Aja Ekadashi 2025: अजा एकादशी व्रत से सभी कष्टों से मिलती है मुक्ति

Aja Ekadashi
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सनातन धर्म में व्रत-त्योहारों का विशेष महत्व होता है। अजा एकादशी व्रत इनमें से एक है, हर साल 24 एकादशी के व्रत होते हैं। इनमें भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी यानी अजा एकादशी को बेहद खास माना जाता है।

आज अजा एकादशी व्रत है, यह व्रत बहुत ही शुभ माना जाता है। एकादशी का व्रत नारायण को बहुत ज्यादा प्रिय है, इस व्रत से भक्तों को श्री विष्णु का आशीर्वाद मिलता है। अजा एकादशी व्रत से जीवन की समस्याएं होती हैं खत्म तो आइए हम आपको अजा एकादशी व्रत का महत्व एवं पूजा विधि के बारे में बताते हैं।

जानें अजा एकादशी के बारे में 

सनातन धर्म में व्रत-त्योहारों का विशेष महत्व होता है। अजा एकादशी व्रत इनमें से एक है, हर साल 24 एकादशी के व्रत होते हैं। इनमें भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी यानी अजा एकादशी को बेहद खास माना जाता है। इस बार यह शुभ तिथि 19 अगस्त 2025 दिन मंगलवार को है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अजा एकादशी के दिन विधि पूर्वक व्रत रखने और विधि-विधान से पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में चल रही कई समस्याएं खत्म हो सकती हैं। साथ ही आर्थिक संकट और पारिवारिक तनाव से भी मुक्ति मिल सकती है।

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अजा एकादशी में ये खाएं, रहेंगे स्वस्थ

अजा एकादशी पर जो साधक व्रत रख रहे हैं, वे दूध, दही, फल, शरबत, साबुदाना, बादाम, नारियल, शकरकंद, आलू, मिर्च सेंधा नमक, राजगीर का आटा आदि चीजों को खा सकते हैं। वहीं, व्रती भगवान विष्णु की पूजा के बाद ही कुछ सेवन करें। इसके साथ ही प्रसाद बनाते समय सफाई का अच्छी तरह से ध्यान रखें।

अजा एकादशी में क्या न खाएं, हो सकती है हानि 

यदि आप अजा एकादशी पर व्रत कर रहे हैं, तो अपने खाने का पूरा ध्यान दें, क्योंकि यह व्रत को सफल और असफल बनाने में मुख्य भूमिका निभाता है। साथ ही व्रती को एकादशी व्रत के दिन भोजन करने से बचना चाहिए। इसके अलावा इस तिथि पर तामसिक भोजन जैस- मांस-मदिरा प्याज, लहसुन, मसाले, तेल आदि से भी परहेज करना चाहिए। इसके साथ ही इस व्रत पर चावल और नमक का सेवन करने से भी बचना चाहिए। ऐसे में अगर आप इस व्रत का पालन कर रहे हैं, तो इन सभी बातों का जरूर ध्यान रखें।

अजा एकादशी के दिन, इन मंत्रों का जाप कर करें प्रसाद अर्पित 

अजा एकादशी पर भगवान विष्णु को भोग लगाते समय इस मंत्र ''त्वदीयं वस्तु गोविन्द तुभ्यमेव समर्पये। गृहाण सम्मुखो भूत्वा प्रसीद परमेश्वर ।।'' का जप करें। ऐसा करने से भगवान भोग स्वीकार कर लेते हैं। इसके साथ ही जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

अजा एकादशी पर करें विशेष चीजों का दान 

भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को अजा एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा का विधान है। हर महीने में 2 बार एकादशी तिथि आती है, एक कृष्ण पक्ष में और दूसरी शुक्ल पक्ष में। वहीं अजा एकादशी के दिन भक्तों को विधिपू्र्वक व्रत कर विशेष चीजों का दान करना पड़ता है।

अजा एकादशी की तिथि 

वैदिक पंचांग के अनुसार, हर साल भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि पर अजा एकादशी व्रत किया जाता है। इस बार यह व्रत 19 अगस्त को किया जाएगा। भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत- 18 अगस्त को शाम 05 बजकर 22 मिनट पर भाद्रपदमाह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि का समापन- 19 अगस्त को दोपहर 03 बजकर 32 मिनट पर।

अजा एकादशी के व्रत का पारण

अजा एकादशी व्रत का पारण अगले दिन यानी द्वादशी तिथि पर किया जाएगा। वहीं व्रत का पारण ना करने से साधक को व्रत का पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता है। इसलिए शुभ मुहूर्त में व्रत का पारण करें। इसके बाद आप श्रद्धा अनुसार दान करें। पंडितों के अनुसार अन्न और धन का दान करने से जीवन में हमेशा धन से तिजोरी भरी रहती है और शुभ फल की प्राप्ति होती है। 20 अगस्त को व्रत का पारण करने का समय सुबह 05 बजकर 15 मिनट से लेकर 07 बजकर 49 मिनट तक है। इस दौरान व्रत का पारण करें।

अजा एकादशी पर ऐसे करें पूजा 

पंडितों के अनुसार द्वादशी तिथि के दिन की शुरुआत भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी के ध्यान से करें. स्नान करने के बाद सूर्य देव को अर्घ्य दें. इसके बाद घर-मंदिर की सफाई करें. मंदिर में गंगाजल का छिड़काव कर शुद्ध करें. इसके बाद देसी घी का दीपक जलाएं और प्रभु की आरती करें. मंत्रों का जप और विष्णु चालीसा का पाठ करें. आखिरी में सात्विक भोजन का भोग लगाएं और लोगों में प्रसाद का वितरण कर स्वयं ग्रहण करें।

अजा एकादशी व्रत का महत्व

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो पुण्य सूर्यग्रहण में दान से होता है, उससे कई गुना अधिक पुण्य एकादशी के व्रत करने से होता है। इस दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा होती है। ऐसे में जो भी साधक नियम पूर्वक व्रत-पूजन करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

अजा एकादशी व्रत से मिलते हैं लाभ 

पंडितों के अनुसार अजा एकादशी करने वालों के पितर नीच योनि से मुक्त होते हैं और अपने परिवार वालों पर प्रसन्नता बरसाते हैं, इसलिए यह व्रत करने वालों के घर में सुख-शांति बनी रहती है। जो पुण्य गौ-दान सुवर्ण-दान, अश्वमेघ यज्ञ से होता है, उससे अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है। अजा एकादशी का व्रत और पूजा करने से धन-धान्य और पुत्रादि की वृद्धि होती है. साथ ही, घर में सुख-समृद्धि का भी वास होगा। एकादशी का व्रत करने से कीर्ति और श्रद्धा-भक्ति बढ़ती है। इससे जीवन रसमय बन रहता है और दांपत्य जीवन में भी खुशियां बनी रहती हैं। परमात्मा की प्रसन्नता प्राप्त होती है और एकादशी के दिन किए हुए व्रत, गौ-दान आदि का अनंत गुना पुण्य होता है।

अजा एकादशी व्रत से जुड़ी पौराणिक कथा

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार सतयुग में हरिश्चंद्र नामक एक महान, सत्यवादी और दयालु राजा थे। वे अपने धर्मनिष्ठ स्वभाव के लिए प्रसिद्ध थे, लेकिन समय के साथ उन पर विपरीत परिस्थितियां आने लगीं और दुर्भाग्यवश उन्हें अपना राज-पाट, संपत्ति और परिवार सब कुछ गंवाना पड़ा। हालात इतने बिगड़े कि उन्हें एक चांडाल के घर दास का जीवन व्यतीत करना पड़ा। इन परिस्थितियों में राजा हरिश्चंद्र अत्यंत दुखी और निराश हो गए थे। एक दिन जब वे शोक में बैठे थे, तभी वहां से गौतम ऋषि गुजरे। ऋषि ने राजा की व्याकुलता देखकर कारण पूछा। तब राजा हरिश्चंद्र ने अपनी समस्त व्यथा सुनाई और कष्टों से मुक्ति पाने का उपाय जानना चाहा।

- प्रज्ञा पाण्डेय

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