापक कोड में समाहित करने का फैसला किया, जो कि अब अंतिम चरण में है।

- कमलेश पांडेय

वरिष्ठ पत्रकार व स्तम्भकार

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