Kamada Ekadashi: कामदा एकादशी व्रत से होती हैं सभी मनोकामनाएं पूरी

Kamada Ekadashi
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कामदा एकादशी के दिन भगवना विष्णु की पूजा–अर्चना की जाती है। पंडितों का मानना है कि इस व्रत को विधिपूर्वक करने से न केवल सभी प्रकार के सांसारिक दुखों से छुटकारा मिलता है बल्कि सभी मनोकामनाएं पूरी होती है।

आज है कामदा एकादशी व्रत, हिन्दू धर्म में कामदा एकादशी व्रत का खास महत्व होता है। इस व्रत के प्रभाव से व्रती को प्रेत योनि से भी मुक्ति मिल जाती है तो आइए हम आपको कामदा एकादशी व्रत की पूजा विधि और महत्व के बारे में बताते हैं। 

जानें कामदा एकादशी व्रत के बारे में 

हिन्दू धर्म में एक साल में चौबीस एकादशी का व्रत किया जाता है। हर महीने में दो एकादशी का व्रत होता है एक शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को तथा दूसरा व्रत कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को सम्पन्न किया जाता है। कामदा एकादशी का व्रत करने से सांसारिक जीवन की सभी समस्याओं से मुक्ति मिलती है और व्यक्ति जन्म मृत्यु के बंधन से मुक्त हो जाता है। एकादशी का व्रत रखने से पापों का नाश होता है और साधक के पूर्वजों को भी मुक्ति मिलती है। कामदा एकादशी को फलदा एकादशी भी कहा जाता है। सनातन धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु संग मां लक्ष्मी की पूजा-उपासना की जाती है। साथ ही एकादशी व्रत रखा जाता है। इस वर्ष 19 अप्रैल को कामदा एकादशी है। यह पर्व हर वर्ष चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर मनाया जाता है। पंडितों के अनुसार एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु की पूजा करने से साधक को सभी प्रकार के सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है। साथ ही मृत्यु उपरांत मोक्ष की प्राप्ति होती है। अतः साधक एकादशी तिथि पर श्रद्धा भाव से भगवान विष्णु संग मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं। अगर आप भी जगत के पालनहार भगवान विष्णु की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो कामदा एकादशी तिथि पर स्नान-ध्यान के बाद विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय राशि अनुसार मंत्र जप करें। 

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कामदा एकादशी पर ये करें उपाय, होंगे समृद्ध  

कामदा एकादशी के दिन सात हल्दी लेकर पीले रंग के कपड़े में बांधकर पोटली बना लें और उसे भगवान विष्णु को अर्पित कर दें, इसके बाद पोटली को धूप दीप दिखाएं। फिर उस पोटली को धन के स्थान जैसे अलमारी या तिजोरी में रख दें। ऐसा करने से धन धान्य में वृद्धि होगी और आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।

कामदा एकादशी व्रत से होने वाले फायदे

कामदा एकादशी के दिन भगवना विष्णु की पूजा–अर्चना की जाती है। पंडितों का मानना है कि इस व्रत को विधिपूर्वक करने से न केवल सभी प्रकार के सांसारिक दुखों से छुटकारा मिलता है बल्कि सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। इस व्रत के प्रभाव के कारण इसे इसे फलदा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। अगर आपके घर में पति या संतान किसी प्रकार की बुरी आदत का शिकार हो तो भी कामदा एकादशी का व्रत करने को कहें, इससे लाभ होगा।

कामदा एकादशी से जुड़ी पौराणिक कथा भी है रोचक

कामदा एकादशी से जुड़ी कथा के अनुसार प्राचीन काल में एक राज्य में नागों के राजा राज्य करते थे उनका नाम पुंडरीक था। उनके दरबार में ललित नामक एक गंधर्व तथा ललिता नाम की एक अप्सरा थी। दोनों आपस में बहुत प्रेम करते थे। एक दिन दरबार में नृत्य संगीत का कार्यक्रम चल रहा है। उस समय  सभा में एक कर्कोटक नाम के नाग देवता भी उपस्थित थे। ललित उस समय नृत्य कर रहा था तभी उसे अपनी पत्नी ललिता की याद आ गयी और वह नृत्य में गलती कर दिया। उसकी इस गलती को कर्कोटक ने पकड़ लिया और राजा पुंडरीक को बता दिया। ललित भी इस गलती पर राजा पुंडरीक बहुत नाराज हुए और उन्होंने ललित को कुरुप राक्षस होने का श्राप दे दिया। इस बात से ललित की पत्नी ललिता बहुत दुखी हुई और अपने पति को इस रूप से मुक्त करने का प्रयास करने लगी। तभी एक मुनि ने ललिता का कामदा एकादशी का व्रत करने को कहा। ललिता ने पूर्ण मनोयोग से यह व्रत किया और इस व्रत के प्रभाव से उसका पति राक्षस योनि से मुक्त होकर पहले की तरह सुंदर गंधर्व बन गया।

कामदा एकादशी तिथि का महत्व

कामदा एकादशी का व्रत करने से सांसारिक जीवन की सभी समस्याओं से मुक्ति मिलती है और व्यक्ति जन्म मृत्यु के बंधन से मुक्त हो जाता है।  कामदा एकादशी का व्रत करने से साधक को 100 यज्ञों के बराबर पुण्य मिलता है। इस व्रत को करने से व्यक्ति की मनोवांछित कामना होती है, इसलिए इसे कामदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। धर्म शास्त्र के अनुसार, जितना पुण्य हजारों वर्षों की तपस्या, दान और कन्यादान से मिलता है, उससे अधिक फल मात्र कामदा एकादशी का व्रत करने से मिलता है. कामदा एकादशी को फलदा एकादशी भी कहते है।

कामदा एकादशी का शुभ मुहूर्त 

हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का शुभारंभ 18  अप्रैल 2024 शाम 05 बजकर 31 मिनट पर होगा, जिसका समापन 19 अप्रैल को संध्याकाल 08 बजकर 04 मिनट पर होगा। ऐसे में कामदा एकादशी व्रत 19 अप्रैल को किया जाएगा।

कामदा एकादशी से जुड़े इन नियमों को जरूर जानें

कामदा एकादशी हिन्दुओं का प्रमुख व्रत होने के कारण इसमें कुछ नियमों का पालन करना जरूरी है। कामदा एकादशी का व्रत निर्जला करने की कोशिश करें। एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और विष्णु भगवान की पूजा करें। विष्णु भगवान को पीले गेंदे के फूल चढ़ाएं। उसके बाद प्रसाद स्वरूप आम, खरबूजा जैसे मौसमी फल, तिल दूध और पेड़ा भी चढ़ा सकते हैं। साथ ही पूरे दिन भगवान विष्णु का स्मरण कर पूजा-प्रार्थना और कीर्तन करें। ॐ नमो भगवते वासुदेवाये का जाप भी करें। कामदा एकादशी व्रत में ब्राह्माण को भोजन कराने और दान देने का खास महत्व होता है इसलिए ब्राह्माणों को भोजन करा कर दान दें। उसके बाद ही द्वादशी के व्रती पारण करें।

कामदा एकादशी पर भगवान विष्णु को लगाएं ये भोग

भगवान विष्णु को केला प्रिय है। इसलिए आप पूजा के दौरान प्रभु को केला का भोग लगा सकते हैं। पंडितों का मानना है कि भोग में केला शामिल करने से धन से संबंधित समस्या से छुटकारा मिलता है। साथ ही कुंडली में से गुरु दोष का असर खत्म होता है। कामदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु को पंचामृत का भोग जरूर लगाना चाहिए। भोग में तुलसी दल को शामिल करना चाहिए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार तुलसी दल के बिना भगवान भोग स्वीकार नहीं करते हैं। इसके अलावा भोग में साबूदाने की खीर और मिठाई को शामिल कर सकते हैं। मान्यता है कि इन चीजों का भोग लगाने से प्रभु प्रसन्न होते हैं।

- प्रज्ञा पाण्डेय

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