कब करें सुहागिन महिला और अकाल मृत्यु वाले परिजनों का श्राद्ध एवं पिंडदान

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पितृपक्ष के दौरान पिंडदान और तर्पण करने से पितरों की आत्मा तृप्त होती है और आशीर्वाद देती है। मान्यता है कि यदि पितृ नाराज या गुस्सा हो जाते हैं तो इंसान को जीवन में तरह-तरह की परेशािनयों और कष्टों का सामना करना पड़ता है।

हिन्दू पंचांग के अनुसार आश्विन कृष्ण पक्ष से लेकर अमवस्या तक का समय पितृ पक्ष कहलाता है। इस साल पितृ पक्ष 20 सितम्बर 2021 से 06 अक्टूबर  2021 तक है। हिन्दू धर्म के अनुसार पितृपक्ष में पितरों की आत्मा की शांति के लिए उनका श्राद्ध करना बहुत जरूरी माना गया है। हिन्दू धर्म के अनुसार यदि किसी मृत व्यक्ति का श्राद्ध ना किया जाए तो उसकी आत्मा को मुक्ति नहीं मिलती है। इसलिए पितरों की आत्मा की शान्ति के लिए पितृपक्ष में श्राद्ध किया जाता बहुत आवश्यक माना गया है। पितृपक्ष के दौरान पिंडदान और तर्पण करने से पितरों की आत्मा तृप्त होती है और आशीर्वाद देती है। मान्यता है कि यदि पितृ नाराज या गुस्सा हो जाते हैं तो इंसान को जीवन में तरह-तरह की परेशािनयों और कष्टों का सामना करना पड़ता है। कहा जाता है कि पितृ के नाराज होने से घर में अशांति का माहौल बन जाता है और जीवन से खुशियां खत्म होने लगती हैं। ऐसे में पितरों को तृप्त करना और उनकी आत्मा की शांति के लिए पितृपक्ष में श्राद्ध करना बेहद अनिवार्य माना जाता है। पितृपक्ष के दौरान श्राद्ध के जरिए पितरों की तृप्ति के लिए भोजन कराया जाता है और पिंडदान और तर्पण कर उनकी आत्मा की शांति की कामना की जाती है।

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पितृपक्ष में इस दिन करें श्राद्ध        

हिन्दू धर्म के पितृपक्ष के दौरान पितरों का श्राद्ध करने की बड़ी मान्यता है। पितृपक्ष के दौरान हर दिन  पानी में काले तिल, जौ, दूध और गंगाजल  मिलाकर तर्पण किया जाता है। शास्त्रों के अनुसार पितरों का श्राद्ध उनकी मृत्यु तिथि के अनुसार ही करना चाहिए। आइए जानते हैं किस तिथि पर किसका श्राद्ध करना चाहिए - 

पिता का श्राद्ध अष्टमी और माता का श्राद्ध नवमी के दिन करना श्रेष्ठ है। 

यदि कोई महिला सुहागिन ही मृत्यु को प्राप्त हुई हो तो उसका श्राद्ध भी नवमी के दिन ही करना चाहिए। 

साधू-सन्यासियों का श्राद्ध द्वादशी के दिन किया जाता है।

यदि किसी परिजन की दुर्घटना, आत्महत्या या अकाल मृत्यु हुई हो तो उनका श्राद्ध चतुर्दशी के दिन किया जाना चाहिए। 

जिन पितरों की मृत्यु तिथि मालूम ना हो तो उनका श्राद्ध सर्वपितृ अमावस्या के दिन किया जाता है।

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पितृपक्ष 2021 की तिथियाँ 

20 सितंबर 2021- पहला श्राद्ध (पूर्णिमा श्राद्ध)

21 सितंबर 2021- प्रतिपदा का श्राद्ध

22 सितंबर 2021- द्वितीया का श्राद्ध

23 सितंबर 2021- तृतीया का श्राद्ध

24 सितंबर 2021- चतुर्थी का श्राद्ध

25 सितंबर 2021 - पंचमी का श्राद्ध

26 सितंबर 2021 -षष्ठी का श्राद्ध

27 सितंबर 2021 - सप्तमी का श्राद्ध

28 सितंबर 2021- अष्टमी का श्राद्ध

29 सितंबर 2021- नवमी का श्राद्ध

30 सितंबर 2021- दशमी का श्राद्ध

01 अक्टूबर 2021- एकादशी का श्राद्ध

02 अक्टूबर 2021- द्वादशी का श्राद्ध

03 अक्टूबर 2021- त्रयोदशी का श्राद्ध

04 अक्टूबर 2021- चतुर्दशी का श्राद्ध

05 अक्टूबर 2021- सर्वपितृ श्राद्ध

- प्रिया मिश्रा

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