Hariyali Amavasya 2024: 04 अगस्त को मनाई जा रही हरियाली अमावस्या, जानिए स्नान-दान का मुहूर्त

Hariyali Amavasya 2024
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हिंदू धर्म में पेड़-पौधों में भगवान का वास माना जाता है। कहा जाता है कि हर पेड़ में किसी न किसी देवता का वास होता है। जैसे पीपल के पेड़ में त्रिदेव यानी की ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास माना जाता है।

इस साल आज यानी की 04 अगस्त को हरियाली अमावस्या मनाई जा रही है। हरियाली अमावस्या को 'श्रावण अमावस्या' भी कहते हैं। भारतीय परंपराओं में यह दिन धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है। हरियाली अमावस्या पर्यावरण संरक्षण और धार्मिक क्रियाओं का प्रतीक है। हिंदू धर्म में पेड़-पौधों में भगवान का वास माना जाता है। कहा जाता है कि हर पेड़ में किसी न किसी देवता का वास होता है। जैसे पीपल के पेड़ में त्रिदेव यानी की ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास माना जाता है। तो आइए जानते हैं हरियाली अमावस्या पर पूजा और स्नान-दान का शुभ मुहूर्त और महत्व के बारे में...

तिथि और स्नान-दान मुहूर्त

श्रावण कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि की शुरूआत- 03 अगस्त 2024 को दोपहर 03:50 मिनट से

श्रावण कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि समाप्त- 04 अगस्त 2024 को शाम 04:43 मिनट पर

हरियाली अमावस्या 2024 तिथि- 04 अगस्त 2024

हरियाली अमावस्या पर स्नान दान का शुभ मुहूर्त-सुबह 05:44 मिनट से दोपहर 01:26 मिनट तक 

महत्व

धार्मिक शास्त्रों के मुताबिक हरियाली अमावस्या के दिन कम से कम एक पौधा जरूर लगाना चाहिए। अगर इस दिन पौधा नहीं लगा सकते हैं, तो आज से आने वाले आठ दिनों में कभी भी पौधा लगाएं। इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है। वहीं हरियाली अमावस्या के दिन पितरों का तर्पण करना चाहिए। 

पितरों को ऐसे करें प्रसन्न

हरियाली अमावस्या के दिन तांबे के लोटे में जल भरकर उसमें गंगाजल, कच्चा दूध, जौ, तिल, शहद, दूब और फूल डालकर पितरों का तर्पण करें। इस दौरान दक्षिण दिशा की ओर मुख करें और हाथ में दूर्वा और तिल लेकर अंगूठे की ओर जलांजलि देते हुए पितरों को जल अर्पित करें। 

यदि किसी जातक की कुंडली में पितृ दोष है, तो हरियाली अमावस्या के दिन पीपल का पेड़ जरूर लगाना चाहिए।

अमावस्या के दिन तिल का दान करने से पितरों की कृपा व आशीर्वाद प्राप्त होता है। वहीं इस दिन दान-पुण्य करने और पितरों का पिंडदान व तर्पण करना चाहिए। ऐसा करने से पितरों का आशीर्वाद मिलता है और पितृ दोष से मुक्ति भी मिलती है।

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