प्रधानमंत्री डिजिटल हेल्थ मिशन क्या है? इससे आमलोगों को कैसे और क्या क्या लाभ मिलेगा?

Prime Minister Digital Health Mission
कमलेश पांडेय । Sep 27 2021 11:46AM

बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त, 2020 को लाल किले की प्राचीर से राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य अभियान की पायलट परियोजना की घोषणा की थी। जिसे लगभग सवा साल बाद फिलवक्त पीएम-डीएचएम के रूप में छह केंद्र शासित प्रदेशों में प्रारंभिक चरण में लागू किया जा रहा है।

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कहा था कि जब भी हम कोई कार्य करें, तो यह अवश्य विचार करें कि समाज के सबसे अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति विशेष कर सबसे अंतिम व्यक्ति पर उसका क्या असर पड़ेगा। लगता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके जनोपयोगी विचार को आत्मसात कर लिया है और अपने हरेक लोक कल्याण कारी कार्यों व जनहितैषी योजनाओं को गरीब कल्याण केंद्रित बनाने की एक मुहिम छेड़ दी है। यही वजह है कि पहले गुजरात में और अब पूरे देश में वह जनाकर्षण के एकमात्र केंद्र बिंदु बने हुए हैं। सोमवार को उन्होंने जिस प्रधानमंत्री डिजिटल हेल्थ मिशन का आगाज किया  है, वह क्या और उससे आमलोगों को कैसे और क्या-क्या फायदा मिलेगा, आइए इसे जानने-समझने की एक अदद कोशिश करते हैं।

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# जानिए, क्या है हेल्थ आईडी और कैसे होगा इसका उपयोग?

पीएम डिजिटल हेल्थ मिशन का उद्देश्य आमलोगों को बेहतर व त्वरित स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करना है, जिसके तहत हरेक व्यक्ति की एक हेल्थ आईडी बनेगी। डिजिटल प्लेटफॉर्म पर हेल्थ-आईडी बनाने का विकल्प चुनने पर आपसे लाभार्थी का नाम, उसका जन्म-वर्ष, लिंग, मोबाइल नंबर और पूर्ण पता कलेक्ट किया जाता है। इसके बाद आपकी हेल्थ आईडी बनाई जाती है। जिसकी मदद से किसी भी व्यक्ति का व्यक्तिगत स्वास्थ्य (पर्सनल हेल्थ) रिकॉर्ड रखा जा सकेगा।  

खास बात यह कि इस हेल्थ रिकॉर्ड को कोई भी डॉक्टर व्यक्ति की सहमति से देख सकेंगे। इस रिकॉर्ड में व्यक्ति के डॉक्टरों, उपयोग किये गए या अपेक्षित स्वास्थ्य सुविधाओं और महत्वपूर्ण लैब रिपोर्ट जैसे सभी हेल्थ (जेल्थ) रिकॉर्ड्स मौजूद होंगे। मसलन, यदि कोई व्यक्ति डॉक्टर के पास जाता है, तो वह उसकी हेल्थ आईडी की मदद से यह जान लेगा कि उसने कब-कब डॉक्टर को दिखाया है, कब कब और कौन कौन सी दवाएं खाई है और उसे कौन सी बीमारी पहले ही हो चुकी है। इस रोगी सारांश को समझने से कोई भी डॉक्टर उसका बेहतर इलाज करने में सफल होगा।

# लगभग सवा साल पहले पीएम ने लाल किले से की थी राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य अभियान की पायलट परियोजना की घोषणा

बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त, 2020 को लाल किले की प्राचीर से राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य अभियान की पायलट परियोजना की घोषणा की थी। जिसे लगभग सवा साल बाद फिलवक्त पीएम-डीएचएम के रूप में छह केंद्र शासित प्रदेशों में प्रारंभिक चरण में लागू किया जा रहा है। इसकी सफलता के पश्चात इसे देश के विभिन्न राज्यों में भी लागू करवाया जाएगा। सोमवार को पीएम-डीएचएम का राष्ट्रव्यापी शुभारंभ एनएचए की आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (एबी-पीएम-जेएवाई) की तीसरी वर्षगांठ के साथ ही किया जा रहा है, जिसका अपना महत्व है।

# पीएम-डीएचएम हेल्थ केयर कवरेज की प्रभावशीलता, दक्षता और पारदर्शिता में करेगा सुधार 

दरअसल, प्रधानमंत्री डिजिटल स्वास्थ्य मिशन (पीएम-डीएचएम) एक जनहितैषी कार्यक्रम है, जिसके तहत उपलब्ध तकनीकी सुविधाओं का उपयोग करके कोई भी चिकित्सक अपने पास पहुंचे रोगी को बेहतर इलाज दे पाएगा। पीएम-डीएचएम का उद्देश्य हेल्थ केयर डेटा के माध्यम से भारत में हेल्थ केयर कवरेज की प्रभावशीलता, दक्षता और पारदर्शिता में सुधार करना है। उल्लेखनीय है कि जन-धन, आधार और मोबाइल (जेएएम) ट्रिनिटी और सरकार की अन्य डिजिटल पहलों के रूप में तैयार बुनियादी ढांचे के आधार पर, पीएम-डीएचएम स्वास्थ्य संबंधी व्यक्तिगत जानकारी की सुरक्षा, गोपनीयता और निजता को सुनिश्चित करते हुए एक विस्तृत श्रृंखला के प्रावधान के माध्यम से डेटा, सूचना और जानकारी का एक सहज ऑनलाइन प्लेटफॉर्म तैयार करेगा, जिससे बुनियादी ढांचा सेवाओं के साथ-साथ अंतर-प्रचालनीय और मानक-आधारित डिजिटल प्रणाली का विधिवत लाभ उठाया जा सकेगा। इस अभियान के अंतर्गत नागरिकों की सहमति से स्वास्थ्य रिकॉर्ड तक पहुंच और आदान-प्रदान को सक्षम बनाया जा सकेगा।

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# प्रधानमंत्री-डीएचएम के तहत बनी स्वास्थ्य आईडी कार्य करेगी स्वास्थ्य खाते के रूप में 

बता दें कि प्रधानमंत्री-डीएचएम के प्रमुख घटकों में प्रत्येक नागरिक के लिए एक स्वास्थ्य आईडी शामिल है जो उनके स्वास्थ्य खाते के रूप में भी कार्य करेगी, जिससे व्यक्तिगत स्वास्थ्य रिकॉर्ड को मोबाइल एप्लिकेशन की मदद से जोड़ा और देखा जा सकता है। इसके तहत, हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स रजिस्ट्री (एचपीआर) और हेल्थकेयर फैसिलिटीज रजिस्ट्रियां (एचएफआर), आधुनिक और पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों, दोनों ही मामलों में सभी स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के लिए एक संग्रह के रूप में कार्य करेंगी। यह चिकित्‍सकों, अस्पतालों और स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के लिए व्यवसाय में भी आसानी को सुनिश्चित करेगा।

वास्तव में, इस अभियान के एक हिस्से के रूप में तैयार किया गया पीएम-डीएचएम सैंडबॉक्स, प्रौद्योगिकी और उत्पाद जांच के लिए एक ढांचे के रूप में कार्य करेगा और ऐसे निजी संगठनों को भी सहायता प्रदान करेगा, जो राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य परितंत्र का हिस्सा बनते हुए स्वास्थ्य सूचना प्रदाता या स्वास्थ्य सूचना उपयोगकर्ता अथवा पीएम-डीएचएम के तैयार ब्लॉक्स के साथ कुशलता से स्‍वयं को जोड़ने की मंशा रखते हैं। वहीं, भुगतानों के मामले में क्रांतिकारी बदलाव के रूप में यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस द्वारा निभाई गई भूमिका के समान ही यह अभियान डिजिटल स्वास्थ्य परितंत्र के भीतर भी अंतर-प्रचालन क्रियाशीलता लाएगा और इसके माध्‍यम से नागरिक सिर्फ एक क्लिक के माध्‍यम से स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुँच सकेंगे।

# नेशनल डिजिटल हेल्थ इकोसिस्टम विकसित होने से आमलोगों और चिकित्सा जगत, दोनों को मिलेगा फायदा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई 'प्रधानमंत्री डिजिटल स्वास्थ्य मिशन (पीएम-डीएचएम)' के अंतर्गत स्वास्थ्य की पहचान, डॉक्टरों और स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए स्पेशल पहचानकर्ता, इंडिविजूअल हेल्थ रिकॉर्ड, टेलीमेडिसिन और ई-फार्मेसी के साथ-साथ नेशन डिजिटल हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर की सुविधाएं दी जा रही है। इस फ्लैगशिप योजना के तहत वाइड रेंज डेटा, सूचना और बुनियादी ढांचा सेवाओं की उपलब्धता के साथ नेशनल डिजिटल हेल्थ इकोसिस्टम बनाया गया है, जिससे यह प्रोग्राम स्वास्थ्य संबंधी व्यक्तिगत जानकारी की सुरक्षा और गोपनीयता सुनिश्चित करेगा।

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बता दें, नेशनल डिजिटल हेल्थ इकोसिस्टम मरीजों के लिए बनाया जा रहा है। मरीज यहां अपना हेल्थ रिकॉर्ड को अपने पसंद के डॉक्टरों और स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ साझा करने या स्टोर करने और उसे एक्सेस करने की सहमति देने सकेंगे। अंडमान और निकोबार, चंडीगढ़, दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव, लद्दाख, लक्षद्वीप और पुडुचेरी जैसे छह केंद्र शासित प्रदेश थे, जहां पहले पायलट योजना लागू की गई थी। भारत की राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन सेवा, ई-संजीवनी ने 1.2 करोड़ परामर्श किए हैं और देश की सबसे लोकप्रिय और सबसे बड़ी टेलीमेडिसिन सेवा को आकार दे रही है।

# राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन सेवा का देश भर में हो रहा है विस्तार

बता दें कि अब तक देश भर में राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन सेवा हर दिन लगभग 90,000 रोगियों से जुड़कर सेवा प्रदान करती है। यह योजना मरीजों की बड़ी संख्या को डॉक्टरों और एक्सपर्ट्स से जोड़ती है। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के आदेश के अनुसार, ई-संजीवनी दो मोड– ई-संजीवनी एबी-एचडब्ल्यूसी और ई-संजीवनी ओपीडी के माध्यम से कार्य कर रही है। दरअसल, राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन सेवा जमीनी स्तर पर डॉक्टरों और विशेषज्ञों की कमी को दूर करने की कोशिश कर रही है। इतना ही नहीं, यह माध्यमिक और तृतीयक स्तर के अस्पतालों के बोझ को कम करके शहरी और ग्रामीण भारत के बीच डिजिटल हेल्थ को जोड़ रही है। इससे देश में डिजिटल हेल्थ इकोसिस्टम को राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन के माध्यम से बढ़ावा मिला है। एक स्वदेशी टेलीमेडिसिन तकनीक, ई-संजीवनी को सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस कंप्यूटिंग (सी-डैक) द्वारा मोहाली में विकसित किया गया था। बता दें यह तकनीक मोहाली में एंड-टू-एंड सेवाएं प्रदान करता है।

- कमलेश पांडेय

वरिष्ठ पत्रकार व स्तम्भकार

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