Hartalika Teej 2025: पति की दीर्घायु और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए रखा जाता है हरतालिका तीज व्रत

Hartalika Teej 2025
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हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया को हरतालिका तीज का व्रत किया जाता है। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत करती हैं और अपने पति की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। वहीं कई कुंवारी कन्याएं उत्तम वर की प्राप्ति के लिए भी यह व्रत करती हैं।

इस बार 26 अगस्त 2025 को हरतालिका तीज का पर्व मनाया जा रहा है। यह पर्व भगवान शिव और मां पार्वती के मिलन का प्रतीक माना जाता है। महिलाओं के लिए यह व्रत विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है। हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया को हरतालिका तीज का व्रत किया जाता है। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत करती हैं और अपने पति की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। वहीं कई कुंवारी कन्याएं उत्तम वर की प्राप्ति के लिए भी यह व्रत करती हैं।

पौराणिक मान्यता के मुताबिक इस दिन मां पार्वती ने कठोर तपस्या कर भगवान शिव को अपने पति के रूप में प्राप्त किया था। यही कारण है कि महिलाएं अपने सुखी वैवाहिक जीवन और पति की लंबी उम्र के लिए यह व्रत करती हैं।

शुभ योग

इस बार हरतालिका तीज पर सर्वार्थ सिद्धि, शोभन, गजकेसरी और पंचमहापुरुष जैसे चार शुभ योग बन रहे हैं। इस व्रत का बहुत महत्व है। परंपरा के मुताबिक हरतालिका तीज का व्रत महिलाएं अखंड सुहाग की कामना से रखती हैं। यह व्रत महिलाओं द्वारा पति की लंबी उम्र और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना के साथ रखती हैं। वहीं अविवाहित कन्याएं इस व्रत को मनचाहा और योग्य वर पाने की कामना से रखती हैं। माना जाता है कि यह व्रत श्रद्धा और निष्ठा से रखने पर पूजा का फल जरूर मिलती है।

पूजन विधि

इस दिन सुबह जल्दी स्नान आदि करके लाल या फिर हरे वस्त्र पहनें। फिर शुभ मुहूर्त में पूजा स्थान पर चौकी लगाएं और एक साफ कपड़ा बिछाएं। इसके बाद मिट्टी का बना शिव परिवार चौकी पर स्थापित करें। सबसे पहले भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा करें और इसके बाद मां पार्वती की पूजा करें और उनको 16 श्रृंगार का सामान अर्पित करें। भगवान शिव को फल-फूल और मिठाई आदि अर्पित करें। इसके बाद हरतालिका तीज व्रत की कथा का पाठ करें।

महत्व

हरतालिका तीज पर महिलाएं मिट्टी से बने शिव परिवार की पूजा करती हैं। महिलाएं यह व्रत पति की लंबी उम्र, सेहत, तरक्की और संतान प्राप्ति के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। जिसका पारण अगले दिन सूर्योदय के बाद किया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक हरतालिका तीज का दिन भगवान शिव और मां पार्वती के मिलन का प्रतीक है।

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