एसआईपी से डेस्टिनेशन वेडिंग का ट्रेंड कितना फायदेमंद, समझिए ऐसे

SIP Destination Wedding
Prabhasakshi
कमलेश पांडे । Apr 22 2024 3:31PM

रेगुलर एसआईपी में तय अवधि में तय रकम निवेश करना होता है। निवेशक हर महीने, हर तीन महीने में या फिर छमाही में निवेश कर सकते हैं। इसमें निवेश की रकम कितनी होगी, यह आप खुद ही तय कर सकते हैं। ज्यादातर लोगों में यही एसआईपी पॉपुलर है।

आजकल सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) लेकर आप अपनी डेस्टिनेशन वेडिंग की योजना बना सकते हैं। क्योंकि बहुतेरे लोग ऐसा कर रहे हैं। आधुनिक समाज में धीरे-धीरे यह प्रचलन बढ़ता ही जा रहा है। आमतौर पर आप डेस्टिनेशन वेडिंग के लिए 10 सालों तक हर महीने 11 हजार, 31 हजार या 43 हजार का प्लान लेकर अगले 10 सालों तक इसमें निवेश कर सकते हैं। इसके बाद आप शानदार आयोजन करने में सक्षम हो सकेंगे।

एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (एएमएफआई) के आंकड़ों के मुताबिक, देश में एसआईपी की लोकप्रियता दिनोंदिन बढ़ रही है। फरवरी, 2024 तक देश में म्यूचुअल फंड्स एसआईपी के कुल 8.2 करोड़ खाते थे, जिनमें 19,187 करोड़ रुपए जमा थे। इसलिए यहां पर हम बात करेंगे कि एसआईपी क्या है? यह कितने तरह की होती है? कौन-सी एसआईपी करनी चाहिए? एसआईपी करते वक्त क्या-क्या सावधानी बरतनी चाहिए? 

इसे भी पढ़ें: घर बैठे आसानी से चेक करें आयुष्मान कार्ड लिस्ट में अपना नाम, जानें आसान प्रोसेस

कहना न होगा कि सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) म्यूचुअल फंड्स द्वारा प्रस्तावित निवेश का एक ऐसा जरिया है, जिसके माध्यम से कोई व्यक्ति एक तय रकम, नियमित अंतराल में म्यूचुअल फंड्स की किसी स्कीम में मंथली या हर तीन महीने पर या एकमुश्त रकम से निवेश कर सकता है। यह किस्त हर महीने 500 रुपए से भी हो सकती है। वैसे तो एसआईपी कई तरह की होती हैं, लेकिन मार्केट में सबसे पॉपुलर 5 ही हैं।

पहला, रेगुलर एसआईपी: रेगुलर एसआईपी में तय अवधि में तय रकम निवेश करना होता है। निवेशक हर महीने, हर तीन महीने में या फिर छमाही में निवेश कर सकते हैं। इसमें निवेश की रकम कितनी होगी, यह आप खुद ही तय कर सकते हैं। ज्यादातर लोगों में यही एसआईपी पॉपुलर है।

दूसरा, स्टेप-अप एसआईपी: इसमें आप एक तय समय बाद एसआईपी को बढ़ा सकते हैं, जिसमें सालाना आधार पर भी रकम बढ़ाने का विकल्प मिलता है। यदि आप हर महीने 10 हजार रुपए की एसआईपी करते हैं तो उसे हर साल 5 या 10 फीसदी बढ़ाने का विकल्प मिल सकता है।

तीसरा, फ्लेक्सिबल एसआईपी: इसमें एसआईपी में बदलाव किए जा सकते हैं। यानी एसआईपी की रकम को कभी भी बढ़ाया या घटाया जा सकता है। हालांकि, इसके लिए निवेशकों को फंड हाउस को एसआईपी कटने की तारीख से पहले सूचना देनी होगी।

चतुर्थ, ट्रिगर एसआईपी: इसमें समय और वैल्यूएशन के आधार पर निवेश का प्लान बनाया जा सकता है। ऐसी एसआईपी में पहले से ही शर्त भी लगाई जा सकती है। जैसे जब एनएवी यानी नेट एसेट वैल्यु 1000 रुपए से अधिक हो जाए तो ट्रिगर एसआईपी की शुरुआत की जाए। या फिर 1000 रुपए से कम होने पर अतिरिक्त पैसे एसआईपी में लगाएं।

पंचम, इंश्योरेंस के साथ एसआईपी: इस एसआईपी में टर्म इंश्योरेंस का लाभ भी मिलता है। सभी फंड हाउस में अलग-अलग शर्तें हो सकती हैं। इसमें एसआईपी के अमाउंट के 10 गुना तक का कवर मिलता है। इसका लाभ केवल इक्विटी म्यूचुअल फंड्स पर मिलता है।

अब बात करते हैं कि एसआईपी से म्यूचुअल फंड्स में निवेश कैसे करें? एसआईपी में निवेश की लोकप्रियता क्यों है? इसके विभिन्न आयामों को समझते हैं-

एक, एसआईपी के जरिए निवेश करने में इन्‍वेस्‍टमेंट पीरियड और अमाउंट को लेकर लचीलापन रहता है। आप अपनी सुविधा अनुसार निवेश की अवधि मंथली, तिमाही या छमाही का ऑप्‍शन चुन सकते हैं। जब भी आपको जरूरत पड़े, आप इसे रोक सकते हैं या अपनी एसआईपी से पैसा निकाल सकते हैं।

दो, एसआईपी में आप जब समय-समय पर निवेश करते रहते हैं तो आपको रुपी कॉस्‍ट एवरेजिंग का फायदा मिलता है। मतलब ये कि मार्केट गिर रहा है तो आपने जो पैसा निवेश किया है, उसमें आपको ज्‍यादा यूनिट्स अलॉट होंगे और मार्केट में तेजी आने पर अलॉट होने वाले यूनिट्स की संख्या कम होगी। मार्केट में उतार-चढ़ाव की स्थिति में भी आपका खर्च औसत बना रहता है। यानी मार्केट में गिरावट आने पर भी आपको नुकसान नहीं होता। मार्केट में तेजी आने पर आपको अपने औसत निवेश पर ही बेहतर रिटर्न मिलता है।

तीन, एसआईपी में कंपाउंडिंग का फायदा जबरदस्‍त मिलता है, इसलिए एसआईपी लंबे समय के लिए की जानी चाहिए। ये जितने लंबे समय के लिए होगी, कंपाउंडिंग का फायदा उतना ज्‍यादा होगा। आपको कंपाउंडिंग के तहत केवल उसी रकम पर रिटर्न नहीं मिलता, जिसे आपने निवेश किया है। बल्कि आपको पहले के मिले रिटर्न पर भी रिटर्न मिलता है।

चार, एसआईपी के जरिए आप निश्चित समय के लिए बचत करना सीखते हैं। यानी आपको मासिक, तिमाही या छमाही पर जो भी पैसा निवेश करना है, उस रकम की बचत करने के बाद ही आप बाकी खर्च करते हैं। इस तरह आपको अनुशासित निवेश की आदत पड़ती है।

पांच, एसआईपी फायदेमंद होती है, मगर आपने निवेश के समय कुछ बातों को ध्यान में नहीं रखा तो आपको जोखिम भी उठाना पड़ सकता है। आमतौर पर यह देखा जाता है कि निवेशक कई बार मार्केट के गिरने पर घबराकर एसआईपी से पैसा निकाल लेते है, जिसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ता है। 

छह, अक्सर निवेशक इक्विटी बाजार के उतार-चढ़ाव को देखते हुए कभी एसआईपी को बंद करते हैं तो कभी शुरू करते हैं। बाजार में तेजी देखकर निवेशकों में गजब का उत्साह होता है। जब बाजार तेजी में होता हैं तो एसआईपी शुरू कर देते हैं। जब मंदी आती है तो ज्यादातर निवेशक निराश और डर जाते हैं और इस वजह से वो एसआईपी रोक देते हैं। मगर वो ये नहीं समझते कि एसआईपी को कभी शुरू करना और कभी रोकना सिर्फ एक खराब रिटर्न ही दे सकता हैं। इससे लंबे समय में आपको नुकसान भी हो सकता है।

सात, किसी भी राशि की एसआईपी एक लक्ष्य के साथ करें, जैसे- अपने बच्चे की एजुकेशन, शादी, अपना रिटायरमेंट या ऐसे किसी भी लक्ष्य के साथ आप एसआईपी में बने रह सकते हैं। उतार-चढ़ाव वाले ग्रोथ असेट्स में सिस्टेमैटिक निवेश सबसे अच्छा काम करता है, जब उनके लक्ष्य स्पष्ट होते हैं। अगर आप लक्ष्य के साथ निवेश नहीं करते और बीच में कभी भी पैसा निकाल लेने का सोचते हैं और इसका नुकसान होता है।

आठ, एसआईपी में निवेश करते समय आपको ध्यान रखना चाहिए कि आप बड़ी रकम से निवेश की शुरुआत नहीं करें। बड़ी रकम में निवेश करने से भविष्य में पैसे की कमी होने से आपकी एसआईपी टूट जाती है, जिससे आपको मुनाफा भी कम मिलता है।

- कमलेश पांडेय

वरिष्ठ पत्रकार व स्तम्भकार

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़