MSME की नई परिभाषा क्या है ? इसकी रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया और अपेक्षित पात्रताएं क्या हैं ?

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कमलेश पांडेय । Sep 21 2020 4:53PM

अर्थशास्त्रियों के मुताबिक, एमएसएमई एक तरह की स्कीम है, जिसकी शुरुआत छोटे उद्योगों को बढ़ावा देने लिए की गई थी। इसके तहत सरकार छोटे उद्योगों को अनेक प्रकार से फ़ायदे पहुंचाने का प्रयास करती है। इस स्कीम के तहत छोटे उद्योगों को प्रायः 3 भागों में बांटा गया है- सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग।

कोरोना प्रकोप काल में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 21 लाख करोड़ रुपये के जिस 'आर्थिक पैकेज' का ऐलान किया और आत्मनिर्भर भारत अभियान की शुरुआत की, उसमें एमएसएमई सेक्टर को बूम प्रदान करने के लिए बहुत ही साहसिक फैसले किए गए हैं। इसके मूल रूप को स्पष्ट करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस पैकेज की विस्तार से जानकारी दी, जिसके माध्यम से एमएसएमई सेक्टर के लिए भी बड़े ऐलान किये गए हैं, जो कि कोरोना संकट से सबसे अधिक प्रभावित हुआ है। 

तब वित्त मंत्री ने स्पष्ट कहा कि सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। यह सेक्टर करीब 12 करोड़ लोगों को रोजगार देता है। इसलिए इसे रहत पहुंचाने के लिए सरकार ने कुछ उपाए किये हैं, जिनके अंतर्गत सूक्ष्म उद्योगों की श्रेणी के लिए एक करोड़ रुपये का निवेश और पांच करोड़ रुपये का टर्नओवर तक की सीमा वाले उद्योग, छोटे उद्योगों की श्रेणी के लिए 10 करोड़ का निवेश और 50 करोड़ रुपये का टर्नओवर तक की सीमा वाले उद्योग और मध्यम उद्योगों की श्रेणी के लिए 20 करोड़ रुपये निवेश और 250 करोड़ रुपये टर्नओवर तक की सीमा वाले उद्योग आएंगे। इसके अलावा, अब एमएसएमई को स्टॉक एक्सचेंजों में सूचीबद्ध (लिस्टेड) होने के लिए सुविधा मिलेगी। खास बात यह कि सरकार ने एमएसएमई के लिए 20,000 करोड़ रुपये की सब्सिडी को भी मंजूरी दी है। लिहाजा, इस आर्थिक पैकेज से लगभग 45 लाख एमएसएमई उद्योगों को लाभ मिलेगा।

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# क्या हैं एमएसएमई यानी सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम

अर्थशास्त्रियों के मुताबिक, एमएसएमई एक तरह की स्कीम है, जिसकी शुरुआत छोटे उद्योगों को बढ़ावा देने लिए की गई थी। इसके तहत सरकार छोटे उद्योगों को अनेक प्रकार से फ़ायदे पहुंचाने का प्रयास करती है। इस स्कीम के तहत छोटे उद्योगों को प्रायः 3 भागों में बांटा गया है- सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग। दरअसल, एमएसएमई में रजिस्ट्रेशन के माध्यम से छोटी छोटी कंपनियां सरकार की योजनाओं का लाभ उठा सकती हैं। वहीं, लघु उद्योग से सम्बंधित कई सरकारी स्कीम्स ऐसी हैं, जिनका लाभ आप बिना एमएसएमई का रजिस्ट्रेशन के नहीं ले सकते हैं। इसलिये यदि आप उद्यमी हैं तो आपकी कम्पनी या फर्म एमएसएमई में पंजीकृत अवश्य होनी चाहिए, ताकि आप भी इसका लाभ उठा सकिये।

# एमएसएमई के तीन प्रमुख प्रकार के बारे में जानिए

आर्थिक विशेषज्ञों के मुताबिक, समान विकास और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए एमएसएमई बहुत ही महत्वपूर्ण सेक्टर है। एमएसएमई के अंतर्गत विभिन्न कंपनियों या फर्मों आदि को तीन कैटेगरी में बांटा गया है। पहला माइक्रो, दूसरा स्मॉल और तीसरा मीडियम, जिनके लिए अलग अलग परिभाषा है। हाल ही में मोदी सरकार ने इन परिभाषाओं में कुछ आमूलचूल बदलाव किये हैं। 

एमएसएमई की नई परिभाषा इस प्रकार है- पहला, सूक्ष्म उद्योग के अंतर्गत वो कंपनी आती हैं, जिनका निवेश 1 करोड़ से कम हैं और टर्नओवर 5 करोड़ से अधिक नहीं है। दूसरा, लघु उद्योग के अंतर्गत वो कंपनी आती हैं जिनका निवेश 10 करोड़ से कम और टर्नओवर 50 करोड़ से कम है। तीसरा, मध्यम उद्योग के अंतर्गत वो कंपनी आती हैं जिनका निवेश 20 करोड़ से कम और टर्नओवर 100 करोड़ से कम है।

# एमएसएमई में कौन करवा सकता है रजिस्ट्रेशन?

एमएसएमई के तहत निम्न संस्थाएं अपना रजिस्ट्रेशन करवा सकती हैं- प्रोप्राइटरशिप फर्म, सरकारी और प्राइवेट कंपनियां, एलएलपी, हिन्दू अविभाजित परिवार, पार्टनरशिप फर्म, वन पर्सन कंपनी, को-ऑपरेटिव सोसाइटीज और एसोसिएशन ऑफ पर्सन। इसके अलावा, सरकार के दिशा-निर्देश में कार्य करने वाली सभी कंपनियां इसमें रजिस्ट्रेशन करा सकती हैं। इसके विभिन्न फायदे भी उन्हें मिलते हैं।

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# प्रायः तीन प्रकार के होते हैं एमएसएमई उद्यम

जहां तक एमएसएमई के प्रकार की बात है तो यह तीन प्रकार की होती है। आकार की दृष्टि से सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम। कार्य प्रकार की दृष्टि से विनिर्माण, व्यापार और सेवाएं। एमएसएमई 2018-19, जो कि नवीनतम उपलब्ध है, में मंत्रालय द्वारा प्रकाशित वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक, 31 प्रतिशत एमएसएमई विनिर्माण गतिविधियों में लगे हुए पाए गए, जबकि 36 प्रतिशत एमएसएमईज व्यापार में और 33 प्रतिशत अन्य सेवाओं में थे। देश में एमएसएमईज की अनुमानित संख्या 633.88 लाख में से, 324.88 लाख एमएसएमईज यानी 51.25 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्र में और 309 लाख एमएसएमईज यानी 48.75 प्रतिशत शहरी क्षेत्रों में थे।

# एमएसएमई रजिस्ट्रेशन के लिए महत्वपूर्ण दस्तावेज 

आप एमएसएमई रजिस्ट्रेशन ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों तरीके से कर सकते हैं। क्योंकि रजिस्ट्रेशन करने में कोई शुल्क नहीं लगता है। हां, एमएसएमई में रजिस्ट्रेशन करने के लिए कुछ जरूरी दस्तावेज़ की जरुरत होती है। लिहाजा, उद्योग को शुरू करने का लीगल सर्टिफिकेट, व्यवसाय का पता प्रमाण पत्र, बिक्री बिल और खरीद बिल की प्रतियां, औद्योगिक लाइसेन्स की कॉपी और मशीनों की खरीद का बिल आदि विभिन्न वक्तों पर आपसे मांगे जाते हैं।

# एमएसएमई में अपने उद्यम का ऐसे करें रजिस्ट्रेशन

एमएसएमई रजिस्ट्रेशन करने के लिए सबसे पहले आपको ऑफिसियल वेबसाईट में जाना होगा, जहां पर आप ऑनलाइन बिजनेस के रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन कर सकते हैं। यहां पर रजिस्ट्रेशन के लिए आपको निम्नलिखित चीजें दर्ज करनी पड़ेंगी:- आवेदन करने वाले का नाम, लिंग, ईमेल आईडी और मोबाइल नंबर, पैन नंबर, आधार नंबर, उद्योग का नाम, पता और पैन नंबर, उद्योग में काम कर रहे कर्मचारियों की संख्या, नाम और कब से काम कर रहे हैं, उसकी तिथि, बैंक अकाउंट नंबर और आईएफएससी कोड, उद्योग का प्रमुख कार्य, 2 अंकों का एनआईसी कोड और मशीन खरीद का ब्योरा। इस प्रकार पूरा फॉर्म भरने के बाद आपको मांगे गए सभी डाक्यूमेंट्स अटैच करने होंगे, जिनका जिक्र हमने ऊपर में किया है। इसके बाद कुछ दिनों के अंतराल में आपका वेरिफिकेशन होगा। वेरिफिकेशन के बाद आपको एप्लिकेशन नंबर के जरिये एमएसएमई प्रमाणपत्र मिल जाएगा, जिसे आप वेबसाइट पर जाकर डाउनलोड कर सकते हैं। इसे हर वक्त सुरक्षित रखना चाहिए।

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# एमएसएमई में अपने उद्यमों को पंजीकृत करने के ये हैं फ़ायदे

पहला, एमएसएमई कम्पनियों या फर्मों को बैंकों से भी लाभ मिलता है। क्योंकि एमएसएमई में रजिस्टर्ड लाभप्रद बिजनेस को कई बैंक विभिन्न तरह से लोन लाभ प्रदान करते हैं। उन्हें कम ब्याज दर पर भी लोन आदि भी उपलब्ध कराया जाता है। आम तौर पर एमएसएमई में रजिस्टर्ड कंपनी के लिए ब्याज की दर सामान्य व्यापार की ब्याज दर की तुलना में लगभग 1 से 1.5 प्रतिशत तक कम होती है। बहुत से लोग इसके नाम पर व्यक्तिगत कार्य भी कर लेते हैं और उन्हें पर्सनल लोन की दरकार ही नहीं होती है।

दूसरा, एमएसएमई उद्यमियों को राज्य सरकार भी छूट प्रदान करती है। विभिन्न राज्य सरकारें ऐसी कंपनियों को औद्योगिक अनुदान, बिजली बिल अनुदान और कर सब्सिडी भी उपलब्ध कराती हैं। इसके अलावा, इनके अंतर्गत आने वाली कंपनियों को विशेष रूप से बिक्री कर में भी छूट दी जाती है, जिसका लाभ उठाकर एमएसएमई उद्यमी निरंतर आगे बढ़ रहे हैं।

तीसरा, आपको पता होना चाहिए कि एमएसएमई को सरकार से कर लाभ भी मिलता है। कोई भी रजिस्टर्ड एमएसएमई कंपनी एक्साईज छूट योजना का लाभ ले सकती हैं। इसके साथ ही शुरूआती कुछ वर्षों में प्रत्यक्ष करों से भी छूट मिलती है। यही नहीं, सरकार एमएसएमई व्यवसाय को स्थापित करने में मदद करती है और कई तरह की सब्सिडी भी प्रदान करती है, जिससे ये कंपनियां अधिक से अधिक लाभ कमायें और खुद को स्थापित कर सकें। इसका फ़ायदा उठाकर कई एमएसएमई कम्पनी या फर्म काफी आगे बढ़ रही हैं।

चौथा, एमएसएमई को केंद्र और राज्य की सरकार से अप्रूवल भी प्राप्त होता है। क्योंकि एमएसएमई में रजिस्टर्ड कंपनियों को सरकारी लाईसेंस तथा प्रमाणीकरण शीघ्रतापूर्वक और आसानी से मिल जाते हैं। इसके अलावा, सरकार ने छोटे मझोले उद्योगों में मदद के लिए कई तरह की सरकारी निविदाएं या टेंडर भी खोले हैं, जो लघु व्यवसाय की भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए ही खुली हैं। इसका लाभ उठाकर कई एमएसएमई कंपनीज काफी आगे बढ़ चुकी हैं।

- कमलेश पांडेय

वरिष्ठ पत्रकार व स्तम्भकार

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