Vrishabha Sankranti 2025: वृषभ संक्रांति पर स्नान-दान का होता है विशेष महत्व, ऐसे करें सूर्य देव की पूजा

Vrishabha Sankranti 2025
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आज यानी की 15 मई को वृषभ संक्रांति मनाई जा रही है। हिंदू पंचांग के मुताबिक यह अत्यंत पावन और शुभ अवसर है। इस दिन सूर्य देव अपनी उच्च राशि मेष को छोड़कर वृष राशि में गोचर करेंगें। यह संक्रांति का क्षण न सिर्फ खगोलीय दृष्टि के अहम है।

आज यानी की 15 मई को वृषभ संक्रांति मनाई जा रही है। हिंदू पंचांग के मुताबिक यह अत्यंत पावन और शुभ अवसर है। इस दिन सूर्य देव अपनी उच्च राशि मेष को छोड़कर वृष राशि में गोचर करेंगें। यह संक्रांति का क्षण न सिर्फ खगोलीय दृष्टि के अहम है, बल्कि धार्मिक और आध्यात्मिक रूप से भी अत्यंत शुभ और फलदायी माना जाता है। इस दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान करते हैं और सूर्य देव की पूजा-आराधना करते हैं। तो आइए जानते हैं वृषभ संक्रांति के मौके पर शुभ मुहूर्त और महत्व के बारे में...

तिथि और मुहूर्त

सूर्य देव रात 12:11 मिनट पर मेष राशि से निकलकर वृषभ राशि में प्रवेश कर चुके हैं। धार्मिक दृष्टि से यह गोचर अत्यंत पवित्र माना जाता है और सूर्य देव के वृष राशि में गोचर के साथ ही वृषभ संक्रांति की शुरूआत होती है।

पुण्य काल- सुबह 05:57 मिनट से दोपहर 12:18 बजे तक

महा पुण्य काल- सुबह 05:30 मिनट से 07:46 बजे तक

अभिजीत मुहूर्त- दोपहर 11:50 मिनट से 12:45 बजे तक

महत्व

हिंदू धर्म में वृषभ संक्रांति का पर्व अत्यंत खास माना जाता है। जब सू्र्यदेव मेष राशि से निकलकर वृषभ राशि में प्रवेश करते हैं, तो इस खगोलीय घटना को पुण्यकाल के रूप में देखा जाता है। इस मौके पर स्नान, दान, जप और तप करने से पाप नष्ट होते हैं। साथ ही व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। वहीं वृषभ संक्रांति सूर्य देव की पूजा-आराधना के लिए काफी श्रेष्ठ मानी जाती है।

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